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Tuesday, 19 November, 2024
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‘जो पिएगा वो मरेगा’ से लेकर ‘गर्मी शांत कर देंगे’ तक, नेताओं के बिगड़े बोल जो 2022 में सुर्खियां बने

जुबानी जंग सिर्फ उत्तर भारत तक ही नहीं सिमटी रही बल्कि पश्चिम और दक्षिण भारत के नेताओं के बयान भी इस साल काफी चर्चा में रहे.

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नई दिल्लीः राजनीतिक विवादों के लिहाज़ से 2022 काफी उठापटक वाला रहा है. इस साल कईं राज्यों के मुख्यमंत्रियों और नेताओं ने अपनी-अपनी टिप्पणियों से सुर्खियां बटोरी, जो कि साल के अलग-अलग वक्त राष्ट्रीय बहसों का मुद्दा रहीं.

नीतीश कुमार के ‘जो पीएगा वो मरेगा’ से लेकर योगी आदित्यनाथ के ’10 मार्च के बाद सारी गर्मी शांत करवा देंगे’ वाला बयान चर्चाओं में रहा. वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नोटों पर लक्ष्मी-गणेश लगाने की मांग भी सुर्खियों में रही.

विवादित बयान देने वालों में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, असम और दिल्ली के मुख्यमंत्री थे. इसके अलावा कई राज्यों के सांसद और विधायकों ने भी कई नकारात्मक बयान दिए. विवादित बयान को लेकर उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक की लकीर फीकी पड़ गई.

दिप्रिंट इन्हीं नेताओं और मुख्मंयत्रियों द्वारा 2022 में दिए गए विवादित बयानों पर विस्तार से नज़र डाल रहा है.


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कब किसने क्या कहा

फरवरी में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान एक रैली में सीएम योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘कुछ लोग सरकार बनाने का सपना देख रहे हैं…कयामत के दिन तक तुम्हारा ये सपना साकार नहीं होगा. लेकिन, ये मानकर चलो कि 10 मार्च के बाद ये सारी गर्मी को शांत करवा देंगे.’

गौरतलब है कि नतीजे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में रहे थे.

वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी दीवाली से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए भारत में नोटों पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की तस्वीरों को शामिल करने पर विचार करने की अपील की थी.

केजरीवाल की इस अपील के बाद राजनीतिक हलकों में काफी हलचल रही. बीजेपी ने इस अपील को हथकंडा करार दिया था.

बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा था, ‘उनके (आप) मंत्री, गुजरात के प्रमुख और अन्य नेताओं ने हिंदू देवी-देवताओं को गाली दी है और बहुत कुछ कहा है. फिर भी, वे पार्टी में हैं. वे चुनाव में चेहरा बचाने के लिए नए हथकंडे अपना रहे हैं.’

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने भी राहुल गांधी की बढ़ी हुई दाढ़ी को लेकर उनकी तुलना सद्दाम हुसैन से की थी.

सरमा ने अहमदाबाद में एक चुनावी रैली के दौरान कहा था, ‘राहुल गांधी के नए लुक से कोई समस्या नहीं है, लेकिन अगर आपको लुक बदलना है तो कम से कम वल्लभभाई पटेल या जवाहरलाल नेहरू जैसा बनाइए. गांधी जी की तरह दिखें तो और भी अच्छा है, लेकिन अब आप सद्दाम हुसैन की तरह क्यों दिखते हैं…?’

इस पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन बोरा ने कहा था, ‘सत्ता के लिए सीएम किसी भी स्तर तक जा सकते हैं. हम इस पर ध्यान नहीं देते.’

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कई मौकों पर असंवेदनशील बयान देते नज़र आए. इस महीने बिहार में जहरीली शराब पीने के कारण सारण में तकरीबन 82 लोगों की मौत हुई थी.

सीएम नीतीश ने इस घटना के बाद मृतकों के लिए मुआवजे की बात से पल्ला झाड़ दिया था.

उन्होंने विधानसभा में कहा था, ‘मरने वालों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा. जो पिएगा वो मरेगा ही.’ इस घटना के बाद एक बार फिर से राज्य की शराबबंदी नीति पर सवाल खड़े हो गए हैं.

