नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में ‘किसान महापंचायत’ के बाद सोमवार को आंदोलनकारी किसानों का समर्थन करते हुए कहा कि ‘भारत का भाग्य विधाता’ डटा हुआ है और निडर है.
दूसरी तरफ, भाजपा ने राहुल गांधी पर एक पुरानी तस्वीर को ‘किसान महापंचायत’ की तस्वीर बताकर दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया.
राहुल गांधी ने किसानों की एक तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘डटा है, निडर है, इधर है भारत का भाग्य विधाता!’
डटा है
निडर है
इधर है
भारत भाग्य विधाता! #FarmersProtest pic.twitter.com/hnaTQV0GbU— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 6, 2021
इसके कुछ देर बाद भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने इसे री-ट्वीट करते हुए कहा, ‘राहुल गांधी को महापंचायत की सफलता का दावा करने के लिए एक पुरानी तस्वीर का उपयोग करना पड़ा. यह दिखाता है कि ‘किसान’ आंदोलन में अच्छी खासी संख्या में लोगों के शामिल होने की बात करने का एजेंडा काम नहीं आया. यह राजनीतिक है. धार्मिक नारे लगाये गए. इससे कोई संदेह नहीं बचता कि इसके पीछे का मकसद क्या है.’
That Rahul Gandhi has to use an old picture to claim success of the Mahapanchayat just shows how the propaganda to call it a well attended “farmer” agitation hasn’t worked. It is political. With religious slogans raised, it leaves no one is doubt, what the actual motivation is! https://t.co/lzXKEupqos pic.twitter.com/oqZioPm8u4
— Amit Malviya (@amitmalviya) September 6, 2021
मालवीय ने एक खबर साझा की जिससे यह प्रतीत होता है कि राहुल गांधी ने फरवरी में शामली में हुई एक किसान पंचायत की तस्वीर साझा की है.
राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने मालवीय पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, ‘ये (तस्वीर) रालोद द्वारा भैंसवाल गांव (शामली) में आयोजित किसान पंचायत की तस्वीर है. यह पंचायत किसान आंदोलन के समर्थन में बुलाई गई थी. तो ये (मालवीय) कहना क्या चाह रहे हैं?’
उधर, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ‘किसान महापंचायत’ से संबंधित एक खबर का उल्लेख करते हुए दावा किया, ‘‘यही है देश कि सच्चाई. केवल, देश बेचने वाले शासकों को नहीं दिख रही.’’
केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में रविवार को विभिन्न राज्यों के किसान मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज मैदान में किसान महापंचायत के लिए बड़ी संख्या में एकत्र हुए. अगले वर्ष के शुरु में होने वाले, उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस आयोजन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ‘किसान महापंचायत’ का आयोजन संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से किया गया.
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को नौ महीने से अधिक समय हो गया है. किसान उन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं जिनसे उन्हें डर है कि वे कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था को खत्म कर देंगे, तथा उन्हें बड़े कारोबारी समूहों की दया पर छोड़ देंगे. सरकार इन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधार और किसानों के हित में बता रही है.
सरकार और किसान संगठनों के बीच 10 दौर से अधिक की बातचीत हुई, हालांकि गतिरोध खत्म नहीं हुआ.
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