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Friday, 15 November, 2024
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छत्तीसगढ़ BJP का कांग्रेस की मेयर पर आरोप, बौद्ध धर्मांतरण कार्यक्रम में किया ‘हिंदुओं का अनादर’

हालांकि, कांग्रेस की मेयर हेमा देशमुख का कहना है कि वह खुद एक हिंदू हैं और उन्होंने इस कार्यक्रम के दौरान न तो कोई शपथ ली और न ही ऐसा कुछ कहा या किया जिससे किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हों.

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नई दिल्ली: भाजपा ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की मेयर हेमा देशमुख पर आरोप लगाया कि उन्होंने राज्य में धर्मांतरण से जुड़े एक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है. हेमा देशमुख छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में नगर निगम मेयर हैं.

देशमुख पर आरोप ऐसे समय लगा है जब कुछ दिनों पहले ही आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम का एक वीडियो वायरल होने से खासा हंगामा हो चुका है. वीडियो में गौतम उस कार्यक्रम में हिस्सा लेते नजर आ रहे थे, जहां सैकड़ों लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाने और हिंदू देवी-देवताओं में कोई आस्था न रखने की प्रतिज्ञा ली.

ऑनलाइन सर्कुलेट हो रहे एक वीडियो में हेमा देशमुख को छत्तीसगढ़ में बौद्ध समुदाय की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते देखा जा सकता है.

भाजपा की छत्तीसगढ़ इकाई ने अपने ट्विटर हैंडल पर डाली पोस्ट में लिखा, ‘क्या गौतम बुद्ध ने कभी ऐसा कहा था? फिर अपना धर्म बदलने को तैयार ये तथाकथित बौद्ध अनुयायी सनातन धर्म के उपासकों के प्रति किस तरह का वैमनस्य फैला रहे हैं…’

पोस्ट में आगे लिखा गया, ‘और इस कार्यक्रम में बैठीं एक जिम्मेदार पद संभालने वाली राजनांदगांव की कांग्रेस मेयर हेमा देशमुख भी उन्हीं बातों को दोहरा रही हैं. यह हमेशा से ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को बढ़ावा देने वाले सनातन धर्म के प्रति कैसी वैमनस्यता है. कांग्रेस मेयर का यह कृत्य बेहद निंदनीय है.’

हेमा देशमुख ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘यह बौद्धों का एक सम्मेलन था और इसमें बाबा साहब अम्बेडकर के पोते यशवंत राव अम्बेडकर भी मौजूद थे. इसके अलावा, पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रमन सिंह भी वहां पहुंचे थे लेकिन वह थोड़ा जल्दी वहां से निकल गए. मैं वहीं पर थी और मैंने अपना भाषण भी दिया. इस बीच, अम्बेडकर की 22 प्रतिज्ञाएं पढ़ते हुए शपथ समारोह शुरू हो गया. मैंने न तो कोई शपथ नहीं ली और न ही हाथ उठाया. मैं एक हिंदू हूं और मेरी अपनी मान्यताएं हैं, जैसे उनकी अपनी आस्थाएं है. मैंने किसी को चोट पहुंचाने वाला कोई काम नहीं किया है.’

उन्होंने यह भी बताया कि यह बौद्ध समुदाय की तरफ से आयोजित राज्य स्तर का ‘बौद्ध सम्मेलन’ था.

गौरतलब है कि 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में हिंदू धर्म छोड़ बौद्ध धर्म अपनाने वाले अम्बेडकर ने अपने अनुयायियों के लिए 22 प्रतिज्ञाएं निर्धारित की थीं. अम्बेडकर की 22 में से कम से कम सात प्रतिज्ञाएं या तो प्रत्यक्ष तौर पर हिंदू धर्म त्यागने से संबंधित हैं या हिंदू देवी-देवताओं या प्रथाओं में आस्था न रखने का संकल्प लेने से जुड़ी हैं. इन प्रतिज्ञाओं में जाति व्यवस्था की आलोचना शामिल है और ये बौद्ध धर्म के प्रति अम्बेडकर की आस्था को दर्शाती हैं. ये प्रतिज्ञाएं आजीवन अम्बेडकर की जाति-विरोधी विचारधारा और एक्टिविज्म का आधार रहीं.


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‘कांग्रेस देशमुख को पार्टी से निकाले’

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने दिप्रिंट से कहा, ‘कांग्रेस हमेशा से हिंदू धर्म के खिलाफ रही है और सिर्फ वोटों के लिए उसका इस्तेमाल करती है. कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ने एक आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया है. ऐसे में हम और क्या ही उम्मीद कर सकते हैं. यह पूरी तरह गलत है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता.’

वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता सच्चिदानंद उपासने ने देशमुख के इस्तीफे की मांग की है.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर खुद भी वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करते थे और सनातन धर्म के प्रति कभी ऐसी भावना नहीं रखते थे, इसके बजाये वो तो धर्म का सम्मान करते थे. लेकिन कांग्रेस मेयर की इस तरह की सोच सनातन धर्म का अपमान है. अगर कांग्रेस में नैतिकता बची है और वह सनातन धर्म का सम्मान करती है तो उसे देशमुख को पार्टी से निकाल देना चाहिए.’

हालांकि, कांग्रेस नेताओं ने भाजपा के इन आरोपों को खारिज कर दिया है.

छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेता शैलेश त्रिवेदी ने दिप्रिंट से कहा, ‘हालांकि, मैंने वीडियो तो नहीं देखा है लेकिन मुझे सौ फीसदी यकीन है कि इसे या तो एडिट किया गया है या फिर कोई छेड़छाड़ की गई होगी, क्योंकि हेमा देशमुख खुद एक हिंदू हैं. बहुत संभव है कि वह राजनांदगांव गई हों, जहां बौद्धों की अच्छी खासी आबादी है. यह इलाका महाराष्ट्र से सटा है.’

त्रिवेदी ने कहा, ‘महाराष्ट्र ही वह जगह है जहां अम्बेडकर का बौद्ध धर्म अपनाने का आंदोलन शुरू हुआ था. चूंकि यह क्षेत्र (राजनांदगांव) पड़ोसी राज्य (महाराष्ट्र) से सटा हुआ है, इसलिए यहां बौद्धों की बड़ी आबादी है. हो सकता है कि हेमा देशमुख वहां बौद्धों की तरफ से आयोजित किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने गई हों. लेकिन, निजी तौर पर एक कांग्रेसी के रूप में मैं राम में विश्वास करता हूं. कृष्ण में भी मेरी आस्था है. हम राम को ‘भांजा’ मानते हैं, इसलिए हममें से किसी के भी राम या कृष्ण में आस्था न रखने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता. हम सब रामभक्त हैं. हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. हिंदुत्व हमारा धर्म है. इसका सम्मान न करने का सवाल ही नहीं उठता.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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