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Friday, 3 May, 2024
होमदेशगोवा में 2022 के चुनाव को लेकर गठबंधन पर बातचीत तेज, लेकिन कांग्रेस ‘बेपरवाह’ नजर आ रही है

गोवा में 2022 के चुनाव को लेकर गठबंधन पर बातचीत तेज, लेकिन कांग्रेस ‘बेपरवाह’ नजर आ रही है

2017 में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने के बावजूद गोवा में सरकार बनाने में भाजपा से पिछड़ गई थी, इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि उसने अन्य पार्टियों और निर्दलीयों के साथ कोई गठबंधन नहीं किया था.

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मुंबई: विधानसभा चुनावों में अब जबकि पांच महीने से भी कम समय बचा है, गोवा में चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए विभिन्न पार्टियों ने एक-दूसरे के साथ संपर्क साधना और नेताओं के बंद कमरों में बैठकें करना शुरू कर दिया है.

हालांकि, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस इस सबमें पीछे नजर आ रही है. पार्टी ने न तो खुद औपचारिक तौर पर किसी क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन के लिए कोई वार्ता शुरू की है, न ही सार्वजनिक रूप से ऐसा कोई प्रस्ताव दिया है, और न ही अन्य दलों के ऐसे किसी संदेश पर कोई प्रतिक्रिया दी है.

गोवा कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारे नेता पी. चिदंबरम और दिनेश ग्रुंडु राव गोवा में ब्लॉक स्तर पर दौरे कर रहे हैं और स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं. गठबंधन पर किसी भी पार्टी के साथ कोई औपचारिक चर्चा शुरू नहीं हुई है.’

2017 में साधारण बहुमत से महज तीन सीटें कम हासिल करने के बाद कांग्रेस गोवा में सबसे बड़े राजनीतिक दल के तौर पर उभरने के बावजूद खासकर इस वजह से सरकार बनाने में भाजपा से पीछे रह गई थी क्योंकि अन्य पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ गठबंधन की दिशा में उसने कोई कदम नहीं उठाया.

राजनीतिक विश्लेषक क्लियोफेटो कॉटिन्हो का कहना है, ‘ऐसा लगता है कांग्रेस वही गलती फिर दोहरा रही है जो उसने 2017 में की थी. हालांकि, इस बार पर्दे के पीछे कुछ बातचीत चल रही है. लेकिन, यह सच है कि उन्होंने (कांग्रेस ने) सुसगेड (आरामतलब) राजनीति की राह अपना रखी है. चुनाव जीतने के लिए आवश्यक आक्रामक प्रवृत्ति का कांग्रेस में अभाव है.’

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गठबंधन पर बातचीत कर रहीं पार्टियां

भाजपा की पूर्व सहयोगी गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) 2022 के लिए चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के साथ बातचीत कर रही है.

2017 में जीएफपी ने सरकार बनाने में मदद करने के लिए भाजपा के साथ गठबंधन किया था, लेकिन बाद में दोनों दलों के रास्ते अलग हो गए क्योंकि भाजपा ने अन्य दलों के दलबदलुओं को समायोजित करने और विधानसभा में अपनी ताकत बढ़ाने के बाद कैबिनेट से जीएफपी के मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था. इसके बाद जीएफपी का सरकार के साथ रहने का कोई मतलब नहीं रह गया था. जीएफपी ने इस साल अप्रैल में औपचारिक रूप से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से नाता तोड़ लिया था.

जीएफपी ने पहले भाजपा से मुकाबले के लिए संभावित गठबंधन के लक्ष्य के साथ कांग्रेस से संपर्क साधा था, लेकिन पार्टी ने कोई जवाब नहीं दिया. हालांकि, जीएफपी के संस्थापक विजय सरदेसाई अपने प्रस्ताव पर फैसले के लिए समयसीमा बढ़ाते रहे थे.
इस बीच, भाजपा ने जीएफपी के साथ-साथ एक अन्य पूर्व सहयोगी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी)—जिसे उसने 2019 में उसके तीन में से दो विधायकों को पार्टी में शामिल करने के बाद दरकिनार कर दिया था, के साथ गठबंधन के लिए संपर्क साधना शुरू किया है.

