नई दिल्ली: राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राजस्थान इकाई में और अधिक दरारें उभरकर सामने आई हैं. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वसुंधरा राजे के वफादार कैलाश मेघवाल ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पर जब वह एक सिविल सर्वेंट थे तो वो अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचारी थे, कह कर राजनीति को गर्मा दिया है.
मंगलवार को अपने विधानसभा क्षेत्र, भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा में एक सार्वजनिक बैठक में बोलते हुए, कैलाश मेघवाल ने कहा कि वह 69 वर्षीय अर्जुन राम मेघवाल जो पूर्व आईएएस अधिकारी हैं, वर्तमान में कानून, न्याय, संस्कृति और संसदीय मामले के राज्य मंत्री भी हैं, को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखेंगे.
89 वर्षीय भाजपा विधायक ने कहा, “यह अर्जुन राम मेघवाल भ्रष्ट नंबर 1 है.” “उन पर आज भी भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं. मैं उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखूंगा. मैं उनसे कहूंगा कि आपके पास एक मंत्री है जो भ्रष्टाचार में लिप्त था, जब वह एक अधिकारी था, तो उसने गरीबों या अनुसूचित जाति को भी नहीं बख्शा और सभी से पैसे लिए.
कैलाश मेघवाल और अर्जुन राम मेघवाल दोनों ही राजस्थान से बीजेपी के प्रमुख दलित चेहरे हैं.
मंगलवार का भाषण ऐसे समय में आया है जब राजस्थान भाजपा के भीतर घमासान चल रहा है, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के वफादार नेता उन्हें पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं करने के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से नाराज हैं.
मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदार माने जा रहे अर्जुन राम मेघवाल को नवंबर में या उससे पहले होने वाले विधानसभा चुनाव की अगुवाई में भाजपा की 25 सदस्यीय ‘संकल्प पत्र’ (घोषणापत्र) समिति का संयोजक नामित किए जाने के एक महीने से भी कम समय बाद ऐसा हुआ है.
शाहपुरा के विधायक ने दिप्रिंट को फोन पर बताया कि वह अपने आरोपों पर कायम रहेंगे. उन्होंने कहा, ”मैं उनके खिलाफ लंबित मामलों के बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखूंगा.”
उन्होंने यह भी कहा कि अर्जुन राम मेघवाल का एक वफादार उनके निर्वाचन क्षेत्र से टिकट मांग रहा था. उन्होंने कहा, ”मैंने भाजपा के राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह को स्थिति से अवगत करा दिया है. मैं 45 वर्षों से सार्वजनिक जीवन में हूं. मैंने यह चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की,” उन्होंने दिप्रिंट से आगे कहा, ”मेरे निर्वाचन क्षेत्र में टिकट वितरण पर निर्णय लेने वाला यह अर्जुन राम मेघवाल कौन है?”
इस बीच केंद्रीय मंत्री ने मानहानि का मुकदमा दायर करने की धमकी दी है.
बीकानेर के सांसद ने जयपुर में संवाददाताओं से कहा, “कैलाश मेघवाल को इस तरह के आरोप लगाने से पहले आत्मनिरीक्षण करना चाहिए.” “पंद्रह साल पहले उन्होंने वसुंधरा जी पर 10,000 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. ऐसा लगता है कि कैलाश मेघवाल के बूढ़े दिमाग ने काम करना बंद कर दिया है.
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मेघवाल बनाम मेघवाल के बीच गहलोत की तारीफ
अर्जुन राम मेघवाल 1982 में राजस्थान सिविल सेवा में शामिल हुए और भारतीय प्रशासनिक सेवा के रैंक में पदोन्नत होने से पहले उन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया. 2009 में, बीकानेर से अपना पहला संसदीय चुनाव लड़ने और जीतने के लिए उन्होंने सिविल सेवाओं से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली.
इससे पहले कैलाश मेघवाल प्रदेश बीजेपी के सबसे प्रमुख दलित चेहरे थे. लेकिन अपनी जीत के बाद, अर्जुन राम मेघवाल तेजी से राजस्थान में उभरे. 2014 और 2016 के बीच, बीकानेर सांसद ने लोकसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक के रूप में कार्य किया.
