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Thursday, 25 April, 2024
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‘OBC वोटों पर नज़र’, अपना दल के संस्थापक की विरासत पर दावा करने के लिए BJP-SP ने पूरी ताकत झोंकी

कुर्मी नेता सोनेलाल पटेल की 74वीं जयंती पर अलग-अलग कार्यक्रमों में दोनों पार्टियां अपना दल के गुटों के साथ एकजुट हुईं. एक में अमित शाह और दूसरे में अखिलेश यादव शामिल हुए.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने रविवार को अनुभवी कुर्मी नेता और अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की 74वीं जयंती का इस्तेमाल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), खासकर कुर्मियों तक पहुंचने के लिए किया, जो पटेल की पार्टी का समर्थन आधार हैं.

दोनों दलों ने इस दिन को चिह्नित करने के लिए लखनऊ में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए, जिसमें अपना दल के दो गुटों – एक का नेतृत्व पटेल की छोटी बेटी अनुप्रिया और दूसरे का नेतृत्व उनकी मां और बहन ने किया – ने ओबीसी को लुभाने के लिए पहली बार अपने बड़े सहयोगियों (भाजपा और सपा को क्रमशः) को एक मंच प्रदान किया.

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब पड़ोसी राज्य बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार, जो खुद एक कुर्मी नेता हैं, जिनकी ओबीसी में अच्छी पकड़ है, 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाह रहे हैं.

भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पटेल की जयंती मनाने के लिए लखनऊ पहुंचे और अनुप्रिया के नेतृत्व वाले अपना दल गुट के कार्यकर्ताओं से 2024 में नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प लेने को कहा.

दूसरी ओर, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक अलग कार्यक्रम में भाग लिया और कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) “पीडीए (पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों की एकता का मुकाबला नहीं कर पाएगा.” और 1999 में जब भाजपा नेता कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे, तब सोनेलाल पर कथित लाठीचार्ज का ज़िक्र किया.

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दिप्रिंट से बात करते हुए, अपना दल के दोनों गुटों के अंदरूनी सूत्रों ने स्वीकार किया कि उनके बड़े सहयोगियों द्वारा पटेल की विरासत को हथियाने का असली कारण ओबीसी को एक संदेश भेजना था, जो यूपी की आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं, खासकर कुर्मी और कोईरी.

2022 की तरह इस साल भी अनुप्रिया और उनकी बहन पल्लवी लखनऊ के प्रसिद्ध इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, जो कि सबसे महत्वपूर्ण सरकारी और राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए पसंदीदा स्थल है, में अपने पिता की जयंती मनाने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित करने को लेकर भिड़ गईं.

अनुप्रिया नवंबर 1995 में अपने पिता द्वारा स्थापित मुख्य अपना दल के अपना दल (सोनेलाल) गुट की प्रमुख हैं, उनकी मां कृष्णा पटेल और बड़ी बहन पल्लवी अपना दल (कामेरावादी) गुट का नेतृत्व कर रही हैं.

दोनों गुटों ने रविवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में अलग-अलग हॉल में कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) में आवेदन किया था और उन्हें अनुमति दे दी गई.

लेकिन बाद में स्थानीय पुलिस से अनापत्ति प्रमाण पत्र की कमी के कारण प्राधिकरण द्वारा अपना दल (कामेरावादी ) का परमिट कथित तौर पर “निरस्त” कर दिया गया था. अपना दल (कामेरावादी) ने बाद में इस कार्यक्रम को लखनऊ में समाजवादी पार्टी के दफ्तर के परिसर में डॉ राम मनोहर लोहिया सभागार में स्थानांतरित कर दिया.

हालांकि, अपना दल (कामेरावादी) ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि वे एनओसी के लिए आवेदन कर सकते थे, लेकिन उन्हें ऐसा करने का समय नहीं दिया गया.

पिछले साल भी सोनेलाल की जयंती से पहले, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में एक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए अपना दल (कामेरावादी) के आवेदन को एलडीए ने रद्द कर दिया था, जिसमें कथित तौर पर कहा गया था कि गुट ने समय पर अनुमति के लिए आवेदन नहीं किया था.


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‘यह सब मोदीजी की वजह से’

अपना दल (एस) और भाजपा ने अन्य सहयोगियों के साथ पटेल की जयंती को ‘जन स्वाभिमान दिवस’ के रूप में मनाया — रामदास आठवले के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) और संजय निषाद की निषाद पार्टी, जो भाजपा के साथ क्रमशः केंद्र और राज्य स्तर पर गठबंधन में हैं.

हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (एचएएम) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के भी उपस्थित होने की उम्मीद थी, लेकिन वे इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे. अपना दल (एस) के एक अंदरूनी सूत्र ने बाद में दिप्रिंट को बताया कि बिहार और केंद्र में राजनीतिक घटनाओं को देखते हुए मांझी ने अपने विकल्प खुले रखे हैं.

कार्यक्रम में बोलते हुए, जहां यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे, शाह और अनुप्रिया दोनों ने पार्टी कार्यकर्ताओं से 2024 का आम चुनाव जीतने का संकल्प लेने को कहा और पिछड़ों के लिए मोदी सरकार द्वारा किए गए कार्यों के बारे में विस्तार से बताया.

अनुप्रिया ने कहा कि पिछड़ों के लिए मंत्रालय बनाने की मांग लंबे समय से लंबित थी और उन्हें विश्वास है कि मोदी के नेतृत्व में यह पूरी होगी.

उन्होंने कहा, “मोदीजी के नेतृत्व में पिछड़ों के हित के लिए एक नहीं बल्कि कई फैसले लिए गए हैं.”

उन्होंने कहा, “अगर किसी ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया, तो वह मोदीजी की सरकार है. नीट परीक्षा और स्नातकोत्तर प्रवेश प्रक्रिया में यदि किसी ने पिछड़ों के लिए आरक्षण लागू किया तो वो मोदी जी की सरकार है. अगर सैनिक स्कूलों, नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों में पिछड़ों के लिए आरक्षण लागू किया गया, तो यह मोदीजी के कारण ही संभव था.”

शाह ने कार्यकर्ताओं से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि अपना दल (एस), भाजपा और निषाद पार्टी मिलकर 2024 का चुनाव जीतें.

उन्होंने कहा, “आज़ादी के बाद यह एनडीए की पहली कैबिनेट है जहां 27 पिछड़े मंत्री काम कर रहे हैं. पहली बार, एनडीए गठबंधन के तहत, पिछड़े, आदिवासी और दलित समुदायों से अधिकतम संख्या में सांसद हैं.”

उन्होंने ओबीसी के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में अनुप्रिया की बातें दोहराईं और राज्य सरकारों द्वारा पिछड़े वर्गों के लिए किए गए कार्यों का भी उल्लेख किया, जैसे कि यूपी के आज़मगढ़ में एक यूनिवर्सिटी का नाम महाराजा सुहेलदेव राजभर के नाम पर रखा गया.

सीएम आदित्यनाथ ने कहा, “सामाजिक न्याय के जिन सपनों के लिए उन्होंने (सोनेलाल पटेल) लड़ाई लड़ी थी, उन्हें पीएम मोदी ने पिछले नौ वर्षों में साकार किया है.”


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‘पीडीए के साथ समाजवादी जीतेंगे’

सपा और अपना दल (कामेरावादी) के कार्यकर्ताओं से बात करते हुए, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भारत में जातिगत जनगणना की आवश्यकता के बारे में बात की.

उन्होंने कहा, “जब हम एक साथ मिलते हैं और (जाति जनगणना का) सवाल उठाते हैं, तो भाजपा हमारे बारे में सवाल उठाती है…वो हमें जातिवादी कहते हैं. देखिये बीजेपी ने कितनी चतुराई से सबका साथ सबका विकास का नारा दिया है. यह महज़ जुबानी जमाखर्च से नहीं होता.”

उन्होंने कहा,“असमानता तभी खत्म होगी जब जाति जनगणना होगी और जब समुदायों को उनकी आबादी के अनुसार अधिकार और सम्मान दिया जाएगा.”

अखिलेश ने बताया कि पटेल ने अपने पूरे जीवन में बहुजन समुदाय के लिए काम किया और अपना जीवन उनके हितों के लिए समर्पित कर दिया.

1999 में एक चुनाव पूर्व बैठक के दौरान पटेल पर हुए कथित लाठीचार्ज का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा, “ऐसे कई उदाहरण थे जब उन्हें जोखिम उठाना पड़ा और उन पर हमला किया गया. इलाहाबाद में जब वह पीडी टंडन पार्क में एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए निकले थे, तो याद है उन पर हमला किसने किया था? और वो हमला इतना भयानक था कि उन्हें सालों तक इलाज कराना पड़ा.”

अखिलेश ने कहा, “उन्होंने हमेशा वंचितों के लिए आवाज़ उठाई और मुझे लगता है कि उनके दिखाए रास्ते पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.”

उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को “पीडीए” (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्याक) समुदायों के उन लोगों की संख्या बतानी चाहिए जिन्हें हाल के दिनों में राज्य सरकार में नियुक्तियां मिली हैं.

