scorecardresearch
Thursday, 2 May, 2024
होमराजनीति‘जय श्री राम’ की जगह ‘मां काली’ नारे के साथ, ममता के बंगाल में बाहरी का ठप्पा हटाने की कोशिश में बीजेपी

‘जय श्री राम’ की जगह ‘मां काली’ नारे के साथ, ममता के बंगाल में बाहरी का ठप्पा हटाने की कोशिश में बीजेपी

बीजेपी ने विधानसभा चुनावों से पहले, रामकृष्ण मिशन और इस्कॉन जैसे संख्या में मज़बूत, हिंदू धार्मिक समूहों का समर्थन पाने के लिए, एक विशेष समिति का गठन किया है.

Text Size:

नई दिल्ली: बंगाली हिंदुओं को बांटने, और विधानसभा चुनावों से पहले राज्य पर, उत्तर भारतीय राष्ट्रवाद थोपने के पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोप का जवाब देने के लिए, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रमुख हिंदू धार्मिक संप्रदायों, और राज्य में उनके संगठनों का समर्थन पाने की कोशिश कर रही है.

पार्टी ने एक विशेष समिति का गठन किया है, जो संख्या में मज़बूत इन धार्मिक और सामाजिक समूहों का, समर्थन पाने की कोशिश करेगी, जिनमें इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, और माटुआ जैसे समुदाय शामिल हैं.

इन संस्थाओं और समूहों का, कुल 294 में से 80 विधान सभा सीटों, और 3 करोड़ मतदाताओं पर प्रभाव है.

आठ सदस्यीय समिति नियमित रूप से, इन समूहों के नेताओं के संपर्क में रहेगी, और धार्मिक अपील के ज़रिए चुनावों में इनका समर्थन मांगेगी.

बंगाल पहला राज्य है जहां पार्टी ने, धार्मिक संपर्क के लिए ऐसी कमेटी गठित की है. राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाज़रा इस पैनल के संयोजक हैं, जबकि महासचिव रतींद्र बोस इसके सदस्य हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

पिछले एक हफ्ते में ये पैनल, रामकृष्ण मिशन, हिंदू मिलन समाज, कीर्तनिया समाज, इस्कॉन, और भारत सेवाश्रम संघ के नेताओं से मिल चुका है. उन्होंने प्रभावशाली माटुआ समाज के नेताओं से भी मुलाक़ात की है.

9 और 10 दिसंबर को बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के प्रदेश दौरे के दौरान, जो उनके सामने हुई हिंसा की वजह से सुर्ख़ियों में आया, पैनल ने सुनिश्चित किया कि वो साउथ 24 परगना में रामकृष्ण मिशन का दौरा करें.

इस राजनीतिक पहल पर बात करते हुए, हाज़रा ने कहा, ‘बंगाल में 100 से अधिक हिंदू संप्रदाय हैं, लेकिन हम केवल ख़ास-ख़ास पर ध्यान दे रहे हैं. हमने कोई 20-22 धार्मिक संस्थाओं को चिन्हित किया है, जिनका बड़े हिंदू संप्रदाय पर असर है…जैसे इस्कॉन, जिसका बंगाल में बहुत बड़ा आधार है, और रामकृष्ण मिशन जिसके राज्य में, 40 लाख से अधिक मानने वाले हैं…दक्षिण बंगाल के बहुत से ज़िलों में, वैष्णवों का भी प्रभाव है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘हमारा काम इन धार्मिक लोगों से जुड़ना है, चूंकि समाज पर इनका बहुत प्रभाव है. हमें इनका समर्थन चाहिए’.

लगता है कि बीजेपी ने ये क़दम, इस आलोचना के बाद उठाया है, जिसका उसे अकसर सामना करना पड़ता है, कि वो एक ‘बाहरी उत्तर भारतीय’ पार्टी है, जो बंगाली संस्कृति से वाक़िफ नहीं है.


यह भी पढ़ें: क्यों ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी सिर्फ भाजपा ही नहीं तृणमूल बागियों के भी निशाने पर हैं


जय श्री राम से मां काली

पिछले दो महीनों में, वरिष्ठ बीजेपी नेता 12 बार दक्षिणेश्वर काली मंदिर जा चुके हैं- अमित शाह से कैलाश विजयवर्गीय तक, कोई भी केंद्रीय नेता जो प्रचार के लिए बंगाल जाता है, पहले इस मंदिर में जाता है.

लेकिन 2017 में ऐसा नहीं था, जब आरएसएस और वीएचपी ने बंगाल में घुसपैठ बनाने के लिए, विशाल राम नवमी समारोह का आयोजन किया. ममता ने तब बीजेपी के उत्तर भारतीय राष्ट्रवाद को, बंगाल में लाने का मुद्दा उठाया था, चूंकि भगवान राम बंगाल में इस तरह नहीं पूजे जाते, जिस तरह उत्तर में पूजे जाते हैं.

ऐसा लगता है कि बीजे बाद में इसे समझ गई, और उसने अपनी नीति बदल ली. इस साल उसने हर बूथ पर दुर्गा पूजा का आयोजन किया, और बंगाल के अपने दौरों में, शाह ‘मां काली’ का आह्वान करने लगे.

