नई दिल्ली: दो साल से जातीय हिंसा के संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर राज्य में कांग्रेस ने नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की है. पार्टी ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू करने से मसले का हल नहीं हुआ है और केवल लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार ही राज्य में व्यवस्था बहाल कर सकती है.
कांग्रेस आलाकमान ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के कदम को भारतीय जनता पार्टी की विफलता की प्रत्यक्ष स्वीकारोक्ति बताया, लेकिन अब तक राज्य में मध्यावधि चुनाव कराने की मांग से परहेज़ किया है. भाजपा ने 2022 के चुनावों में 60-सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में 32 सीटें जीती थीं.
नई दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी की मणिपुर इकाई के प्रमुख और विधायक कैशम मेघचंद्र सिंह ने कहा कि राज्य के लोग नए जनादेश का स्वागत करेंगे क्योंकि राज्य और केंद्र दोनों में भाजपा सरकारें कोई समाधान पेश करने में विफल रही हैं.
Two years have passed since the outbreak of violence in Manipur on 3rd May 2023, a tragic day that was a black day in our nation's history. The ongoing conflict, which was exacerbated by the BJP-led government's inaction, remains unresolved. BJP's double engine govt is the… pic.twitter.com/nEQbCxYU9P
— Congress (@INCIndia) May 3, 2025
मेघचंद्र ने कहा, “अगर कोई बातचीत नहीं है, अगर संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है, तो हमें और क्या उम्मीद करनी चाहिए? हम एक नया जनादेश चाहते हैं क्योंकि डबल इंजन वाली सरकार राज्य को प्रशासित करने में विफल रही है. भले ही राष्ट्रपति शासन हो, हमें उस पर कोई भरोसा नहीं है और हम इस नए जनादेश की मांग करते हैं. अगर कांग्रेस राज्य में सत्ता में आती है, तो हम शांति और सामान्य स्थिति बहाल कर सकते हैं.”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के मणिपुर प्रभारी सप्तगिरि उलाका, जो लोकसभा में ओडिशा के कोरापुट निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने मेघचंद्र के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि इस साल फरवरी में लगाया गया राष्ट्रपति शासन “कोई हल देने में सक्षम नहीं है”.
उलाका ने कहा, “हम चाहते हैं कि चुनाव हों ताकि निर्वाचित प्रतिनिधि हों जो सरकार बना सकें. हमने देखा है कि राष्ट्रपति शासन संकट को हल करने में सक्षम नहीं रहा है. सरकार विभिन्न समुदायों तक पहुंचने का कोई प्रयास भी नहीं कर रही है. इसलिए, मुझे लगता है कि यही एकमात्र समाधान है, जब आपके पास लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार होगी, तभी आप मणिपुर को समाधान दे सकते हैं.”
तीन मई 2023 को मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से मणिपुर में 260 से अधिक लोग मारे गए हैं, 1,500 घायल हुए हैं और 60,000 से अधिक लोग पलायन कर चुके हैं. इस साल 13 फरवरी को, एन. बीरेन सिंह के मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के चार दिन बाद, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की अधिसूचना जारी की, जिससे विधानसभा निलंबित अवस्था में रही.
अप्रैल में, संसद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की पुष्टि करते हुए एक वैधानिक प्रस्ताव अपनाया.
इससे पहले शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पिछले दो सालों में एक बार भी मणिपुर का दौरा न करने के लिए निशाना साधा था.
खरगे ने एक्स पर पोस्ट में कहा, “गृह मंत्री द्वारा घोषित शांति समिति का क्या हुआ? आप दिल्ली में भी सभी समुदायों के प्रभावित लोगों से क्यों नहीं मिले? आपने राज्य के लिए विशेष पैकेज की घोषणा क्यों नहीं की? मोदी जी, एक बार फिर, आप राजधर्म निभाने में विफल रहे!”
Manipur observes two years of violence without the Prime Minister setting foot on its soil.
The violence began on May 3, 2023 and still continues. Just two days ago, 25 people were injured in a violent clash in Tamenglong district.
More than 260 people have died. 68,000 people… pic.twitter.com/zZ1pyUGJC9
— Mallikarjun Kharge (@kharge) May 3, 2025
खरगे ने दावा किया कि इस अवधि के दौरान प्रधानमंत्री ने 44 विदेश यात्राएं कीं और पूरे भारत में 250 घरेलू यात्राएं कीं. “फिर भी आपने मणिपुर में एक सेकंड भी नहीं बिताया. मणिपुर के लोगों के प्रति यह उदासीनता और तिरस्कार क्यों? राजनीतिक जवाबदेही कहां है?”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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