scorecardresearch
Tuesday, 19 March, 2024
होमराजनीतिAIB से AAP तक – बैकस्टेज मैनेजर विजय नायर दिल्ली 'शराब घोटाले' के बीच कैसे फंस गए

AIB से AAP तक – बैकस्टेज मैनेजर विजय नायर दिल्ली ‘शराब घोटाले’ के बीच कैसे फंस गए

दिल्ली आबकारी मामले में सीबीआई ने इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के पूर्व सीईओ नायर को आरोपी बनाया है. पार्टी में कोई औपचारिक पद न होने के बावजूद नायर AAP की मीडिया और संचार रणनीति में मुख्य भूमिका निभाते रहे हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: जब केंद्रीय जांच ब्यूरो ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार की किरकिरी करने वाले ‘शराब घोटाला’ मामले में संदिग्धों का नाम लिया तो, उनमें से एक नाम इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के पूर्व सीईओ विजय नायर का भी आया.

नायर एक बैकस्टेज मूवर और शेकर के रूप में जाने जाते हैं. 38 साल का यह शख्स सुर्खियों में नहीं रहा और कुछ समय ये आम आदमी पार्टी से जुड़ा हुआ है. लेकिन किसी भी आधिकारिक पद से उन्होंने अपने आपको दूर रखा है.

एक कॉलेज ड्रॉपआउट, जिसने 2000 के दशक की शुरुआत में पेंटाग्राम जैसे टॉप इंडी म्यूजिक एक्ट के लिए एक बैंड मैनेजर के रूप में शोहरत बटोरी और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ओनली मच लाउडर (ओएमएल) की स्थापना की, जिसे लाइव म्यूजिक फेस्टिवल ऑर्गेनाइज करने में महारत हासिल है. इसके अलावा उन्हें ऑल इंडिया बकचोद (AIB) जैसी कॉमेडी सामूहिक आयोजन के लिए भी जाना जाता है.

और फिर कुछ समय बाद यही नायर कथित तौर पर आप प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विश्वासपात्र बन गए.

आप के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि नायर 2014 से पार्टी के फंडरेजिंग अभियानों में शामिल रहे हैं, और फिलहाल बिना किसी औपचारिक पद के पार्टी की मीडिया और कम्युनिकेशन स्ट्रैटेजी के पीछे एक बड़ी ताकत हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

निश्चित तौर पर नायर अब गलत कारणों से सुर्खियों में हैं. पिछले रविवार को सीबीआई ने उन्हें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तीन नौकरशाहों और शराब उद्योग से जुड़े कम से कम चार व्यक्तियों के साथ-साथ कथित अनियमितताओं के संबंध में दर्ज एक मामले में 15 आरोपियों में से एक के रूप में नामित किया है. आप सरकार ने पिछले साल लागू की गई दिल्ली आबकारी नीति को वापस ले लिया है.

इस लिस्ट में नायर का नाम सामने आने पर यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि एक पूर्व म्यूजिक मैनेजर की राजनीतिक पार्टी के कामकाज में क्या भूमिका हो सकती है. लेकिन आम आदमी पार्टी के कई सूत्रों का दावा है कि वह सालों से परदे के पीछे रहकर एक सलाहकार के तौर पर काम रहे थे.

आप के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘हम आम आदमी पार्टी को एक राजनीतिक स्टार्टअप के रूप में देखते हैं. यह कांग्रेस या भाजपा जैसी कोई अन्य राजनीतिक पार्टी नहीं है. ऐसे में विजय (नायर) नई चीजें सामने लेकर आते रहे हैं.’

आम आदमी पार्टी नेता ने आगे कहा, ‘उनके पास विचार हैं, उनके पास एक नेटवर्क है और उनके पास वह स्किल है जो सीएम के अन्य करीबी सलाहकारों के पास नहीं है. वह खुद को पर्दे के पीछे रखकर काम करना पसंद करते हैं. यही उनकी शैली है. पार्टी को इससे कभी कोई दिक्कत नहीं हुई. अपनी स्किल के साथ-साथ, वह अपने आप में एक ब्रांड भी हैं.’

