लखनऊ: कांग्रेस को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उस समय तगड़ा झटका लगा, जब इलाक़े में उसके नामी पिता-पुत्र जाट चेहरों हरेंद्र मलिक और पंकज मलिक ने बुधवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
हरेंद्र पूर्व राज्यसभा सांसद हैं जबकि पंकज दो बार के विधायक हैं. दोनों के जल्द ही समाजवादी पार्टी (एसपी) में शामिल होने की संभावना है.
पंकज ने दिप्रिंट को बताया, ‘कुछ अपरिहार्य कारणों से हमने पार्टी को छोड़ दिया है. हमने पार्टी के लिए इतना कुछ किया है, लेकिन हमें उसका समुचित फल नहीं मिल रहा था’.
‘हमें आलाकमान के साथ कोई शिकायत नहीं है, लेकिन अब आगे बढ़ने का सही समय आ गया है. हमने अपने चुनाव क्षेत्र के नैरेटिव को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया है. बहुत संभव है कि हम समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे, लेकिन अभी तक शामिल होने की कोई अंतिम तिथि तय नहीं की गई है’.
पंकज ने इस ओर भी इशारा किया कि स्थानीय नेतृत्व उनके कार्यकर्त्ताओं की अनदेखी कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘राजनीति में 17 साल तक पार्टी के प्रति इतना समर्पित रहने के बाद, मैं अनादर सहन नहीं कर सकता’.
एक यूपी कांग्रेस पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि जोड़ी के इस्तीफा देने से, पार्टी ने इलाक़े में अपने आख़िरी जाने-पहचाने चेहरे गंवा दिए हैं.
पदाधिकारी ने कहा, ‘यहां पर मलिक परिवार ही हमारे लिए जाने-पहचाने जाट चेहरे थे. पहले, पूर्व सांसद चौधरी बिजेंद्र सिंह और कुछ अन्य जाट नेता भी पार्टी छोड़ चुके हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘अब पार्टी को स्थानीय स्तर पर एक नए जाट नेतृत्व को आगे बढ़ाना चाहिए, लेकिन मलिक परिवार का जाना एक बड़ा नुक़सान है’.
पदाधिकारी ने आगे कहा कि पंकज प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष भी रहे हैं, जबकि उनके पिता हरेंद्र मलिक प्रियंका गांधी वाड्रा की सलाहकार समिति के सदस्य रहे थे.
मलिक परिवार के एक क़रीबी सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि पंकज विधान सभा चुनाव लड़ना चाहते हैं, जबकि हरेंद्र लोकसभा टिकट पर निगाहें लगाए हुए हैं.
सूत्र ने आगे कहा कि अगर यादव और मुस्लिम मिश्रण को जाट वोट बैंक के साथ जोड़ दिया जाए, तो वो मुज़फ्फर नगर-शामली बेल्ट में 40 प्रतिशत से अधिक वोट बन जाएंगे, जहां से पिता-पुत्र की जोड़ी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है.
सूत्र ने आगे कहा कि पिता और पुत्र दोनों, कांग्रेस-एसपी-राष्ट्रीय लोक दल के गठबंधन पर अंतिम फैसले का इंतज़ार कर रहे थे, लेकिन अब कांग्रेस के अकेले लड़ने के फैसले के बाद, वो एक और चुनाव हारना नहीं चाहते.
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SP का ग़ैर-यादवों पर ज़ोर
मलिक जोड़ी के ऐसे समय पर समाजवादी में जाने की संभावना है, जब पार्टी प्रमुख ग़ैर-यादव चेहरों को अपने साथ शामिल करने पर ज़ोर दे रही है.
मंगलवार को, एसपी ने अपनी 72 सदस्यीय राज्य कार्यकारी समिति का पुनर्गठन किया. एक एसपी पदाधिकारी ने कहा कि अपने परंपरागत यादव-मुस्लिम वर्चस्व में बदलाव करते हुए, नई कमेटी के 40 प्रतिशत से अधिक सदस्य ग़ैर-यादव ओबीसी (अन्य पिछड़ी जातियों) से हैं, जिसके साथ ही ब्राह्मण और दलितों का भी अच्छा प्रतिनिधित्व है.
पदाधिकारी ने कहा, ‘72 सदस्यीय कमेटी में 40 प्रतिशत से अधिक ओबीसीज़, 10 ब्राह्मण, 11 मुस्लिम, और 6 से अधिक दलित प्रतिनिधि हैं. सूबे के सभी क्षेत्रों को एक संतुलित प्रतिनिधित्व दिया गया है. कमेटी में केवल सात यादव हैं’.
‘कमेटी के ग़ैर-यादव ओबीसीज़ में निषाद, कश्यप, कुर्मी, बींद, पाल, मौर्य, कुशवाहा, प्रजापति, सैनी, साहू, और गुर्जर समुदायों के सदस्य शामिल हैं’.
एसपी पदाधिकारी ने आगे कहा, कि पार्टी अन्य जातियों के और अधिक जाने-पहचाने चेहरों को, अधिकारिक पदों पर नियुक्त करने की तैयारी कर रही है. उन्होंने कहा, ‘नई कार्यकारी टीम के 24 सचिवों में केवल चार यादव हैं. ये हमारे फोकस को दर्शाता है. अगर मलिक परिवार शामिल हो जाता है, तो ये उनके और हमारे दोनों के लिए जीत की स्थिति होगी’.
एसपी के एक दूसरे सूत्र ने बताया कि पश्चिम यूपी कांग्रेस के एक और प्रमुख नेता, इमरान मसूद भी एसपी आलाकमान के संपर्क में हैं.
हालांकि मसूद ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने के सुझावों से इनकार किया है, लेकिन उन्होंने असैम्बली चुनावों के लिए एसपी के साथ गठबंधन की पैरवी की है.
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