बेंगलुरु: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने राज्य की महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए सोमवार को कर्नाटक में पार्टी की ‘ना नायकी’ या ‘मैं एक नेता हूं’ योजना की शुरुआत की. प्रस्तावित योजना के तहत पार्टी ने वादा किया कि अगर वह इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता में आती है तो घर की प्रत्येक महिला मुखिया को 2,000 रुपये देने का वादा करती है.
कांग्रेस का दावा है कि यह पॉलिसी चुनावी कर्नाटक में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए है. दिप्रिंट ने जिन महिला नेताओं से बात की, उन्होंने दावा किया कि विधानसभा और विधान परिषद चुनावों के लिए टिकट वितरण के दौरान, उनके पुरुष समकक्षों के लिए, जो महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले पदों पर काबिज हैं, अक्सर उन्हें दरकिनार कर दिया गया.
नाम न बताने की शर्त पर, कांग्रेस की कर्नाटक इकाई की एक महिला पदाधिकारी, ने स्थिति को “दुखद, अनुचित, निराशाजनक और चुनौतीपूर्ण” बताया.
उन्होंने आरोप लगाया, “पिछले चुनाव से लेकर इस चुनाव तक, मैं काम कर रही हूं और वे (पार्टी नेतृत्व) किसी ऐसे व्यक्ति को आगे बढ़ाएंगे जो एक पुरुष है और जिसके पास बहुत सारा पैसा व रसूख है.”
एक अन्य नेता ने दावा किया कि सभी निर्वाचित राज्यों और स्थानीय निकायों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व “काफी कम” है.
नंबर बता रहे हैं. राज्य विधानमंडल के आंकड़ों से पता चलता है कि 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में केवल 11 महिलाएं हैं – कांग्रेस से छह, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से तीन, जनता दल (सेक्युलर) से एक, और एक मनोनीत सदस्य.
इस बीच, कर्नाटक विधान परिषद में तीन महिला विधायक हैं – ये सभी भाजपा से हैं.
कर्नाटक में महिला कांग्रेस की अध्यक्ष पुष्पा अमरनाथ किसी भी सदन का हिस्सा नहीं हैं.
संपर्क करने पर, बेंगलुरु के जयनगर से कांग्रेस विधायक और निचले सदन में पार्टी की केवल छह महिला विधायकों में से एक, सौम्या रेड्डी ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी “सर्वेक्षण” करने जा रही है, जो अन्य बातों के अलावा, महिला नेताओं की पहचान करने में मदद करेगी.
रेड्डी ने कहा, “राज्य के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में सर्वेक्षण किया जा रहा है.”
इस बीच, राज्य के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बसवराज बोम्मई द्वारा ‘ना नायकी’ योजना का मजाक उड़ाया गया, जिन्होंने कहा कि “कर्नाटक में महिलाएं गांधी को नेता बनाने के लिए तैयार नहीं हैं”.
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‘महिलाओं को देंगे प्राथमिकता’
कांग्रेस की कर्नाटक इकाई में कोई भी शीर्ष नेता महिला नहीं है. राज्य में कांग्रेस के सभी सात शीर्ष नेता – कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के प्रमुख डी.के. शिवकुमार, पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के वर्तमान नेता सिद्धारमैया, और राज्य के सभी पांच कार्यकारी अध्यक्ष पुरुष हैं.
पिछले मई में केपीसीसी की महासचिव कविता रेड्डी ने विधान परिषद चुनावों में पार्टी उम्मीदवारों के चयन को लेकर सोशल मीडिया के जरिए पार्टी पर “पितृसत्तामक” और “अन्यायपूर्ण” रवैया अपनाने का आरोप लगाया था.
रेड्डी ने फेसबुक पर पोस्ट किए एक वीडियो में कहा, “क्या महिलाएं सक्षम और योग्य नहीं हैं?” “लगातार तीसरी बार, कर्नाटक कांग्रेस ने विधान परिषद में महिलाओं को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया है. यहां तक कि महिला नेताओं द्वारा खाली की गई सीटों को भी पुरुष नेताओं को दे दिया गया. यह बहुत गंभीर सवाल है… क्या महिलाएं सक्षम और योग्य नहीं हैं या उन्हें हल्के में लिया जाता है या पार्टी में महिला नेताओं की आवश्यकता नहीं है.”
कांग्रेस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि आगामी चुनावों में जिन 1,350 लोगों पर पार्टी के टिकट के लिए विचार किया जाना था, उनमें महिलाओं की संख्या लगभग 100 के करीब थी.
गांधी द्वारा ‘ना नायकी’ का अनावरण करने के कुछ घंटों बाद, सीएम बोम्मई ने इस योजना के साथ-साथ प्रियंका गांधी का भी मज़ाक उड़ाया. उन्होंने कहा कि जानती है कि वह सत्ता में नहीं आने वाली फिर भी वह इस तरह का वादा कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘आज लोगों को प्रियंका गांधी की फोटो लगाकर ‘ना नायकी’ कहना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति आ गई है कि प्रियंका गांधी को खुद को महिला नेता घोषित करना पड़ रहा है.’ “कर्नाटक की महिलाएं उन्हें नेता बनाने के लिए तैयार नहीं हैं. इसलिए, प्रियंका ने खुद को एक नेता के रूप में घोषित किया है. ”
वहीं कांग्रेस का कहना है कि पार्टी अपनी आंतरिक समस्याओं को दूर करने और आगामी चुनावों में महिलाओं को टिकट देने के लिए प्रतिबद्ध है.
कांग्रेस विधायक सौम्या रेड्डी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम महिलाओं को प्राथमिकता देने जा रहे हैं और सामाजिक न्याय को ध्यान में रखेंगे क्योंकि यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है.’
(संपादन एवं अनुवादः शिव पाण्डेय)
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