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Thursday, 21 November, 2024
होमराजनीतिAAP के पूर्व मंत्री गौतम ने कहा, 'उत्पीड़न की वजह से हुए धर्मांतरण, भारत को बुद्ध के रास्ते पर चलना चाहिए'

AAP के पूर्व मंत्री गौतम ने कहा, ‘उत्पीड़न की वजह से हुए धर्मांतरण, भारत को बुद्ध के रास्ते पर चलना चाहिए’

राजेंद्र पाल गौतम ने भाजपा पर अंबेडकर से जुड़े ‘नियमित’ कार्यक्रम को लेकर 'गंदी राजनीति' करने का आरोप लगाया और कहा कि गुजरात चुनाव जीतना अब आप की सबसे बड़ी चुनौती है.

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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र पाल गौतम ने कहा है कि अगर भारत को फिर से खुद पर गर्व करना है तो बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करना होगा. राष्ट्रीय राजधानी में एक धर्म परिवर्तन कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति को लेकर विवाद के बाद गौतम ने रविवार को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.

बुधवार को दिप्रिंट को दिए गए एक इंटरव्यू में गौतम ने कहा कि हिंदू समाज में ‘उत्पीड़न’ के कारण भारत में बड़ी संख्या में लोग बौद्ध धर्म अपना रहे हैं.

बौद्ध धर्म का पालन करने वाले 54 वर्षीय गौतम ने कहा, ‘यह सब जाति के नाम पर किए जा रहे अत्याचारों को लेकर है. लोग घुटन महसूस करते हैं. एक IPS अधिकारी को अपनी बारात में घोड़े की सवारी करने के लिए लोगों के विरोध का सामना करना पड़ता है. ऐसा लगता है कि समाज में कुछ भी नहीं बदला है. इसलिए लोग बौद्ध धर्म में एक आशा देखते हैं. यह उम्मीदों और मानवता का धर्म है. पूरी दुनिया ने इसे स्वीकार किया है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘अगर भारत खुद को एक ऐसे राष्ट्र में बदलना चाहता है जिस पर उसे एक बार फिर से गर्व हो, तो मेरी राय में भारत को बुद्ध के मार्ग का अनुसरण करना चाहिए.’

आप का एक प्रमुख दलित चेहरा गौतम ने खुद को एक ‘कट्टर अम्बेडकरवादी’ के रूप में पहचाने जाने और अंत तक अपने समुदाय के लिए लड़ाई जारी रखने की कसम खाई है.

5 अक्टूबर को गौतम के एक कार्यक्रम में भाग लेने के वीडियो सामने आए थे, जहां वह अंबेडकर के परपोते के साथ हिंदू धर्म से बौद्ध धर्म में परिवर्तित होने के लिए 1956 में नागपुर में अनुयायियों के लिए समाज सुधारक अंबेडकर द्वारा निर्धारित 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराते हुए दिख रहे थे.

गौतम इस प्रकरण पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के सहयोगियों की चुप्पी के बारे में बचाव करते हुए दिखे. उन्होंने कहा कि आप की सबसे बड़ी चुनौती गुजरात चुनावों में भाजपा को हराना है.

उन्होंने भाजपा पर धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर लोगों को ‘आतंकित’ करने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया.

गौतम ने अपना फैसला लेने के दो बड़े कारणों का हवाला देते हुए कहा था कि इस्तीफा देने से पहले केजरीवाल के साथ कोई बातचीत नहीं हुई और यह निर्णय सिर्फ उनका अपना था.

गौतम ने कहा, ‘मूंछ रखने, मंदिरों में प्रवेश करने और धार्मिक मूर्तियों को छूने जैसे कृत्यों के लिए दलितों पर जिस तरह से हमला किया जा रहा है और जिस तरह से मारा जा रहा है, उससे मैं बहुत आहत हूं. दलित महिलाओं का रेप, मर्डर किया जा रहा है और प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और अन्य वरिष्ठ मंत्री चुप रहते हैं. जाति से संबंधित घृणा अपराधों के अपराधियों के समर्थन में बड़ी सभाओं को होते देखना और भी दुख देता है. जो हो रहा है वह शर्मनाक है.’

अपने दूसरे कारण पर चर्चा करते हुए, उन्होंने भाजपा पर अंबेडकर से संबंधित एक नियमित कार्यक्रम पर ‘गंदी राजनीति’ में लिप्त होने का आरोप लगाया, जो छह दशकों से ज्यादा समय से हर साल आयोजित किया जाता रहा है.

