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Friday, 5 July, 2024
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एनसीपी ने कहा- दिल्ली के तख्त के सामने महाराष्ट्र कभी नहीं झुकता

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपी) के मुंबई स्थित कार्यालय के बाहर एक बड़ा बैनर लगाया गया है, जिसमें लिखा है कि महाराष्ट्र का इतिहास है कि वह कभी ‘दिल्ली के तख्त’ के सामने झुका नहीं है.

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मुम्बई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के 10 दिन बाद भी भगवा सहयोगी दलों शिवसेना और भाजपा में सरकार में सत्ता बंटवारे को लेकर खींचतान जारी रहने के बीच महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं ने बृहस्पतिवार को राकांपा प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की.

सूत्रों ने बताया कि पवार के आवास पर आने वालों में प्रदेश कांग्रेस प्रमुख बालासाहेब थोराट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण एवं पृथ्वीराज चव्हाण शामिल थे.

79 वर्षीय पवार ने विधानसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन के चुनाव प्रचार का नेतृत्व किया.

सूत्रों ने कहा, ‘बैठक वर्तमान राजनीतिक स्थिति के मद्देनजर गठबंधन साझेदारों (राकांपा और कांग्रेस) की रणनीति पर चर्चा करने के लिए थी.’

थोराट ने यद्यपि संवाददाताओं से कहा कि नेताओं ने वापस जाते मानसूनी वर्षा से राज्य के विभिन्न हिस्सों में फसलों को हुए नुकसान पर चर्चा की.

भाजपा-शिवसेना गठबंधन को हालांकि महाराष्ट्र विधानसभा में स्पष्ट बहुमत मिला है लेकिन दोनों पार्टियां अभी तक सरकार नहीं बना पायी हैं. शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर 50-50 का फार्मूला लागू करने की मांग कर रही है.

भाजपा 105 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है जबकि शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं. राकांपा और कांग्रेस ने क्रमश: 54 और 44 सीटें जीती हैं.


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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपी) के मुंबई स्थित कार्यालय के बाहर एक बड़ा बैनर लगाया गया है, जिसमें लिखा है कि महाराष्ट्र का इतिहास है कि वह कभी ‘दिल्ली के तख्त’ के सामने झुका नहीं है.

यह बैनर बुधवार को उस समय देखा गया जब राकांपा के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक हुई. इसमें कहा गया है, ‘ इतिहास गवाह है कि दिल्ली के तख्त के सामने महाराष्ट्र झुकता नहीं.’

इस बैनर ने पार्टी प्रमुख शरद पवार के उस बयान की याद दिलाई, जो उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा सितंबर में उनका नाम धनशोधन के मामले में शामिल करने के बाद दिया था.

पवार ने 25 सितंबर को कहा था, ‘महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी की विचारधारा का अनुसरण करता है. हम दिल्ली के तख्त के सामने झुकते नहीं हैं.’

महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक से जुड़े एक मामले में ईडी द्वारा उनका नाम लेने के बाद पवार ने स्वैच्छिक रूप से एजेंसी के कार्यालय जाने की पेशकश की थी.

इसके बाद ईडी को यह कहने के लिए मजबूर होना पड़ा कि उन्हें आने की जरूरत नहीं है.

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