पार्टी में नायर की भूमिका पर प्रतिक्रिया लेने के लिए दिप्रिंट, आम आदमी पार्टी की मीडिया टीम के पास पहुंचा, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला.


यह भी पढ़ेंः सीनियर्स को सचेत करने के लिए एक ‘खुफिया तंत्र’ – दल-बदल पर काबू पाने के लिए केजरीवाल की नई योजना


एक एंटरटेनमेंट से ‘गेम-चेंजर’ तक

18 साल के नायर मुंबई के सिडेनहैम कॉलेज में बैचलर ऑफ कॉमर्स से अपनी पढ़ाई कर रहे थे. 2002 में उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी और उसी साल ओनली मच लाउडर (ओएमएल) कंपनी की स्थापना की. यह कंपनी लाइव म्यूजिक एंटरटेनमेंट, आर्टिस्ट मैनेजमेंट और शो बुकिंग किया करती थी.

2014 तक ओएमएल की कुल संपत्ति का अनुमान एक करोड़ अमेरिकी डॉलर था. कंपनी NH7 वीकेंडर जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के लिए जानी जाती है, जो देश में सबसे बड़ा लाइव इंडी म्यूजिक फेस्टिवल बन गया है.

एक आर्टिस्ट मैनेजमेंट कंपनी के रूप में, OML के पास पेंटाग्राम जैसे टॉप बैंड थे. इसके लाइव इवेंट में एआर रहमान और रघु दीक्षित से लेकर नोरा जोन्स और डीजे डेविड गुएटा तक के नाम शामिल रहे हैं. कंपनी ने एमटीवी इंडिया के लिए द देवरिस्ट्स नामक एक म्यूजिक सीरीज भी बनाई थी.

एक प्रमुख इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘एक समय पर, इंडी म्यूजिक इंडस्ट्री के लोग उन्हें (नायर) गेम चेंजर कहने लगे थे. वह भारत की इंडिपेंडेंट म्यूजिक इंडस्ट्री में महत्वपूर्ण शख्सियतों में से एक हैं.’

2015 तक ओएमएल ने स्टैंड-अप कॉमेडी, थिएटर, मीडिया आउटलेट्स के साथ इवेंट्स और ऑनलाइन/टीवी कंटेंट सहित कई नए क्षेत्रों में अपने पैर फैला लिए थे. कंपनी ने एआईबी के रोस्ट शो को आगे लाने में बड़ी भूमिका निभाई. भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने-माने कॉमेडियन रसेल पीटर्स के तीन शो आयोजित किए. इसके अलावा एक फेस्टिवल के लिए कॉमेडियन और अभिनेता वीर दास की वेर्डास कॉमेडी के साथ पार्टनर भी रहे.

2018 में जब भारत में #MeToo आंदोलन अपने चरम पर था, तब भी नायर विवादों के घेरे में आए थे. नवंबर 2018 में, द कारवां ने उनके साथ काम करने वाली महिलाओं के आरोपों पर एक स्टोरी चलाई थी. कंपनी ने बाद में एक बयान जारी कर आरोपों से इनकार किया था. इसी बयान में यह भी दावा किया गया कि आरोप सामने आने से लगभग छह महीने पहले नायर ओएमएल छोड़ चुके हैं.

AAP के साथ कहां फिट बैठता है?

आम आदमी पार्टी के सूत्रों के अनुसार, नायर ने सबसे पहले 2014 में पार्टी के लिए फंड रेजिंग कैंपेन शुरू किया था. नायर के साथ काम कर चुके आप के एक पूर्व पदाधिकारी ने कहा, ‘उन्हें (नायर) फंड रेजिंग इवेंट्स के लिए आसानी से बहुत सारे कलाकार मिल गए और इससे पार्टी को काफी मदद मिली.’

2011 में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के नेतृत्व में एक भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से पैदा हुई इस पार्टी को जब बने हुए सिर्फ दो साल हुए थे यानी 2014 में, केजरीवाल ने सरकार बनाने के बाद 49 दिनों के भीतर दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद छोड़ दिया था. उसी साल कांग्रेस के समर्थन से उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा था.

