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Thursday, 2 May, 2024
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झारखंडः लॉकडाउन के बाद जब मजदूरों को लेकर पहुंची पहली ट्रेन और रात 11 बजे स्वागत हुआ फूलों से

केंद्र, झारखंड और तेलंगाना सरकार की सहमति के बाद एक स्पेशल ट्रेन झारखंड के 1200 मजदूरों को लेकर आई. आते ही सबका गुलाब के फूल, खाने के पैकेट और पानी की बोतल देकर स्वागत किया गया.

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रांची/जोहार: झारखंड सरकार आपका घर आने पर स्वागत करती है. शुक्रवार की रात रांची के हटिया रेलवे स्टेशन के बाहर हेमंत सोरेन की फोटो के साथ लगा बड़ा बैनर कुछ खास था. स्टेशन पर भारी गहमा-गहमी रही. बड़ी संख्या में पुलिस बल के जवान और मीडियाकर्मी तैनात थे. सबको इंतजार था तेलंगाना के लिंगमपल्ली से ट्रेन से आ रहे मजदूरों के चेहरे की खुशी देखने का. केंद्र, झारखंड और तेलंगाना सरकार की सहमति के बाद एक स्पेशल ट्रेन झारखंड के 1200 मजदूरों को लेकर आई. आते ही सबको गुलाब के फूल, खाने के पैकेट और पानी की बोतल देकर स्वागत किया गया. सभी 1300 किलोमीटर और 18 घंटे का सफर तय कर अपने घर जो पहुंचे हैं.

स्टेशन से बाहर निकलते ही सभी जिलों के लिए कुल 60 बसें खड़ी थीं. सभी जिलों से पुलिस बल व अन्य अधिकारी पहुंचे हुए थे. उनकी जिम्मेवारी थी कि अपने जिले के लोगों को आवाज देकर उन्हें बसों में बिठाना. सबका नाम व पता दर्ज करना. सोशल डिस्टेंस का खयाल रखते हुए अधिकतम 25 लोगों को एक बस में बिठाना. वे बैठे और अपने जिला के लिए रवाना हो गए.

गढ़वा के भोला साहू ने बताया कि, ‘अब वह बाहर काम करने कभी नहीं जाएंगे. जो भी रोजगार मिलेगा, वह यहीं करेंगे.’ बोकारो के सूरज मंडल ने कहा कि,’ वहां खाने-पीने की परेशानी शुरुआत में हुई, बाद में स्थिति ठीक हो गई लेकिन घर आने की बेचैनी में कुछ भी ठीक नहीं लग रहा था.’ लातेहार के संजय मिंज ने बताया कि ‘उन्हें ये नहीं पता कि वह तत्काल घर जा रहे हैं या प्रशासन उन्हें कहीं और ठहराएगा.’


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गढ़वा के डीएसपी दिलीप खलखो ने बताया कि, ‘पहले तो इन्हें जिला मुख्यालय के पास बने क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा. जहां उनकी कोरोना जांच की जाएगी. इसके बाद जरूरत के मुताबिक कुछ लोगों को होम क्वारंटाइन में भेजा जाएगा, वहीं कुछ लोगों को सरकारी क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा जिन्हें होम क्वारंटाइन में भेजा जाएगा, उनको घरों में पोस्टर चिपका दिया जाएगा ताकि लोग उनके संपर्क में न आएं. प्रशासन लगातार इसकी निगरानी भी करेगा.’

वहीं लातेहार के मनोज बैठा ने बताया कि, ‘झारखंड सरकार की ओर से दी जाने वाली सहायता राशि के लिए आवेदन तो कर दिया है, लेकिन अभी तक पैसा नहीं आया है.’ पलामू के सरोज भुइयां ने बताया कि, ‘उन्हें जानकारी नहीं है कि इस तरह की कोई सुविधा भी दी जा रही है, न ही उन्हें पता है कि इसके लिए आवेदन कैसे करना है.’ यही दर्द लातेहार के रस्सी भुईयां का भी है.

पक्ष और विपक्ष में क्रेडिट लेने की मची होड़

मजदूरों के आने से पहले सीएम हेमंत सोरेन देर शाम हटिया रेलवे स्टेशन पहुंचे. उन्होंने सभी इंतजामों का जायजा लिया. वहां इसकी मॉनिटरिंग कर रहे रांची के जिलाधिकारी राय महिमापद रे ने बताया कि, ‘एक स्पेशल ट्रेन कोटा से 1200 छात्रों को लेकर चल चुकी है. साथ ही एक और ट्रेन कोटा से ही शनिवार सुबह चलेगी. उन सब के लिए भी इसी तरह का इंतजाम किया गया है. आने वाली जितनी भी ट्रेने हैं, सबके लिए यही प्रॉसेस फॉलो किया जाना है.’