पिछले हफ्ते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की गोवा यात्रा के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सदानंद शेत तनवड़े ने कहा कि पार्टी ‘गोएमकारपोन (गोवा की संस्कृति) की रक्षा’ के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन पर बातचीत को तैयार है. भाजपा ने अपनी गोवा इकाई में आंतरिक असंतोष को दूर करने के लिए विश्वजीत राणे, जिनका मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के साथ मनमुटाव चल रहा था, को अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर समायोजित किया है.


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हालांकि, एमजीपी ने भाजपा के साथ गठबंधन से इनकार कर दिया है. आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन के लिए बातचीत कर रही इस पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ भी किसी गठजोड़ से इनकार की बात से इनकार किया है.

एमजीपी अध्यक्ष दीपक धवलीकर ने दिप्रिंट को बताया, ‘आप के साथ गठबंधन काम नहीं करेगा. हालांकि, हम पूरी तरह भाजपा के खिलाफ हैं और गोवा में भाजपा सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए किसी भी पार्टी के साथ गठजोड़ करने को तैयार हैं. इसमें कांग्रेस भी शामिल है.’

धवलीकर ने कहा, ‘हम कांग्रेस के साथ पुख्ता गठबंधन नहीं करेंगे, लेकिन हम एक ऐसी व्यवस्था के लिए तैयार हैं जहां हम कुछ सीटों पर एक-दूसरे का समर्थन करें.’ साथ ही जोड़ा कि कांग्रेस संभवत: अब अपनी चुनावी तैयारियों में तेजी लाएगी क्योंकि तृणमूल कांग्रेस ने इसके वोटर बेस और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के लिए नई चुनौती पैदा कर दी है.

गोवा कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘सभी पार्टियां इस समय बहुत ज्यादा अवसरवादी हो गई हैं और हर किसी से बातचीत कर रही हैं. एमजीपी और जीएफपी के लिए समझदारी इसी में है कि भाजपा द्वारा एक बार धोखा दिए जाने के बाद उसकी तरफ से आने वाले प्रस्तावों पर कोई प्रतिक्रिया न दें.’

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के पास अभी एक अच्छा मौका है, लेकिन हमारे लिए मिलकर काम करना और सारी चीजों को तेजी से आगे बढ़ाना बहुत जरूरी है. हमने संभावित गठबंधनों, उम्मीदवारों के संबंध में आलाकमान को कुछ प्रस्ताव भेजे हैं. हम इन सब चीजों को तेजी से आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे.’

अच्छे और कारगर विकल्पों का अभाव

कांग्रेस नेताओं के साथ-साथ राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि पार्टी के पास चुनाव पूर्व गठजोड़ के लिए बहुत अधिक विकल्प नहीं हैं जो अच्छे और कारगर साबित हो सकें.

कांग्रेस के एक दूसरे पदाधिकारी ने कहा, ‘हमने जीएफपी का जवाब नहीं दिया क्योंकि हम पार्टी और विजय सरदेसाई पर भरोसा नहीं कर सकते. 2017 में जीएफपी ने हमें धोखा दिया और भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया. जब हम सबसे बड़ी पार्टी थे.’
2017 में भाजपा के साथ गठबंधन करने करने के दौरान कांग्रेस के पूर्व नेता रहे सरदेसाई ने अपने फैसले को सही ठहराने के लिए कांग्रेस का रिकॉर्ड भरोसे लायक न होने का आरोप लगाया था.

हिंदू रुढ़िवादी वोट-बैंक का काफी आकृष्ट करने वाली एमजीपी वैचारिक तौर पर गोवा कांग्रेस से भिन्न है, जिसका आधार अधिक कैथोलिक और धर्मनिरपेक्ष वोट बैंक है. कांग्रेस और एमजीपी दोनों के सूत्रों ने कहा कि दोनों पार्टियां अभी भी अनौपचारिक रूप से कुछ रास्ता तलाश रही हैं.

राजनीतिक टिप्पणीकार कॉटिन्हो ने कहा, ‘हर कोई एमजीपी से बातचीत कर रहा है और वह भी सबके साथ बात कर रहे हैं. इसने आप, जो राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की प्रतिद्वंद्वी है, और कांग्रेस से टूटकर गोवा में प्रवेश करने वाली टीएमसी को लुइजिन्हो फलेरियो जैसे वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री को साधने की कोशिश करने का मौका दिया. ऐसे में देखा जाए तो ये दोनों पार्टियां भी कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए कोई मजबूत विकल्प नहीं हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )


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