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Friday, 10 May, 2024
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दिल्ली हिंसा: संसद में अमित शाह के इस्तीफे पर अड़ा विपक्ष, कांग्रेस और भाजपा के सांसदों में हुई धक्का-मुक्की

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, 'हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि सदन की मर्यादा को बनाकर रखा जाए. जो कुछ भी आज सदन में हुआ उससे मैं व्यक्तिगत रूप से काफी दुखी हूं. मैं ऐसी स्थिति में सदन संचालित नहीं करना चाहता.'

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नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार से शुरु हो गया है. कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल दिल्ली में हुई हिंसा के मामले को दोनों सदनों में जोर-शोर से उठाया. दोनों सदनों में गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग भी की. लोकसभा में भाजपा और विपक्षी सदस्यों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, ‘हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि सदन की मर्यादा को बनाकर रखा जाए. जो कुछ भी आज सदन में हुआ उससे मैं व्यक्तिगत रूप से काफी दुखी हूं. मैं ऐसी स्थिति में सदन संचालित नहीं करना चाहता.’

दो बजे शुरू हुई लोकसभा में हंगामे के बीच भी कामकाज चलता रहा. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास बिल 2020 सदन में पेश किया. हंगामे के बीच भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने बिल पर चर्चा शुरु की. विपक्षी दल हंगामा करते रहे. इस बीच विपक्षी सदस्य सत्ता पक्ष की बेंच की तरफ आ गए और हंगामा कर तख्तियां लहराने लगे. वहीं जायसवाल को बोलने से रोकने के लिए पूरी कोशिश की लेकिन भाजपा के सांसद अपनी सीटों से उठकर वहां पहुंच गए  उनलोगों के बीच धक्कामुक्की भी हुई. भारी हंगामे बाद सदन की कार्यवाही को  4 बजे तक स्थगित कर दिया गया.

कार्यवाही के पहले दिन दिल्ली के हिंसा के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पार्टी के अलावा तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई, एआईएमआईएम,एनसीपी, डीएमके,एसीपी ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था.

जैसे ही लोकसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरु हुई तो जेडीयू सांसद बैद्यनाथ प्रसाद महतो को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इसके बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने दिल्ली दंगे का मामला उठाया तो सदन में हंगामा मच गया. स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी.

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वहीं दूसरी तरफ राज्यसभा में भी कार्यवाही जैसे सुबह शुरु हुई तब कांग्रेस नेता गुलाब नबी आजाद और आप सांसद संजय सिंह ने दिल्ली में हुई हिंसा पर चर्चा की मांग की .विपक्ष की मांग पर राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा,’ हम सभी को शांति की अपील करनी चाहिए. सामान्य परिस्थितयां लाना बेहद जरुरी है.’

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘अगर केंद्र सरकार की स्थिति सामान्य करने में रुचि होती तो वह तीन दिन और रात सोई हुई नहीं रहती. आजाद के बयान के बाद नेता सदन थावरचंद गहलोत ने कहा कि कांग्रेस नेता का यह बयान निंदनीय है. हंगामे के चलते सभापति ने सदन की कार्यवाही को दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी.

दो बजे जब लोकसभा की कार्यवाही शुरु हुई तो विपक्षी सदस्यों ने दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग फिर से शुरू की. वहीं ‘प्रधानमंत्री जवाब दो के भी नारे लगे.’ इस दौरान विपक्ष के सांसद बैनर लेकर वेल तक पहुंच गए. इधर,राज्यसभा में भी दिल्ली हिंसा को लेकर हंगामा हो जारी रहा. यहां भी विपक्षी सदस्य गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग करते रहे. हंगामे के चलते राज्यसभा को भी मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

​हंगामे पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा, ‘सदस्य सदन के नियम और परंपरा का पालन करें. मैं सभी को बोलने का अवसर को दूंगा. हर मुद्दे पर चर्चा होगी लेकिन सदन में हंगामा नहीं करे. स्पीकर ने कहा आपको देश की जनता देख रही है. आप यहां चर्चा करने आते है या हंगामा करने आते है.’

बिरला ने कहा, ‘सामान्य स्थिति होने के बाद ही सदन में चर्चा होगी. हम सभी को शांति और सद्भाव के लिए सामूहिक प्रयास करना चाहिए. इस मामले भी सभी दल अपनी जिम्मेदारी समझें.

हंगामे के बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने विपक्षी सदस्यों का कहा कि चर्चा तभी होगी जब यहां शांति होगी. जिनके कार्यकाल में 1984 जैसी घटना हुई वो आज यहां पर हंगामा कर रहे है. मैं इसकी निंदा करता हूं.

संसद के पहले दिन दिल्ली के दंगों के लेकर टीएमसी के सांसद संसद भवन परिसर में आंखों की पट्टी बांधकर और होठों पर उंगली रख कर प्रदर्शन भी किया. वहीं आम आदमी पार्टी के सांसदों ने भी विरोध प्रदर्शन किया.

रविवार को कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि कांग्रेस ​दिल्ली मेंं हुए दंगे के मुद्दे को हम संसद में मजबूती से उठाएंगी. वहीं हिंसा की वजह पूछेगी.

गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी. सोनिया उनसे अपील की थी कि ‘राजधर्म का पालन’ न करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह का इस्तीफा लिया जाए.

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1 टिप्पणी

  1. जो pm सोशल मीडिया से ना हट सका वो गृह मंत्री को क्या हटायएगा?

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