नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर और पीलीभीत में जो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसदों मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी के घरेलू मैदान हैं, वहां पार्टी राज्य विधानसभा चुनावों में विजेता बनने की ओर अग्रसर है.
मेनका गांधी का संसदीय चुनाव क्षेत्र सुल्तानपुर पांच विधानसभा सीटों में बंटा हुआ है- इसौली, सुल्तानपुर, सदर, लंभुआ और कादीपुर. यहां बीजेपी पूरा सफाया करने की ओर बढ़ रही है और सभी पांचों सीटों पर बढ़त बनाए हुए है.
पीलीभीत सीट भी जहां से वरुण सांसद हैं पांच असेंबली चुनाव क्षेत्रों में बंटी है- बहेड़ी, पीलीभीत, बरखेड़ा, बिसालपुर और पूरनपुर. यहां भी बीजेपी सूपड़ा साफ करने जा रही है. वो तीन सीटें (पीलीभीत, बरखेड़ा और पूरनपुर सीटें जीत चुकी है) और बाक़ी दो सीटों पर आगे चल रही है.
मां-बेटे दोनों को पार्टी द्वारा दरकिनार किए जाने के बावजूद, बीजेपी क्षेत्र में अपना जनाधार बचाए रखने में कामयाब रही है.
2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने पीलीभीत की सभी पांच विधानसभा सीटें एक बड़े अंतर से जीत लीं थीं. सुल्तानपुर में उसने पांच में से चार सीटें जीतीं थीं और सिर्फ इसौली सीट उसने अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (एसपी) के हाथों गंवा दी थी.
मेनका और वरुण दोनों का पीलीभीत में एक अच्छा जनाधार है. मां-बेटे की जोड़ी ने क्रमश: 2014 और 2019 में, ये सीट 5-5 लाख से अधिक वोटों के विशाल अंतर से जीती थी. लेकिन, इस साल के असेंबली चुनावों में दोनों ही चुनाव प्रचार के दौरान ग़ायब दिखाई दिए.
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राष्ट्रीय कार्यकारिणी व स्टार प्रचारकों की सूची से हटाया
2022 विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले ही अक्टूबर 2021 में पूर्व कैबिनेट मंत्री मेनका और वरुण को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति से हटा दिया गया. इस फैसले से कुछ दिन पहले ही वरुण गांधी ने लखीमपुर खीरी घटना पर ट्वीट किए थे ‘जिसमें कथित रूप से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा आशीष मिश्रा शामिल था. ट्वीट के ज़रिए उन्होंने उन किसानों के प्रति समर्थन व्यक्त किया था जिन्हें कुचल दिया गया था और अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग की थी.’
मां-बेटे की जोड़ी को यूपी के लिए बीजेपी के स्टार प्रचारकों की सूची से भी बाहर रखा गया था.
पिछले साल, वरुण ने सार्वजनिक रूप से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गन्ने की क़ीमतें बढ़ाने के लिए भी कहा था. पीलीभीत सांसद ने बेरोज़गारी, अर्थव्यवस्था और कृषि जैसे मुद्दों से निपटने के केंद्र सरकार के तरीक़े की भी आलोचना की थी. बीजेपी के साथ तनाव के बीच ये भी अटकलें थीं कि वरुण ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं.
पीलीभीत में यूपी चुनावों के दौरान वरुण की अनुपस्थिति ने लोगों का ध्यान खींचा है जिन्होंने कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद मुश्किल से ही पार्टी के लिए प्रचार किया है. पिछले महीने सांसद ने अपनी अनुपस्थिति पर सफाई देते हुए कहा था कि वो ‘डेल्टा वेरिएंट से पीड़ित थे’, और जैसे ही उनका ‘स्वास्थ्य अनुमति देगा’, वो अपने चुनाव क्षेत्र में पहुंचेंगे.
सांसद के एक क़रीबी सहयोगी ने कहा कि असेंबली चुनावों के दौरान समर्थक वरुण की पुकार सुनते हैं लेकिन इस बार उनकी ओर से कोई संदेश नहीं था.
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