जुलाई 2016 में, वह पहली बार मोदी की मंत्रिपरिषद का हिस्सा बने, और तब से वित्त, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प, भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यमों के लिए MoS के रूप में कार्य किया है.
शाहपुरा में अपने भाषण में, कैलाश मेघवाल ने केंद्रीय मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोपों से खुद को बचाने के लिए राजनीति में शामिल होने का आरोप लगाया, जब वह एक सिविल सेवक थे.
शाहपुरा विधायक ने राज्य के कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी की भी प्रशंसा की.
“जब मैं यहां आया, तो मुझे बताया गया कि यह सी.पी. जोशी के कारण है. जोशी – जो (भीलवाड़ा से) सांसद और केंद्रीय मंत्री थे – कि हम आज चंबल (नदी) का पानी पीने में सक्षम हैं. उन्होंने सड़कों का जाल भी बिछाया,” उन्होंने कहा, “अगर अशोक गहलोत ने शाहपुरा के लिए कुछ किया है, तो क्या मुझे इसकी प्रशंसा नहीं करनी चाहिए?”
राजे समर्थक ‘नाराज’
कुल मिलाकर, यह भाषण राज्य की भाजपा इकाई के भीतर झगड़े का संकेत देता प्रतीत होता है, खासकर राजे को कथित तौर पर दरकिनार किए जाने के कारण.
यह 2 सितंबर को रणथंभौर से भाजपा द्वारा अपनी चार चरण की ‘परिवर्तन यात्रा’ को हरी झंडी दिखाने से ठीक पहले आया है.
राजे के समर्थक न केवल उन्हें मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में नामित करने की पार्टी की अनिच्छा से परेशान हैं, बल्कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, आमेर विधायक और राजे विरोधियों जैसे राजस्थान के अन्य नेताओं सतीश पूनिया, और अर्जुन राम मेघवाल की राज्य की राजनीति में बढ़ती भागीदारी से भी परेशान हैं.
राजस्थान के एक बीजेपी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि कैलाश मेघवाल का भाषण राजस्थान बीजेपी के मामलों में उन्हें दरकिनार करने के पार्टी के फैसले पर राजे के समर्थकों के बीच बड़े असंतोष का संकेत देता है.
नेता ने कहा, “उन्हें न तो सीएम का चेहरा बनाया गया और न ही उन्हें मनाने की कोई कोशिश की गई है” “इससे उनके समर्थकों को संकेत मिला कि उनके खेमे को पर्याप्त टिकट नहीं मिलेंगे. बदली हुई परिस्थितियों में, शेखावत या अर्जुन राम मेघवाल में से कोई एक डार्क हौर्स साबित हो सकता है और राज्य के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उभर सकता है.
गौरतलब है कि राजे ने इस सप्ताह की शुरुआत में गंगापुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली को नजरअंदाज कर दिया था. नेता के मुताबिक, डर है कि अगर उन्हें शांत नहीं किया गया तो राजे गुट आगामी चुनाव में बीजेपी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है.
दरअसल, ऐसा प्रतीत होता है कि गहलोत भी राजे के साथ पहले की कड़वी प्रतिद्वंद्विता के पिघलने का संकेत दे रहे हैं. मई में राजे के गढ़ धौलपुर में एक कार्यक्रम में भीड़ को संबोधित करते हुए, गहलोत ने कथित तौर पर कहा था कि राजे और कैलाश मेघवाल ने 2020 में विधायकों की खरीद-फरोख्त के खिलाफ बोलकर उनकी सरकार को “बचाने” में मदद की थी, जब केंद्रीय भाजपा नेतृत्व “गिराने” की कोशिश कर रहा था.
वह उस समय का जिक्र कर रहे थे जब गहलोत के धुर विरोधी सचिन पायलट और 18 अन्य विधायकों ने राज्य कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था.
हालांकि, राजे ने बाद में गहलोत के दावों को खारिज कर दिया था.
(अनुवाद: पूजा मेहरोत्रा)
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