नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने बिलकिस बानो मामले पर चुप्पी साध रखी है लेकिन पार्टी के दिग्गज नेता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने बलात्कार और हत्या के दोषियों को रिहा करने की अनुमति देने के लिए गुजरात सरकार की आलोचना की है.
वाजपेयी सरकार में पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे 80 वर्षीय नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘दोषियों की रिहाई के बारे में सुनकर मेरा सिर शर्म से झुक गया. यह इतिहास के सबसे बर्बर मामलों में से एक था. कोई सरकार दोषियों को इतनी छूट कैसे दे सकती है? गुजरात सरकार को अपना फैसला वापस लेना चाहिए और मामले में दोषी ठहराए गए लोगों को फांसी पर लटका देना चाहिए.’
कुमार ने यह भी कहा कि वह इन दोषियों को दी गई छूट को ‘बदलने’ के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करेंगे.
हाई-प्रोफाइल मामले में सभी 11 दोषियों को स्वतंत्रता दिवस पर गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया था. गुजरात में भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी.
इन दोषियों को 2002 में गुजरात सांप्रदायिक दंगों के दौरान बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के कई सदस्यों की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. उनकी रिहाई उस साल की गई है, जब राज्य नए विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगा है.
कुमार ने कहा कि यह ‘शर्मनाक’ है कि रिहाई तब हुई जब देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा था.
उन्होंने बताया, ‘जब विशेष अदालत ने उन्हें उनके अपराध के लिए दोषी ठहराते हुए अपना फैसला सुनाया और उच्च न्यायालय ने बलात्कार और हत्या के लिए उनकी सजा को सही ठहराया, तो इसका मतलब है कि यह साबित हो गया है कि उन्होंने जघन्य अपराध किया है.’
वह आगे कहते हैं, ‘मुझे आश्चर्य है कि इतने जघन्य अपराधों के बावजूद उन्हें फांसी नहीं दी गई. अब, मुझे यह जानकर और भी आश्चर्य हुआ कि गुजरात सरकार ने एक विशेष प्रावधान का इस्तेमाल करके उन्हें रिहा कर दिया है. यह शर्मनाक है कि आजादी का 75वां साल होने के बावजूद महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं.’
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने 17 अगस्त को अपने कार्यालय में दोषियों को माला पहनाकर बधाई दी थी, जिसके बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया. विपक्षी दल कांग्रेस ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में महिलाओं के सशक्तिकरण के बारे में ‘खोखले दावे’ करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला लेकिन बीजेपी ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है.
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भाजपा खेमे में चुप्पी
दिप्रिंट से बात करने वाले भाजपा खेमे के कई नेताओं ने दावा किया कि उन्हें मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए बयान नहीं देने के लिए कहा गया है. भाजपा विधायक सी के राउलजी ने दोषियों का बचाव करते हुए कहा था कि वे ब्राह्मण हैं और ब्राह्मण अच्छे संस्कार के लिए जाने जाते हैं. उनके इस बयान के बाद पार्टी को काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था. जैसा कि दिप्रिंट ने पहले बताया था कि विधायक के तथ्य गलत हैं क्योंकि 11 दोषियों में से केवल तीन ब्राह्मण थे.
शांता कुमार ने कहा कि सजा से मिली छूट से इन दोषियों के प्रभाव की सीमा का पता चलता है. उन्होंने बताया, ‘यह दिखाता है कि दोषी पाए गए लोग शक्तिशाली हैं क्योंकि उन्हें फांसी नहीं दी गई. यह सिस्टम में उनकी पॉवर को भी दर्शाता है, जिनके लिए नियमों को बदल दिया गया.’ उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार को अपनी ‘गलती’ को सुधारना चाहिए.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बताया, ‘मैं प्रधानमंत्री से इस छूट को वापस लेने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का अनुरोध करूंगा, क्योंकि यह न सिर्फ न्याय की आत्मा के खिलाफ है बल्कि यह महिलाओं की रक्षा के लिए हमारी असफल प्रतिबद्धता को भी दिखाता है.’
दोषियों की रिहाई के बाद, बानो ने एक बयान जारी किया कि समय से पहले रिहाई ने न्याय में उनके विश्वास को हिला दिया और उन्हें स्तब्ध कर दिया. गोधरा के दंगों से पीड़ित ने कहा कि मेरे पास कहने के लिए ‘शब्द नहीं है.’
बानो के वकील द्वारा जारी किए गए बयान में उन्होंने कहा, ‘दो दिन पहले, 15 अगस्त को मुझपर जैसे पिछले 20 सालों का सदमा फिर से कहर की तरह टूट पड़ा. जब मैंने सुना कि जिन 11 दोषियों ने मेरे परिवार और मेरे जीवन को तबाह कर दिया और मेरी तीन साल की बेटी को मुझसे छीन लिया, वो सभी आरोपी रिहा कर दिए गए हैं.’
उनके पति याकूब रसूल ने दिप्रिंट को बताया था कि उन्हें मीडिया के जरिए दोषियों की रिहाई की खबर मिली थी. उन्होंने कहा, ‘जब मैंने बिलकिस को यह बताया, तो वह चौंक गई.’
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और वकील अपर्णा भट की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए 11 दोषियों को छूट की मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त कर दी है.
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