नीतीश पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने कहा, ‘नीतीश फ्रस्ट्रेशन में आ गए हैं. बिहार में शराब बंद है, लेकिन हर जगह बिकता है. नीतीश कुमार सरकार चलाने के लिए मानसिक रूप से फिट नहीं हैं.’


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विवाद और ज़ुबानी जंग

जुबानी जंग सिर्फ उत्तर भारत तक ही नहीं सिमटी रही बल्कि पश्चिम और दक्षिण भारत के नेताओं के बयान भी काफी चर्चा में रहे.
हाल ही में महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद के बीच सीएम बसवराज बोम्मई ने एकनाथ शिंदे को कहा था कि ‘राज्य की एक इंच भी ज़मीन नहीं देंगे.’
महाराष्ट्र के दोनों सदनों में इस महीने 865 विवादित गांवों की ज़मीन राज्य में मिलाने का प्रस्ताव पास हुआ. इस पर बोम्मई ने आपत्ति जताते हुए कहा, ‘यह सिर्फ एक नौटंकी है. हम राज्य की एक इंच भी ज़मीन महाराष्ट्र को नहीं देंगे.’
वहीं, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह ने अपनी ही पार्टी के विधायक को कहा कि ‘सुधरो वरना टिकट कट जाएगा’.
मुरैना के आदिवासी इलाके से आने वाले एक विधायक जब मुख्यमंत्री से मिलने गए तो रिपोर्ट कार्ड को सामने रखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘तुम्हारे खिलाफ शिकायत है कि तुम जनता से मिलते नहीं हो और अपने इलाके में सक्रिय नहीं हो. अपना जनसंपर्क बढ़ाओ वरना टिकट कट जाएगा.’

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किसी ने नहीं छोड़ी कसर

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री राजा पटेरिया ने हाल ही में लोगों से संविधान और अल्पसंख्यकों, दलितों एवं आदिवासियों का भविष्य को बचाने की खातिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘हत्या’ करने के लिए तत्पर रहने को कहा था.

एक कथित वायरल वीडियो में कांग्रेस नेता को एक ग्रामीण क्षेत्र में एक छोटी सभा को संबोधित करते हुए देखा गया, जिसमें वह कहते हैं, ‘पीएम मोदी लोगों को धर्म, जाति और भाषा के नाम पर बांटेंगे. अल्पसंख्यकों और आदिवासियों का भविष्य संकट में है. अगर आप संविधान को बचाना चाहते हैं तो मोदी की हत्या के लिए तैयार रहें.’

वहीं, इसी राज्य के भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर हमेशा से अपने बयानों को लेकर घिरी रहती हैं. ठाकुर ने इस साल 25 दिसंबर को कर्नाटक के शिवमोगा में एक कार्यक्रम में ‘हिंदू कार्यकर्ताओं की हत्या’ की घटनाओं के मद्देनजर कहा कि हिंदुओं को उन पर और उनकी गरिमा पर हमला करने वालों को जवाब देने का अधिकार है.

उन्होंने विवादास्पद बयान देते हुए कहा था, ‘लव जिहाद करने वालों को लव जिहाद जैसा उत्तर दो, अपनी लड़कियों को सुरक्षित रखो.’  हालांकि, 29 दिसंबर को सांसद के खिलाफ कोटा पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई.

अपने भाषण से लोकसभा और मीडिया में छाई रहने वाली बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा भी पीछे नहीं रहीं.

जुलाई महीने में देवी काली को कथित तौर पर फिल्म के पोस्टर पर सिगरेट पीता हुआ दिखाने को लेकर फिल्म निर्देशिका लीना मणिमेकलाई पर सोशल मीडिया पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया. इस पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा निर्देशिका के बचाव में उतरीं थी.

उन्होंने कहा था, ‘मां काली मांस खाने और शराब पीने वाली देवी हैं.’

इस साल, 28 नवंबर, 2022 को गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी की तुलना रावण से की थी. उन्होंने एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर वोट मांगने को लेकर तंज कंसते हुए सवाल किया कि ‘क्या आपके पास रावण जैसे 100 सिर हैं? आप हर चुनाव में चेहरा दिखाने आ जाते हैं. क्या आपके रावण की तरह सौ मुख हैं?’

पीएम मोदी ने पलटवार करते हुए कहा था, ‘कांग्रेस पार्टी को नहीं पता कि यह राम भक्तों का गुजरात है.’


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