कोलकाता: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जो पश्चिम बंगाल से राज्यसभा में अपना पहला प्रतिनिधि भेजने के लिए पूरी तरह तैयार है, ने अपने उम्मीदवार अनंत महाराज को चुना है, जो उत्तर बंगाल के एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं, जिन्होंने पार्टी को चुनाव जीतने में मदद की है, बल्कि एक अलग कूचबिहार राज्य की वकालत भी करते रहे हैं.
अनंत राय ने लगभग दो दशक पहले ‘महाराज’ उपाधि अपनाई थी, वह ग्रेटर कूच बिहार पीपुल्स एसोसिएशन (जीसीपीए, कूच बिहार को राज्य का दर्जा देने की मांग करने वाली संस्था) के एक गुट का नेतृत्व करते हैं. बता दें कि वह राजबंशी समुदाय या कोच-राजबंशी से हैं, जिनकी 2011 की जनगणना के अनुसार बंगाल की आबादी लगभग 33 लाख है.
राजबंशी, जो उत्तर बंगाल के कूच बिहार, जलपाईगुड़ी, उत्तर दिनाजपुर, दार्जिलिंग और मालदा जिलों और दक्षिण बंगाल के मुर्शिदाबाद में केंद्रित हैं, मध्ययुगीन कामता साम्राज्य में फैली इनकी जड़ें वर्तमान पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, बांग्लादेश, नेपाल और बिहार में फैली हैं.
उत्तर बंगाल के जिलों और निचले असम के कुछ हिस्सों को शामिल करते हुए एक अलग कूच बिहार राज्य की महाराज के नेतृत्व वाले जीसीपीए गुट की लंबे समय से मांग रही है.
अपने नामांकन की पुष्टि करते हुए महाराज ने बुधवार को दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने बीजेपी का राज्यसभा टिकट स्वीकार कर लिया है और खुश हूं. गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को मुझसे फोन पर बात की, जिस दिन निसिथ प्रमाणिक (गृह राज्य मंत्री) मेरे आवास पर आये थे.”
जब दिप्रिंट ने उनसे पूछा कि क्या वह अलग राज्य की मांग जारी रखेंगे, तो महाराज ने कहा कि इस बारे में बात करने का यह सही समय नहीं है क्योंकि वह अपने नामांकन कागजी काम में व्यस्त हैं.
इस बीच, अपनी पार्टी के चयन को सही ठहराते हुए, प्रमाणिक ने कूच बिहार में मीडिया से कहा, “हम उत्तर बंगाल से लोगों की आवाज़ का प्रतिनिधित्व चाहते हैं और इसीलिए हमने अनंत महाराज को चुना है. वह न केवल कूचबिहार बल्कि पूरे बंगाल की ओर से बोलेंगे.”
टीएमसी ने कहा कि महाराज का नामांकन भाजपा के ‘बंगाल विभाजन एजेंडे’ का हिस्सा था. दिप्रिंट से बात करते हुए, टीएमसी के राज्य उपाध्यक्ष जॉय प्रकाश मजूमदार ने कहा, “अनंत महाराज भाजपा के सदस्य नहीं हैं. वह बंगाल का विभाजन चाहते हैं और भाजपा ने उन्हें चुना है. फेरबदल में उन्हें कैबिनेट मंत्री भी बनाया जा सकता है.’
उन्होंने कहा, “पंचायत चुनाव नतीजों को देखते हुए, भाजपा ने उत्तर बंगाल के लगभग हर जिले में अपनी जमीन खो दी है.” इस सप्ताह पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में टीएमसी ने जीत हासिल की.
इस बीच, राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस कदम का बाद में बीजेपी को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.जनीतिक विश्लेषक उदयन बंदोपाध्याय ने दिप्रिंट से कहा, “अनंत महाराज के पास उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने का एजेंडा रहा है. यह लंबे समय में बंगाल बीजेपी के लिए परेशानी पैदा करेगा क्योंकि टीएमसी अलग राज्य के खिलाफ खड़ी है.
राजनीतिक विश्लेषक स्निग्धेंदु भट्टाचार्य ने कहा कि अनंत महाराज की पसंद टीएमसी के लिए फायदेमंद हो सकती है. उन्होंने कहा, “अनंत महाराज को चुनकर, भाजपा यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि उनका ध्यान उत्तर बंगाल पर केंद्रित है. लेकिन वह बंगाल के विभाजन के प्रबल समर्थक रहे हैं, जिसका इस्तेमाल टीएमसी भाजपा के खिलाफ करेगी…(आखिरकार), दक्षिण बंगाल में 34 लोकसभा सीटें हैं लेकिन भाजपा ने वहां से किसी को नहीं चुना.”
पश्चिम बंगाल की छह राज्यसभा सीटों के साथ-साथ गुजरात और गोवा की दो-दो सीटों पर 24 जुलाई को मतदान होगा. जबकि तृणमूल कांग्रेस पांच को बरकरार रखने के लिए तैयार है, पश्चिम बंगाल विधानसभा में 70 सीटों वाली भाजपा एक राज्यसभा सीट का प्रबंधन करेगी.
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राजबंशी और बंगाल की राजनीति
अनुसूचित जाति के रूप में सूचीबद्ध राजबंशियों का बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से लगभग सात और पश्चिम बंगाल में 15 विधानसभा क्षेत्रों पर पकड़ है. उत्तर बंगाल की आबादी में उनकी हिस्सेदारी अनुमानित 30 प्रतिशत है.
अनंत महाराज के समर्थन से, भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में सभी सात सीटों पर जीत हासिल की, जिसमें कूच बिहार में मंत्री प्रमाणिक की सीट भी शामिल थी.
2021 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने तृणमूल लहर के बावजूद इस क्षेत्र की 54 विधानसभा सीटों में से 30 पर कब्जा कर लिया.
2021 में, केंद्र सरकार ने रिटायर्ड राजबंशी शिक्षक धर्म नारायण बर्मा को पद्म श्री से सम्मानित किया था.
पिछले कुछ वर्षों में, टीएमसी ने भी राजबंशियों को लुभाने की कोशिश की है. 2012 में, तृणमूल सरकार ने कूच बिहार पंचानन बर्मा विश्वविद्यालय की स्थापना की, जिसका नाम 19वीं सदी के राजबंशी समाज सुधारक के नाम पर रखा गया. ममता बनर्जी सरकार ने 14 फरवरी को पंचानन बर्मा की जयंती पर छुट्टी भी घोषित की.
2020 में, ममता बनर्जी ने उत्तर बंगाल की एक मांग को पूरा करते हुए, कूचबिहार की एक अलग पुलिस बटालियन, ‘नारायणी बटालियन’ के गठन की घोषणा की.
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(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)
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