श्रीनगर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जम्मू-कश्मीर में पहले जिला विकास परिषद चुनाव में 75 सीटों पर सफलता हासिल की है लेकिन संभवत: सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि उसने इनमें से तीन सीटें घाटी में जीती हैं.
यद्यपि जम्मू में भाजपा के अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद पहले से ही थी— जहां उसने 72 सीटें जीती और यह संख्या क्षेत्र की कुल डीडीसी सीटों में से आधी से अधिक है लेकिन कश्मीर में इसके तीन उम्मीदवारों का जीतना इस पार्टी के लिए एक नई शुरुआत है जो कभी भी घाटी वाले इलाके में अपनी जड़ें जमाने में कामयाब नहीं हुई थी.
इन तीन नेताओं में एक इंजीनियर एजाज हुसैन राथर, अंग्रेजी और राजनीति विज्ञान दोनों में स्नातकोत्तर अज्जाज राजा और कानून की एक छात्रा मिनहा लतीफ शामिल हैं.
यह भी पढ़ें: बस्तर में धार्मिक स्थलों पर बने BSF कैम्प का विरोध, ग्रामीणों का आरोप- ‘देव स्थल’ नष्ट कर बनाए गए
‘अच्छे काम से लोगों के बीच जगह बनाओ’
2006 में पार्टी में शामिल होने से पहले बतौर इंजीनियर काम करते रहे एजाज हुसैन राथर ने बुधवार को श्रीनगर में 14 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक पर जीत दर्ज की थी. भाजपा की युवा शाखा के 35 वर्षीय राष्ट्रीय उपाध्यक्ष को इंजीनियर एजाज के नाम से भी जाना जाता है.
एक राजनेता और भाजपा नेता के तौर पर राथर का कैरियर ग्राफ शायद कश्मीर में जीत हासिल करने वाले इन तीनों में सबसे अलग ही तरह का है.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद राथर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए चैन्नई चले गए. एक सरकारी कर्मचारी के बेटे की तब तक राजनीति में शामिल होने की कोई महत्वाकांक्षा नहीं थी.
उन्होंने बताया, ‘लेकिन बाहर मैंने अपने कुछ दोस्त बनाए जिन्होंने मुझे बताया कि भाजपा का क्या मतलब है. जब मैं कश्मीर लौटा तो मुझे वास्तव में भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं की तलाश करनी थी. मैं यहां कुछ समान विचारधारा वाले लोगों से मिला. हमें पार्किंग स्थल में मिलना पड़ता था क्योंकि भाजपा का कोई स्थायी कार्यालय नहीं था.’
पार्टी में राथर को पहला पद— युवा मोर्चा श्रीनगर का जिला सचिव— 2008 में मिला.
राथर ने दिप्रिंट को बताया, ‘2012 में मुझे भाजपा का जिला सचिव बनाया गया, 2013 में मैं भाजपा युवा मोर्चा का राज्य उपाध्यक्ष और 2016 में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना. उसी वर्ष मुझे पश्चिम बंगाल में भाजपा युवा मोर्चे का प्रभारी बनाया गया.’
वह न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे देश में भाजपा के हलकों में काफी अहमियत रखते हैं. वरिष्ठ भाजपा नेता राम माधव के साथ काम करने के बाद राथर ने पश्चिम बंगाल में अविनाश राय खन्ना और कैलाश विजयवर्गीय समेत कई नेताओं की संगत में काम किया. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अधीन भी काम किया.
अब, उन्हें अगले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों में भूमिका निभाने की उम्मीद है.
संभवत: पिछले पांच वर्षों के उनके कामकाज ने राथर को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालने की स्थिति में ला दिया है.
उन्होंने बताया, ‘26 जनवरी 2016 को मैंने ईडीआई भवन में ऊपर तिरंगा फहराया था, जहां एक आतंकी हमले में हमारे जवान शहीद हुए थे. मैंने नोटबंदी पर प्रधानमंत्री के कदम के समर्थन में कश्मीर में एक हस्ताक्षर अभियान चलाया था. मैंने नागरिकता संशोधन अधिनियम के फायदे गिनाने के लिए एक विशाल सम्मेलन भी आयोजित किया था.
राथर ने कहा, ‘अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद मैंने लाल चौक में तिरंगा रैली आयोजित की. ये सभी काम मैंने सिर्फ पार्टी को मजबूत करने के लिए नहीं देश के प्रति अपना प्यार जताने के लिए किए थे.’