यादव ने कहा, “भाजपा सरकार को बताना चाहिए कि क्या पीडीए के लोगों को भारत में उनकी आबादी के अनुसार सम्मान मिल रहा है. यह एक लंबी लड़ाई है और हमें उम्मीद है कि एनडीए पीडीए के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएगा.” उन्होंने कहा, “समाजवादी पीडीए के साथ आगे बढ़ेंगे और आने वाले दिनों में हम जीतेंगे.”

‘पिछड़े वोट महत्वपूर्ण’

दिप्रिंट से बात करते हुए, अपना दल (एस) के एक नेता ने कहा कि शाह पहली बार चुनावों के कारण और पिछड़े मतदाताओं को लुभाने के लिए पटेल की जयंती मनाने के लिए उपस्थित हुए थे, जिन्होंने 2014 और 2019 के आम चुनावों में भाजपा को जीतने में मदद की थी.

पार्टी के अंदरूनी सूत्र ने कहा, “यह सब पिछड़े वोटों के बारे में है. आम चुनाव करीब आ रहा है और बीजेपी जानती है कि यूपी में ओबीसी वोट मायने रखते हैं. यही कारण है कि शाह सोनेलाल पटेल की विरासत को हथियाने और पिछड़े वर्गों को एक संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि “सालगिरह समारोह में मौजूद अधिकांश कार्यकर्ता भाजपा के थे, अपना दल (एस) के नहीं” और शिकायत की कि हालांकि, दोनों सहयोगियों ने कई बार एक साथ चुनाव लड़ा, लेकिन अपना दल के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही थी और पार्टी “कुछ लोगों के हाथ में थी”

लोकनीति-सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज़ के चुनाव बाद सर्वे के अनुसार, 2014 के आम चुनाव में 53 प्रतिशत कुर्मी और कोइरी और 60 प्रतिशत अन्य ओबीसी ने भाजपा को वोट दिया.

दिप्रिंट से बात करते हुए, अपना दल (कामेरावादी) प्रमुख कृष्णा पटेल ने कहा कि उन्हें समाजवादी पार्टी कार्यालय का विकल्प चुनना पड़ा क्योंकि उन्हें इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई थी.

उन्होंने कहा, “पिछले साल की तरह जब हमें कई बार भुगतान करने के बावजूद कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई थी, इस बार भी सरकारी शक्ति के दुरुपयोग के कारण हमें (एलडीए द्वारा) अनुमति नहीं दी गई.”

अपना दल (एस) के आयोजन के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सब आम चुनाव के कारण था.

उन्होंने कहा, “यह केवल चुनाव के कारण हो रहा है. जहां तक हमारे कार्यक्रम का सवाल है, हमें अनुमति नहीं मिलने के कारण हमें एसपी कार्यालय में शिफ्ट करना पड़ा. हम जाति जनगणना की मांग तब तक उठाते रहेंगे जब तक सरकार इस पर सहमत नहीं हो जाती.”

अपना दल के दोनों गुट मध्य और पूर्वी यूपी के जिलों में प्रभाव रखते हैं, खासकर कुर्मी और कोइरी के बीच, जो प्रयागराज, वाराणसी, मिर्ज़ापुर, कौशांबी, चंदौली, भदोही, सोनभद्र, फतेहपुर, बस्ती, गोंडा, प्रतापगढ़, बहराईच जैसे जिलों में एक महत्वपूर्ण वोटबैंक बनाते हैं.

पीडीए बनाम एनडीए का नारा देने वाली सपा भी खुद को पिछड़े समुदायों की असली हितैषी के तौर पर पेश कर रही है.

सपा प्रवक्ता मनोज सिंह काका ने दिप्रिंट को बताया, “पटेल की आत्मा समाजवादियों के साथ है और अगर कोई वास्तव में उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहा है, तो वह हमारी विधायक पल्लवी पटेल हैं.”

पल्लवी ने 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव सिराथू से सपा के सिंबल पर लड़ा था.

उन्होंने कहा, “देखिए कैसे अलोकतांत्रिक तरीके से एलडीए ने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के लिए अपना दल (के) द्वारा की गई बुकिंग को रद्द कर दिया. अनुमति रद्द होने के बाद अपना दल (कामेरावादी) ने हमें सुझाव दिया कि वे समाजवादी पार्टी के सभागार में कार्यक्रम आयोजित करना चाहते हैं. चूंकि वे हमारे साथ गठबंधन में हैं, हमने उनसे कहा कि हमारा कार्यालय उनके लिए खुला है. आज हमारे नेता अखिलेश यादव जी द्वारा पीडीए शब्द को एक महत्वपूर्ण अर्थ दिया गया. डॉ. पटेल का जीवन संघर्ष से भरा था और उनकी असली विरासत उन लोगों के पास रहेगी जो पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों के बारे में बात करते हैं.”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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