मुंबई: शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को दावा किया कि महाराष्ट्र में विपक्षी भाजपा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार के हर फैसले का सिर्फ विरोध के लिए विरोध कर रही है.
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के अपने साप्ताहिक स्तंभ ‘रोखठोक’ में राज्य में पूजा स्थलों को खोले जाने को लेकर हुए विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई को जो लोग ‘हिन्दुत्व’ से जोड़ते हैं, वे जनता के ‘दुश्मन’ हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि राजधानी दिल्ली में ढील देने की प्रक्रिया इतनी जल्दी शुरू कर दी गई, जिसकी वजह से आज वहां मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है.
राष्ट्रीय राजधानी के मौजूदा संकट को उन्होंने दिल्ली सरकार का ‘अति-आत्मविश्वास’ करार दिया और कहा कि वहां मामले इतने बढ़ रहे हैं कि एक और लॉकडाउन लागू करने की स्थिति आ गई है.
शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता राउत ने कहा, ‘बाजारों, सार्वजनिक स्थलों और पूजा स्थलों को फिर से बंद किया जाएगा. ऐसा क्यों हुआ, महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं को सोचना चाहिए? …वे महाराष्ट्र सरकार के हर फैसले का विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं.’
राउत ने कहा कि भाजपा नेताओं ने तो छठ पूजा की अनुमति प्रदान करने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन तक किया. उन्होंने कहा, ‘आपने भले ही बिहार चुनाव जीत लिया लेकिन मुंबई में रहने वाली बिहार की जनता को विवादों में घसीटने की कोई जरूरत नहीं है. लाखों की संख्या में लोग समुद्र किनारे जुटते हैं और महामारी के इस संक्रमण के दौर में यह अवैध है.’
उन्होंने कहा कि गुजरात, हरियाणा और मध्य प्रदेश की भाजपा सरकारों ने भी सार्वजनिक स्थलों पर छठ पूजा की अनुमति नहीं दी जबकि महाराष्ट्र में वह इसकी अनुमति मांग रही थी.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘भले ही लोगों की जान जाए, भाजपा राज्य सरकार के हर कदम का विरोध करना चाहती है.’
राउत ने कहा कि भाजपा यदि राज्य में एक और लॉकडाउन चाहती है तो ‘यह राज्य का दुर्भाग्य है.’
उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग हिन्दुत्व के विचारक वी डी सावरकर को ‘भारत रत्न’ नहीं दे सके, वे दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का नाम बदलने की योजना बना रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘यह हास्यास्पद है…दूसरों के द्वारा स्थापित संस्थानों का नाम बदलने की जगह अपनी विरासत तैयार करो. देश पिछले छह सालों में नहीं बना है.’
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