उन्होंने बताया कि वह अपने दोस्तों और रिश्तेदारों की नाराजगी और सामाजिक बहिष्कार के बावजूद भाजपा के साथ जुड़े रहे.
राथर ने कहा, ‘लेकिन मुझे पूरा यकीन था कि वे एक दिन मेरी पसंद से आश्वस्त होंगे और आज मैं सही साबित हुआ हूं. आक्रामकता किसी चीज का हल नहीं है. मेरा मकसद है अपने अच्छे काम के जरिये लोगों के बीच विश्वास कायम करना.’ साथ ही कहा कि उनके और भाजपा के लिए अगली बड़ी चुनौती विधानसभा चुनाव होंगे.
यह भी पढ़ें: ‘किसानों का समर्थन पार्टी विरोध नहीं’- नाना की विरासत ने जाट भाजपा नेता को प्रदर्शन में शामिल होने पर मजबूर किया
‘पीडीपी कमजोर पड़ी’
राथर जहां अपने पहले चुनाव में जीत हासिल करने में सफल रहे हैं, कश्मीर के गुरेज क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले उनके सहयोगी अज्जाज राजा के लिए यह सफलता कोई नई नहीं है. यह उनकी लगातार तीसरी चुनावी जीत है.
उन्होंने 2018 के स्थानीय निकाय चुनावों में अपने गांव से सरपंच की कुर्सी हासिल की थी और पिछले साल पंच और सरपंचों की तरफ से ब्लॉक विकास परिषद अध्यक्ष चुने गए थे.
35 वर्षीय राजा ने अंग्रेजी और राजनीति विज्ञान दोनों विषयों में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. वह लगभग चार वर्षों तक पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से जुड़े रहे थे. हालांकि, इस साल के शुरू में राजा और उनके पिता फकीर खान जो पीडीपी के विधायक रह चुके हैं, ने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया.
उन्होंने कहा, ‘… इससे पहले कि मैं पीडीपी को छोड़ता यह कमजोर होने लगी थी. पीडीपी ने मेरे क्षेत्र की उपेक्षा की थी और भाजपा मेरे और मेरे पिता की स्वाभाविक पसंद थी. मेरे पिता जम्मू-कश्मीर में एसटी विंग के प्रभारी हैं.’ उन्होंने आगे कहा कि विकास के साथ-साथ वह गुरेज को एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित होते देखना चाहते हैं.
यह भी पढ़ें: दिल्ली में 51 लाख लोगों को पहले लगेगा कोरोना का टीका, सारी तैयारी पूरी कर ली गई है: केजरीवाल
कानून के छात्रा के लिए शुरुआती सफलता
घाटी में जीत हासिल करने वाली 21 वर्षीय मिनहा लतीफ भाजपा की तीसरी नेता है. उन्होंने दक्षिण कश्मीर के अशांत पुलवामा क्षेत्र में अपनी सीट पर सफलता हासिल की.
राजा की तरह मिनहा भी एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती है. उनके पिता लतीफ भट जम्मू-कश्मीर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के उपाध्यक्ष हैं.
मिन्हा ने दिप्रिंट को बताया कि वह कानून की छात्रा हैं और अपने पिता की पार्टी से प्रभावित होने के कारण ही भाजपा का हिस्सा बनीं.
उन्होंने आगे कहा कि प्रतिशोध की आशंका को देखते हुए वह ज्यादा ब्योरा देने या अपनी तस्वीर साझा करने में सक्षम नहीं होंगी. हालांकि, उन्होंने क्षेत्र के लोगों के विकास के लिए काम करने की इच्छा जताई.
पूर्व में कांग्रेस के साथ रहे उनके पिता ने दिप्रिंट को बताया कि उनके परिवार के सभी सदस्य भाजपा में हैं. लतीफ भट ने कहा, ‘मिनहा की जीती सीट महिलाओं के लिए आरक्षित है और यही कारण है कि मैंने उन्हें चुनाव लड़ने को कहा. मैं उसकी जीत देखकर खुश हूं.’
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: कश्मीर में DDC चुनावों में लेफ्ट के अच्छे प्रदर्शन के पीछे है 71 बरस का नेता, क्यों चौंकाने वाले नहीं है ये नतीजे