उन्होंने कहा, ’22 अम्बेडकर प्रतिज्ञा लेना एक नियमित आयोजन है जो हर साल पूरे भारत में अक्सर विजयादशमी के दिन आयोजित किया जाता है. दिल्ली में पहले भी ऐसा हुआ है, लेकिन कभी कोई राजनीतिक विवाद नहीं हुआ. मैं पिछले 25-30 सालों से ऐसे आयोजनों में शामिल हो रहा हूं. पिछले कुछ वर्षों में कई भाजपा नेताओं ने भी इस तरह के आयोजनों में भाग लिया है … यहां तक कि भारत सरकार ने भी अपने प्रकाशनों में 22 प्रतिज्ञाओं को प्रकाशित किया है … फिर यह नफरत क्यों है?’


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‘उत्पीड़न के कारण धर्मांतरण’

बीजेपी ने गौतम पर हिंदू देवी-देवताओं के ‘बहिष्कार’ की शपथ लेकर ‘हिंदू धर्म की आलोचना’ करने का आरोप लगाया है. दिल्ली बीजेपी नेताओं ने आप पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का भी आरोप लगाया है.

दिल्ली के पूर्व समाज कल्याण मंत्री ने भाजपा की इस हरकत को आगामी गुजरात चुनाव से जोड़ा. उन्होंने कहा, ‘आप किसी भी कीमत पर भाजपा को जीतने नहीं दे सकती. गुजरात चुनाव को देखते हुए बीजेपी इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है. लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे… भाजपा नेता इस मुद्दे से जनता को आतंकित कर रहे हैं. लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि पूरा देश देख रहा है.’

उनसे सवाल किया गया कि आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व अब तक इस विवाद पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं?

उन्होंने कहा, ‘देखिए, राजनीति में फैसले मौजूदा परिस्थितियों के आधार पर लिए जाते हैं. फिलहाल आप के लिए सबसे अहम चीज बीजेपी को हराना है. मैं पार्टी की बड़ी योजना में एक छोटा राजनीतिक कार्यकर्ता हूं. मैं एक कट्टर अंबेडकरवादी और एक कट्टर देशभक्त बना रहूंगा. मंत्री पद छोड़ना कोई बड़ा त्याग नहीं है.’

गौतम ने बताया, ‘अंबेडकर ने 1951 में हिंदू कोड बिल पर संसद में प्रतिरोध का सामना करने के बाद (भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में) अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इस बिल का उद्देश्य हिंदू समाज में कई तरह से समानता लाना था … मुझे यकीन है कि उन्होंने जो किया उन्हें उस पर गर्व होगा. मुझे भी इसी तरह अपने समुदाय की ओर से स्टैंड लेने पर गर्व है.’


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आप और अंबेडकर की विरासत

आप राज्यों में अपना विस्तार करने की कोशिश करते हुए अंबेडकर की विरासत पर एक मजबूत दावा करती रही है. जनवरी में केजरीवाल ने निर्देश दिया कि दिल्ली सरकार के कार्यालयों में सिर्फ भगत सिंह और अंबेडकर की तस्वीरें होनी चाहिए. मार्च में पंजाब में पार्टी के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी यही फैसला लिया. फरवरी में पार्टी ने दिल्ली में अम्बेडकर के जीवन पर भव्य नाटक आयोजित किया था और उनके जीवन पर आधारित कार्यक्रमों के आयोजन के लिए 10 करोड़ रुपये अलग से रखे हुए हैं.

यह पूछे जाने पर कि ‘आप’ अंबेडकर से जुड़े एक प्रकरण पर चुप क्यों है, जो उसकी राजनीति के केंद्र में भी है, उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा पूरी तरह से राजनीतिक है.

उन्होंने कहा, ‘मेरी राय में असली राजनीतिक मुद्दा अम्बेडकर या उनकी 22 प्रतिज्ञाएं नहीं है. देखिए, मुझे तो उन्होंने उनकी शपथ लेने के साथ अभी-अभी जोड़ा है…लेकिन उन्होंने (बीजेपी) गुजरात में होर्डिंग्स और पोस्टरों में इसे प्रकाशित किया… बीजेपी इन प्रतिज्ञाओं के कुछ हिस्से उठाकर नफरत फैलाने की कोशिश कर रही है. यह सिर्फ गंदी राजनीति है. गुजरात में बीजेपी हार रही है और इसलिए वे हिंदू विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं.’

गौतम ने कहा कि दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा देने का फैसला पूरी तरह से उनका अपना था. ‘वह (केजरीवाल) व्यस्त हैं और गुजरात में प्रचार करने में लगे हैं. मुझे खुद फैसला लेना था और मैंने वही किया जो मुझे सही लगा. मुझे अपने समुदाय से अपार समर्थन मिल रहा है.’

वह सीमापुरी विधायक आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने हुए हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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