2015 में आम आदमी पार्टी ने वापसी की और दिल्ली राज्य के चुनावों में 70 में से 67 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया था. उसी समय से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ नायर की बॉन्डिंग कथित तौर पर मजबूत होती चली गई.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि  2019 के लोकसभा चुनावों से पहले, नायर AAP  से जुड़ी गतिविधियों खासतौर पर मीडिया प्रबंधन, केजरीवाल के रोड शो की अवधारणा और फंड रेजिंग से काफी गहराई से जुड़े थे.

आम आदमी पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘यह एक महत्वपूर्ण समय था. आप 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारी कर रही थी और उसे लोगों तक पहुंचने के लिए नई रणनीतियों की जरूरत थी.’

पार्टी के पदाधिकारी ने कहा, भले ही आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनावों में दिल्ली में सभी सात सीटों पर हार गई, लेकिन नायर की परफॉर्मेंस पर किसी ने उंगली नहीं उठाई. उन्हें पार्टी के भीतर कई प्रशंसक मिले और उनमें से सबसे बड़े खुद केजरीवाल थे.

अक्टूबर 2019 में, द कारवां ने बताया कि कैसे नायर आम आदमी पार्टी के साथ काम कर रहे थे.

रिपोर्ट में, उस समय AAP की प्रवक्ता आतिशी को यह कहते हुए उद्धृत किया गया कि नायर पार्टी के अंशकालिक स्वयंसेवक के रूप में काम कर रहे हैं और सोशल मीडिया में ‘एडहॉक वर्क’ और पार्टी के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. बाद में आतिशी विधायक बन गई थीं.

बुधवार को, दिप्रिंट ने एक फोन कॉल और मैसेज के जरिए आतिशी से संपर्क किया और पूछा कि नायर किस हैसियत से आम आदमी पार्टी के साथ जुड़े हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है.


यह भी पढ़ेंः तुसाद, पाटकर से लेकर AAP तक- ‘एक्टिविस्ट’ दिल्ली के LG वीके सक्सेना के खाते में दर्ज हैं कई जीत


‘आप की कम्युनिकेशन स्ट्रैटेजी नायर के दिमाग की उपज थी’

जैसे ही आम आदमी पार्टी ने फरवरी 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू की, नायर के पास काम का अंबार लग गया. आम आदमी पार्टी के पहले उद्धृत पूर्व पदाधिकारी ने बताया, ‘उन्होंने वही काम किया, जैसे मीडिया प्रबंधन, डिजिटल अभियान और फंड रेजिंग. लेकिन बहुत बड़े पैमाने पर, बेरोकटोक उन्हें बेतहाशा काम सौंपा गया.

जब आम आदमी पार्टी 2020 के दिल्ली चुनावों में एक बार फिर से बहुमत के साथ लौट कर आई और सरकार बनाई, तो सबसे पहले उसने अपनी मीडिया रिस्पांस स्ट्रेटजी को बदल दिया.

पार्टी के पिछले मीडिया सलाहकार का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया था और इसने एक पूरी नई टीम का गठन किया. प्रवक्ताओं से कहा गया कि वे पत्रकारों के साथ व्यक्तिगत स्तर पर बड़े मुद्दों पर टिप्पणी न करें और खुद को पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस तक सीमित रखें.

अंग्रेजी और हिंदी मीडिया आउटलेट के लिए अलग-अलग कॉर्डिनेशन टीम बनाई गई, जिसमें दो पूर्व पत्रकारों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था. नए प्रोटोकॉल के तहत, जिन पत्रकारों को सवाल करने हैं, उन्हें संबंधित नोडल मीडिया अधिकारी से संपर्क करना होगा, जिसे शीर्ष नेतृत्व और उनके सलाहकारों से अनुमोदित प्रतिक्रिया मिलती थी.

‘यह रणनीति पूरी तरह से विजय नायर के दिमाग की उपज थी,’ नायर के साथ काम करने वाले आम आदमी पार्टी के एक अन्य पूर्व पदाधिकारी ने कहा. वह आगे बताते हैं, ‘बड़े मुद्दों, नीतियों, वैधताओं और उनके आसपास की तकनीकी की पृष्ठभूमि पर मीडिया को ब्रीफ करने की ऑन रिकॉर्ड या ऑफ द रिकॉर्ड पुरानी प्रणाली को खत्म कर दिया गया. अब पार्टी और सरकार के पास दो आसान विकल्प थे: या तो जवाब देना या नजरअंदाज करना.’

