मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को कलंबोली पुलिस स्टेशन के बाहर मराठी अभिनेत्री केतकी चितले पर स्याही और अंडे फेंके, जब पुलिस उन्हें एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक पोस्ट के मामले में पकड़कर ले जा रही थी. दो दिन बाद एनसीपी की महिला कार्यकर्ताओं को चितले की फोटो पर जूते-चप्पल फेंकते देखा गया.
चितले को एक वकील की तरफ से कथित तौर पर ‘80 वर्षीय पवार’ का जिक्र करते हुए लिखी गई कविता साझा करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें उन्हें ‘मच्छर’ और ‘ब्राह्मणों से नफरत करने वाला’ बताया गया है और कहा गया है कि ‘नरक उनका इंतजार कर रहा है.’
महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में स्याही, अंडे, चप्पल फेंकने या फिर मुक्का जड़ देने जैसी घटनाएं अनसुनी नहीं हैं. लेकिन आम तौर पर ये शिवसेना से जुड़ी रही हैं— जैसे 2015 में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सुधींद्र कुलकर्णी पर स्याही फेंकी गई थी या फिर पिछले महीने भाजपा नेता किरीट सोमैया की कार पर जूते फेंके जाने की घटना.
हालांकि, पिछले कुछ दिनों से शिवसेना की सहयोगी एनसीपी सोशल मीडिया पर पार्टी प्रमुख शरद पवार की आलोचना के खिलाफ ऐसे आक्रामक विरोध को लेकर सुर्खियों में बनी हुई है. इसमें पार्टी की महिला कार्यकर्ता सबसे आगे हैं.
राजनीतिक टिप्पणीकार हेमंत देसाई ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि एनसीपी, जो आम तौर पर आक्रामक छवि के लिए नहीं जानी जाती है, हर बार पवार की किसी भी तरह की ज्यादा आलोचना के विरोध में आक्रामक तेवर अपना लेती है.
देसाई ने कहा, ‘पार्टी का गठन शरद पवार की लार्जर दैन लाइफ छवि, उन्हें ‘रैयतेचा राजा (जननेता)’ बताने के इर्द-गिर्द किया गया है. इसलिए, अगर पवार के खिलाफ कुछ भी कहा जाता है तो पार्टी उसी तरह आक्रामक हो जाती है जैसे शिव सैनिक बाल ठाकरे के लिए हो जाते थे.’
उदाहरण के तौर पर, उस समय को लीजिए, जब 2011 में एनसीपी सदस्यों ने अन्ना हजारे का पुतला फूंका था क्योंकि सामाजिक कार्यकर्ता ने एक नाराज व्यक्ति द्वारा तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री पवार को थप्पड़ जड़ने की घटना पर टिप्पणी की थी. हजारे ने मजाक में पूछा था कि क्या एनसीपी अध्यक्ष को सिर्फ एक बार थप्पड़ पड़ा था.
2019 में एनसीपी कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक में एक कथित घोटाले के सिलसिले में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पवार का नाम आने के बाद मुंबई में ईडी दफ्तर के सामने विरोध प्रदर्शन किया.
इसे लेकर एनसीपी का तर्क था कि ‘पिता तुल्य’ पवार के खिलाफ व्यक्तिगत हमले पार्टी सदस्यों को असहज करने वाले हैं.
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‘पवार साहेब हमारे लिए पिता तुल्य’
चितले की गिरफ्तारी से एक दिन पहले, एनसीपी कार्यकर्ताओं ने पवार के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक ट्वीट करने को लेकर एक छात्र नितिन भामरे के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिस ट्वीट को पार्टी ने जान से मारने की धमकी के तौर पर देखा था. भामरे ने अपने ट्वीट में पवार को ‘बारामती का गांधी’ बताया था और कहा था कि ‘बारामती के एक नाथूराम गोडसे तैयार करने का समय आ गया है.’ इस टिप्पणी के लिए भामरे को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया था.
इसके अगले दिन, भाजपा प्रवक्ता विनायक आंबेकर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि एक पोस्ट को पवार के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी बताते हुए एनसीपी के कुछ कार्यकर्ताओं ने उन्हें थप्पड़ मारा था. महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने इस घटना का एक कथित वीडियो भी ट्विटर पर साझा किया.
इंडियन एक्सप्रेस ने बाद में आंबेकर के हवाले से लिखा कि उन्होंने फेसबुक पर एक कविता पोस्ट की थी और फिर आखिरी दो पंक्तियों को हटा दिया था क्योंकि उन्हें महसूस हुआ कि वे ‘अनुचित’ थीं.
आंबेकर के हवाले से लिखा गया था, ‘मैंने अपने फेसबुक पेज पर एक कविता पोस्ट की थी. मैंने किसी का नाम नहीं लिया था. लेकिन मैं मानता हूं कि मुझे कविता में अंतिम दो पंक्तियां नहीं लिखनी चाहिए थीं. मेरे पास हमारे नेताओं गिरीश बापट और जगदीश मलिक का भी फोन आया था.’
आंबेकर के मुताबिक, ‘उन्होंने कहा कि उन्हें मेरे पोस्ट पर आपत्ति जताते हुए एनसीपी के अंकुश काकड़े का फोन आया था. मैंने अपने नेताओं के कहने पर तुरंत दोनों पंक्तियां हटा दीं. लेकिन मैंने भी यह महसूस किया कि दो पंक्तियां अनुचित थीं. फिर मैंने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर माफी भी मांगी.’
चितले पर एनसीपी की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर पार्टी नेता महेश तापसे ने दिप्रिंट से कहा कि उनका पोस्ट शरद पवार पर व्यक्तिगत हमला था.
तापसे ने कहा, ‘पवार साहब सिर्फ हमारे नेता नहीं हैं. हमारे लिए वह हमारे परिवार के मुखिया हैं. और अगर कोई हमारे परिवार के मुखिया के बारे में कुछ अपमानजनक कहता है, तो स्वाभाविक है कि पार्टी कार्यकर्ता नाराज ही होंगे. यही वजह है कि पार्टी की महिला कार्यकर्ता ज्यादा नाराज हैं, क्योंकि यह उनके लिए पिता के अपमान जैसा है. आप सरकार और उसकी नीतियों की आलोचना करने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन चितले ने जो कहा वह विशेष तौर पर निजी स्तर पर काफी अपमानजनक था.’
तापसे ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया भावनात्मक थी लेकिन साथ ही उन्होंने आंबेकर पर हमले की निंदा भी की.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन इसी तरह, जब भाजपा के एक सदस्य ने हमारी पार्टी के एक नेता को थप्पड़ मारा था, तो मैंने उस पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को इस पर कुछ भी कहते नहीं देखा.’
तापसे सोमवार की उस घटना का जिक्र कर रहे थे, जिसमें एनसीपी महिला इकाई की कुछ कार्यकर्ताओं की पुणे के एक सभागार— जहां केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में हिस्सा ले रही थीं— में भाजपा नेताओं के साथ झड़प हो गई थी.
कार्यक्रम के अंत में एनसीपी की कुछ कार्यकर्ता सभागार में पहुंच गईं और उन्होंने ईंधन की बढ़ती कीमतों पर ईरानी को एक ज्ञापन देने की कोशिश की, जिसे लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ उनकी बहस हो गई. एनसीपी ने दावा किया कि भाजपा के पुरुष कार्यकर्ताओं ने एनसीपी की महिला कार्यकर्ताओं पर हमला किया और पार्टी की एक नेता को मारा भी.
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