रांची: केंद्र और झारखंड सरकार के बीच लगातार तनातनी बढ़ती जा रही है. बिजली बिल का बकाया पैसा काटने से बौखलाए प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि ऐसा न हो कि राज्य की जनता को सबकुछ अपने हाथ में लेना पड़ जाए और देश अंधकार में चला जाए. उनका इशारा कोयले की आवाजाही रोकने की तरफ था.
केंद्र सरकार ने तीन दिन पहले झारखंड के बिजली बकाए के 5608.32 करोड़ में से 1417.50 करोड़ काट लिए हैं. यह राशि राज्य के रिजर्व बैंक खाते से काटे गए हैं.
झारखंड के दुमका और बेरमों सीट पर उपचुनाव होने हैं. दुमका सीट हेमंत सोरेन ने छोड़ी थी. यहां से उनके छोटे भाई बसंत सोरेन चुनावी मैदान में हैं. इसी सिलसिले में बीते शनिवार 17 अक्टूबर को हेमंत देवघर के दौरे पर थे. यहां आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने केंद्र सरकार और बीजेपी को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार की औकात नहीं है झारखंड के जीएसटी मद का पैसा दे. लेकिन हमारे खजाने का पैसा पीछे से काटकर बीजेपी सरकार खत्म कर रही है.’
सोरेन ने कहा, ‘इस राज्य को पाने के लिए हमने आर्थिक नाकेबंदी भी की है. उस वक्त पूरा देश रोया था. ऐसा न हो कि जिसके खनिज संपदा से पूरा देश जगमगाता है, अगर यहां के लोगों ने इसे अपने हाथ मे लिया तो शायद पूरा देश अंधेरे में चला जाए. केंद्र हमारी सहनशीलता और सीधेपन का नाजायज फायदा नहीं उठाए. हम भीख नहीं मांगेंगे बल्कि छीनकर अपना अधिकार ले सकते हैं. ये लड़ाई हम लड़ेंगे.’
प्रभात खबर में छपी एक खबर के मुताबिक विभिन्न मदों में झारखंड सरकार केंद्र पर 74,582 करोड़ रुपए का दावा कर रही है. इसमें जीएसटी के मद में 2,982 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने रोक रखा है. इसके अलावा 38,600 करोड़ रुपया कोल इंडिया और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) पर खान विभाग का बकाया है. वहीं 33,000 करोड़ विभिन्न कोल कंपनियों पर लगान का बकाया है.
इससे पहले 16 अक्टूबर को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखा था. पत्र की कॉपी दिप्रिंट के पास मौजूद है. जिसके मुताबिक उन्होंने राज्य सरकार को लोन लेने की सलाह दी थी.
सीएम हाउस के सूत्र के मुताबिक दोनों के बीच देर रात इस मसले पर फोन से भी बातचीत हुई. इसके बाद अगले दिन पत्रकारों से बात करते हुए सोरेन ने कहा कि मैंने वित्त मंत्री से साफ कहा कि, ‘एक तरफ आप लोन लेने की बात कह रही हैं और दूसरी तरफ राज्य का पैसा काट लिया जाता है.’
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गैर-बीजेपी राज्यों में सबसे अधिक टकराने वाले हेमंत
ये कोई पहला मौका नहीं है जब हेमंत सोरेन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से सीधे टकरा रहे हों. दोनों के बीच पहला टकराव जून महीने में कोयला खदान निलामी में निजी क्षेत्र को अनुमति देने पर हुआ था. हेमंत ने इस फैसले का जोरदार विरोध किया और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए.
केंद्र सरकार ने बीते 18 जून को देशभर के 41 कोल ब्लॉक की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की है. इसमें पहली बार विदेशी निवेश को भी शामिल किया जा रहा है. इन 41 कोल ब्लॉक में सबसे अधिक झारखंड के 22 कोल ब्लॉक शामिल हैं. इन खदानों से कुल 386 करोड़ टन कोयले के खनन होने की बात कही गई है.
नई शिक्षा नीति को भी हेमंत सरकार ने सीधे तौर पर नहीं स्वीकारा. राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा था कि शिक्षा नीति राज्य सरकार का मसला है. हम इसकी समीक्षा करेंगे. वह फिलहाल कोविड-19 से ग्रस्त हैं और जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं.