दिल्ली और अन्य सभी राज्यों में जहां कहीं भी पार्टी अपना विस्तार करने की कोशिश कर रही है, वहां-वहां फरवरी 2022 से नायर उसकी पूरी कम्युनिकेशन विंग को मैनेज कर रहे है. इसमें डिजिटल कैंपेन, फंडरेजिंग, मीडिया स्ट्रेटजी, सोशल मीडिया और अन्य कई चीजें शामिल हैं. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

एक मौजूदा और एक पूर्व आम आदमी पार्टी पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘वह हमेशा पर्दे के पीछे रहकर काम करते रहे हैं. आम आदमी पार्टी की दोनों सरकारों या पार्टी में से किसी में भी उनके पास कोई आधिकारिक पद नहीं रहा है.’

ओएमएल के बनने के बाद से ही नायर के बारे में जानकारी रखने वाले बैंगलोर के एक म्यूज़िक जर्नलिस्ट ने कहा, ‘वह अलग-अलग काम करने में माहिर हैं और उन्होंने इस खेल में बाकी लोगों को पीछे छोड़ दिया. उनकी डिसिजन मेकिंग पावर भी बहुत खास है. इसलिए आम आदमी पार्टी में उनकी भूमिका को लेकर चल रही खबर उन लोगों के लिए ज्यादा हैरान करने वाली बात नहीं है, जिन्होंने उनके करियर की राह पर शुरू से नजर बनाई हुई है.’

सूत्रों ने बताया, ‘हालांकि, शराब नीति के संबंध में नायर का नाम सामने आया है. लेकिन उन्होंने इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी, स्टार्टअप नीति और बिजनेस ब्लास्टर्स नामक एक एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम सहित AAP की कई अन्य प्रमुख पहलों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.


यह भी पढ़ेंः तुसाद, पाटकर से लेकर AAP तक- ‘एक्टिविस्ट’ दिल्ली के LG वीके सक्सेना के खाते में दर्ज हैं कई जीत


CBI ने नायर पर क्या आरोप लगाया?

सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है कि नायर ‘साल 2021-22 के लिए GNCTD (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) की आबकारी नीति तैयार करने और लागू करने में अनियमितताओं में सक्रिय रूप से शामिल थे.’

एजेंसी ने नायर पर आम आदमी पार्टी सरकार की शराब नीति के संबंध में शराब उद्योग में नौकरशाहों और खिलाड़ियों से जुड़े वित्तीय लेनदेन को सक्षम करने में एक वाहक के रूप में कार्य करने का आरोप लगाया है.

19 और 20 अगस्त को सीबीआई ने दिल्ली-एनसीआर और अन्य शहरों में कई जगहों पर छापेमारी की. लेकिन वे नायर को खोज नहीं पाए. बाद में पता चला कि वह भारत में हैं ही नहीं.

नायर ने तब एक बयान जारी कर कहा कि वह चल रही जांच में सहयोग करेंगे और देश से भागे नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं पिछले कुछ हफ्तों से किसी निजी काम से विदेश में हूं. मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. तो मेरे भाग जाने का सवाल ही नहीं उठता.’ लेकिन वह फिलहाल कहां हैं, उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया.

21 अगस्त को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पत्रकारों ने सिसोदिया से नायर और आम आदमी पार्टी के साथ उनके संबंधों के बारे में पूछा था. लेकिन उन्होंने नायर पर किए गए किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया.

उसी दिन एक इंटरव्यू में जब द इंडियन एक्सप्रेस ने उनसे नायर के पार्टी के साथ जुड़ाव के बारे में पूछा, तो सिसोदिया ने कहा: ‘ये सब विजय नायर के बारे में नहीं है. उनकी मंशा केजरीवाल से जुड़े सभी लोगों को जेल भेजने की है… उन्हें जांच करने दीजिए. अभी ये सभी जांच के विषय हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः गुजरात चुनाव: ‘मुस्लिमों को ख़ुश करने’ के ठप्पे का डर, बिलक़ीस के दोषियों की रिहाई पर AAP चुप क्यों


 

share & View comments