एक वरिष्ठ केंद्रीय बीजेपी नेता ने, नाम छिपाने की शर्त पर कहा, ‘जब हम राम नवमी और दूसरे कार्यक्रमों में, ‘जय श्री राम’ का नारा लगाते थे, तो ममता हमसे कहती थीं कि हिम्मत है तो ‘जय मां काली’ कहो. हमें अपनी पहचान की राजनीति की फॉल्ट लाइन, और बंगाल में हिंदू राष्ट्रवाद का अंतर समझ में आ गया. हमने काली पूजा, दुर्गा पूजा का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, और हमारी समर्थक संस्थाओं ने, हमारे आइकॉन्स को थोपने की बजाय, बंगाली आइकॉन्स पर कार्यक्रम शुरू कर दिए’.

हर ज़िले में धार्मिक बैठक

बंगाली हिंदुओं को एकजुट करने के लिए, बीजेपी ने सभी प्रमुख मठों और हिंदू निकायों तक पहुंचने की योजना बनाई है. मंडल स्तर पर पार्टी इन निकायों से अपील करेगी, कि हिंदुओं को एकजुट करें और उन्हें ‘अल्पसंख्यक तुष्टिकरण’ के प्रति जागरूक करें.

बोस ने कहा कि हर ज़िले में भारत सेवाश्रम, अनुकूल ठाकुर आश्रम, रामकृष्ण मिशन, और दूसरी संस्थाओं की शाखाएं मौजूद हैं.

बोस ने कहा, ‘हम मठों और मंदिरों के प्रमुख महाराज से मिल रहे हैं, और बंगाली हिंदुओं को एकजुट करने में उनका समर्थन मांग रहे हैं. ये उनके ऊपर है कि वो ये संदेश कैसे फैलाते हैं. वो श्रद्धालुओं से अपील कर सकते हैं, या सिर्फ मीटिंग करने से भी मतदाताओं के बीच संदेश जाता है, कि हम एक ऐसी पार्टी हैं, जिसपर बंगाली हिंदू भरोसा कर सकते हैं’.

बंगाल बीजेपी उपाध्यक्ष जॉय मजूमदार ने कहा, कि 2011 के विधानसभा चुनावों में, इस्कॉन ने बंगालियों से ममता को वोट करने की अपील की थी, और उसका भारी असर हुआ था. उन्होंने कहा, ‘अब ममता का मुस्लिम तुष्टीकरण, एक जानी-पहचानी बात है. इस बार हम उनका आशीर्वाद ले रहे हैं’.

बीजेपी नेताओं के अनुसार, राज्य में क़रीब 5,000 धार्मिक और सामाजिक संस्थाएं काम कर रही हैं, जिनका बंगाली समाज पर काफी असर है.

हाज़रा ने कहा, ‘संस्कृति मंत्रालय जनवरी में, सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर, एक विशाल जश्न का आयोजन करने जा रहा है. अमित शाह जनवरी में रवींद्रनाथ टैगोर के निवास शांति निकेतन का दौरा करेंगे, जिससे बंगाली बुद्धिजीवियों में एक संदेश जाएगा, कि हम एक ऐसी पार्टी हैं जो बंगाली संस्कृति का हिस्सा रही है’.


यह भी पढ़ें: SC पहुंची सियासी खींचतान, 6 भाजपा नेताओं ने तृणमूल पर फर्ज़ी FIR दर्ज कराने का लगाया आरोप


बंगाली राष्ट्रवाद से जुड़ाव

ये कोई संयोग नहीं था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, सोमवार को उज़्बेकिस्तान के साथ अपनी द्विपक्षीय वर्चुअल मीटिंग के लिए, कोलकाता के मशहूर दक्षिणेश्वर मंदिर की पृष्ठभूमि इस्तेमाल की, और बृहस्पतिवार को बांग्लादेशी प्रधानमंत्री, शेख हसीना के साथ शिखर वार्ता के लिए, 18वीं सदी के कूच बिहार पैलेस का इस्तेमाल किया.

पार्टी सूत्रों ने कहा, कि ऐसा करके मोदी ममता बनर्जी के इस आरोप का जवाब देना चाहते थे, कि बीजेपी एक ‘बाहरी’ है. उन्होंने कहा कि प्रतीकवाद के ज़रिए मोदी, 59 प्रतिशत बंगाली हिंदू मतदाताओं को एक संदेश दे रहे थे.

सोमवार को, बीजेपी के बंगाल सह-प्रभारी अरविंद मेनन ने, बीरभूम ज़िले के बोलपुर में अमित शाह की प्रस्तावित रैली की तैयारियों का जायज़ा लेने से पहले, कंकालीताला मंदिर का दौरा किया जो एक शक्तिपीठ है.

अपने बंगाल दौरे के दौरान, बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा ने कोतकाता के मशहूर कालीघाट मंदिर का दौरा किया. अक्तूबर के अपने पिछले दौरे में, उन्होंने सिलिगुड़ी के आनंदमोई कालीबाड़ी के दर्शन किए थे. ये एक चाय बागान क्षेत्र है, जहां पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में पैठ बनाते हुए, सारी लोकसभा सीटें जीत लीं थीं.

नवंबर में प्रदेश के अपने दौरे में गृह मंत्री अमित शाह ने भी, कोलकाता के पास स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर का दौरा किया, और एक माटुआ शरणार्थी आवास में लंच भी किया.

शनिवार के अपने दौरे के दौरान भी, शाह रामकृष्ण मिशन और कई अन्य मंदिरों का दौरा करेंगे.


यह भी पढ़ें: तृणमूल कांग्रेस में बगावत के बीच पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर शाह


 

share & View comments