कोविड अनलॉक के शुरुआती चरण में ट्रेन से मजदूरों को लाने के लिए भी हेमंत सोरेन लगातार केंद्र पर दवाब बनाते रहे थे. हालांकि ये बात भी सही है कि मजदूरों को लाने में किसी दूसरे राज्य से पहले झारखंड को ही केंद्र की अनुमति मिली थी.
जब भी जीएसटी काउंसिल की बैठक होती है, तब राज्य सरकार पैसे की मांग केंद्र से करती रही है. वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा था कि जीएसटी कलेक्शन को 14 फीसदी ग्रोथ के हिसाब से देना केंद्र सरकार की कानूनी बाध्यता है. राज्य में बजट की योजना बनाते समय 14 फीसदी राजस्व वृद्धि को ध्यान में रखते हुए योजना बनाई गई थी. इसलिए भारत सरकार रिजर्व बैंक से कर्ज लेकर राज्यों को उपलब्ध कराए. जबकि भारत सरकार झारखंड सरकार से कर्ज लेने को कह रही है.
जब से हेमंत सरकार बनी है, ये सालों से लंबित खनिज के रॉयल्टी की मांग पहले दिन से करती रही है. सरकार ने इस बात पर लगातार जोर दिया है कि इसकी समीक्षा होनी चाहिए.
वहीं बीते 26 अगस्त को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गैर-बीजेपी शासित राज्यों के सीएम के साथ बैठक की थी. इस बैठक में हेमंत ने साफ कहा था कि, ‘मैडम विपक्ष को नए सिरे से एकजुट होना पड़ेगा. ऐसा लगता है कि हमारी आवाज में दम नहीं है. हमें मिलकर केंद्र सरकार से लड़ना होगा.’ इस पर सोनिया गांधी ने भी सहमति जताई थी.
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क्या ये सब उपचुनाव को ध्यान में रखकर हो रहा है
राज्य में दो सीटों पर उपचुनाव होना है. दुमका में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के बीच मुकाबला है. वहीं बेरमो में कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुख्य मुकाबला है. दुमका में एक बार फिर बीजेपी ने हारी हुई प्रत्याशी और पूर्व मंत्री लुईस मरांडी को उम्मीदवार बनाया है.
81 सीटों वाली विधानसभा में सरकार के पक्ष में 47 विधायक हैं. अगर होने वाले उपचुनाव में दो सीटों पर महागठबंधन हारती है तो उससे विधायकों की संख्या 45 रह जाएगी. इस 45 में भी एक और सीट पर आने वाले समय में उपचुनाव होने हैं. क्योंकि जेएमएम के एक मंत्री हाजी हुसैन अंसारी की हाल ही में मृत्यु हुई है. बहुमत के लिए किसी भी दल को 41 सीटों की जरूरत होती है. ऐसे में महागठबंधन को ये दोनों सीटें हर हाल में जीतने होंगे.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सभा सांसद दीपक प्रकाश ने कहा कि अगर झारखंड में कोई उपभोक्ता बिजली बिल नहीं देता है तो उसका बिजली कनेक्शन काट दिया जाता है. ठीक इसी तरह डीवीसी अगर बिजली दे रही है तो उसको बिल का भुगतान करना होगा. जहां तक बीजेपी सांसदों का इस मसले पर न बोलने का आरोप है, जेएमएम के भी तो दो सांसद हैं, खुद शीबू सोरेन और विजय हांसदा, इन दो लोगों ने अब तक क्यों नहीं बोला है. जेएमएम ये सब कांग्रेस के इशारे पर कर रही है. उपचुनाव में जेएमएम और कांग्रेस हार रही है. बसंत सोरेन की इमेज खनन कारोबारी की है, उस इलाके में लगातार बलात्कार की घटनाएं सामने आ रही है, इन सब से बचने के लिए हेमंत इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं.
जाहिर है, आनेवाले समय में अगर यही हाल रहा तो केंद्र और झारखंड के बीच तनातनी और बढ़ेगी. इसका सीधा नुकसान राज्य की जनता को होगा.
(आनंद दत्ता स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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