जानकारी के मुताबिक कोटा से कुल 3065 छात्रों को लाया जा रहा है. इस लिहाज से देखें तो दो दिन, तीन ट्रेन की बदौलत कुल 41265 झारखंडी अपने शनिवार तक अपने राज्य वापस हो रहे हैं.

इस राहत के लिए दिनभर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार, रेल मंत्रालय, तेलंगाना सरकार और राजस्थान सरकार का शुक्रिया करते रहे. भला बीजेपी इस मौके को कैसे हाथ से जाने देती, सो क्रेडिट लेने और छीनने का क्रम भी शुरू हो चुका है. बीजेपी जहां इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री पीयूष गोयल का धन्यवाद कर रही है. वहीं जेएमएम और कांग्रेस इसे अपनी सरकार की सफलता बता रही है.

इन सबके बीच तथ्य ये है कि जब 29 अप्रैल को केंद्र की ओर से राज्यों को अपने लोगों को बसों में ले जाने की अनुमति मिली तो झारखंड सरकार ने इस पर अपनी असमर्थता व्यक्त की. उसने कहा कि बस से इतने अधिक लोगों को लाना संभव नहीं है. केंद्र सरकार इसके लिए ट्रेन परिचालन की अनुमति दे. इधर लॉकडाउन बढ़ाने के साथ ही केंद्र ने एक और फैसला लिया. उसने रेल मंत्रालय के अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया. जिनका काम ये है कि वह दोनों राज्यों, यानी जहां से ट्रेन खुलेगी और जहां के लिए रवाना होगी, उनके बीच तालमेल बिठाकर मजदूरों के जाने का रास्ता साफ करेगी. यही नहीं, झारखंड के साथ अन्य पांच राज्यों को भी इसमें सफलता मिली है. इस कड़ी में केरल से भुवनेश्वर, नासिक से लखनऊ, नासिक से भोपाल और जयपुर से पटना के लिए ट्रेन खुलने की सहमति हुई है.

मंत्री ने कहा पहले कोरोना मुक्त करेंगे, फिर रोजगार का सोचेंगे

राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक लगभग आठ लाख लोग बाहर के राज्यों में फंसे हुए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इतनी बड़ी संख्या को वापस लाना संभव है. क्या वाकई सभी को वापस लाने का प्लान सरकार ने बना रखा है.

राज्य के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता कहते हैं, ‘उन्होंने पंचायत स्तर पर सर्वे कराया है. इसके मुताबिक कुल 4,51,044 लोग राज्य से बाहर हैं. सरकारी लफड़ा है, धीरे-धीरे लोग लाए जाएंगे. पड़ोसी राज्यों में फंसे लोगों को स्थानीय सरकार की मदद से हम अपने राज्य के सीमा तक लाएंगे, फिर वहां से बस से उनको घर पहुंचाएंगे. वहीं दूर के राज्यों में ट्रेन से लाएंगे. यही नहीं अगर दूर के किसी राज्य में ज्यादा मजदूर नहीं हुए, तो उन्हें प्लेन से लाने की तैयारी है.’


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वहीं रोजगार के सवाल पर उन्होंने कहा कि ‘पहले कोरोना से बचेंगे तब तो रोजगार की बात होगी. अगर उसको अभी बीडीओ ही बना देंगे, तो उससे क्या होगा. पहले कोरोना मुक्त राज्य बनाना है.’

इधर राज्य में कोविड-19 मरीजों की संख्या हर दिन बढ़ ही रही है. बीते एक मई तक कुल 113 मामले सामने आ चुके हैं. इसमें सबसे अधिक राजधानी रांची में कुल 83 मरीजों की पहचान हुई है. इसके अलावा बोकारो, हजारीबाग, धनबाद, गिरिडीह, सिमडेगा, कोडरमा, गढ़वा, पलामू, जामताड़ा और गोड्डा में भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं.

अब देखने वाली बात ये होगी कि गांव की ओर लौट रहे ये मजदूर कोरोना के वाहक न बनें, सरकार इसको पकड़ने में कितनी सक्षम होती है. साथ ही क्या इस बार उन्हें अपने राज्य में रोजगार मिल पाएगा. यह सब निर्भर करेगा आने वाले समय में सरकार की नीतियों पर.

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