scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमराजनीतिकेंद्र-राज्य संबंध का विषय गृह मंत्रालय की संसदीय समिति से बाहर रखने पर TMC नाराज

केंद्र-राज्य संबंध का विषय गृह मंत्रालय की संसदीय समिति से बाहर रखने पर TMC नाराज

तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों का दावा है कि यह विषय हटा दिया गया है, जबकि गृह मामलों की पिछली संसदीय स्थायी समिति ने इसको महत्वपूर्ण माना था और इस पर चर्चा की जानी थी.

Text Size:

नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस गुरुवार को इस बात पर खासी भड़क गई कि गृह मामलों की स्थायी संसदीय समिति की बैठकों में साल भर चर्चा के लिए उठाए जाने वाले विषयों की सूची में केंद्र-राज्य संबंधों को शामिल नहीं किया गया है. पार्टी सूत्रों ने दावा किया कि यह स्थिति तब है जबकि पिछली स्थायी समिति (जो अब भंग हो चुकी है) में इस विषय को बहुत महत्वपूर्ण माना गया था और इस पर चर्चा होनी थी.

हालांकि, स्थायी समिति के अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद बृजलाल ने दिप्रिंट से कहा कि पिछली संसदीय समिति में ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया गया था.

वहीं, इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने दिप्रिंट को बताया कि तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद ने स्थायी समिति के अध्यक्ष को पत्र भी लिखा था और इस मुद्दे को शामिल करने के लिए कहा था, लेकिन इसे ठुकरा दिया गया.

21 अक्टूबर को प्रकाशित राज्यसभा के एक बुलेटिन के मुताबिक, 2022-23 में गृह मंत्रालय की स्थायी संसदीय समिति की बैठकों में जिन पांच मुद्दों पर चर्चा होगी, उनमें जेल—स्थितियां, बुनियादी ढांचा और सुधार—सीमा प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, केंद्र शासित प्रदेशों का कामकाज, पूर्वोत्तर राज्यों में केंद्र प्रायोजित योजनाओं और परियोजनाओं पर अमल, और आंतरिक सुरक्षा संबंधी चुनौतियां और भारत की तैयारियां शामिल हैं.

तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के नेता (राज्यसभा) डेरेक ओ’ब्रायन ने दिप्रिंट से कहा, ‘भाजपा हर दिन ही इस देश का संघीय ढांचा नष्ट करती जा रही है. वे संघ के साथ राज्यों के रिश्तों का कोई सम्मान नहीं करते हैं. यही वजह है कि संसदीय समिति में इस विषय पर चर्चा से भी कतराते हैं. यह समस्या जरूरत से ज्यादा बड़ी हो चुकी है.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

केंद्र-राज्य संबंधों का मुद्दा एनडीए सरकार के पूरे कार्यकाल में विवादित रहा है, बीजू जनता दल (बीजद) और कांग्रेस सहित विभिन्न राज्यों में सत्तासीन दल कई पार्टियां इस पर चर्चा के लिए दबाव डाल रही हैं.

इस घटनाक्रम से अवगत एक व्यक्ति ने कहा, ‘गत 1 अगस्त को पिछली स्थायी समिति की 13वीं बैठक के दौरान केंद्र-राज्य संबंध के विषय को बहुत अहम माना गया था, क्योंकि यह संवेदनशील मुद्दों से जुड़ा है, और कहा गया कि इस पर समिति में विस्तृत चर्चा की आवश्यकता है. तय किया गया था कि जब समिति जेल सुधारों पर जारी चर्चा पूरी कर लेगी तो इस विषय पर विचार किया जाएगा.’

मौजूदा स्थायी समिति का गठन अक्टूबर में किया गया था.


यह भी पढ़ें: मोदी सरकार के स्कूल प्रदर्शन सूचकांक में शीर्ष पर केरल, महाराष्ट्र और पंजाब


‘समिति की बैठकों के बारे में चर्चा करना ठीक नहीं’

हालांकि, बृजलाल ने इस बात से इनकार किया कि पहले की बैठकों में केंद्र-राज्य संबंधों के विषय पर चर्चा को लेकर कोई निर्णय लिया गया था.

उन्होंने कहा, ‘पहली बात तो यह कि स्थायी समिति की बैठकों की कार्यवाही को बाहर साझा करना उचित नहीं है. लेकिन, मैं उस स्थायी समिति का भी सदस्य था, इसलिए जानता हूं कि ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया था कि इस पर चर्चा की जाएगी. हमने इस साल चर्चा के पांच विषय तय किए हैं जो कि मैं आपके साथ साझा नहीं करने जा रहा. हम पूरे साल इन पांच विषयों पर विचार-विमर्श करते रहेंगे.’

इस साल के लिए नए सिरे से गठित गृह मामलों की स्थायी संसदीय समिति में बृजलाल ने बतौर अध्यक्ष कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की जगह ली है. स्थायी संसदीय समितियां हर साल गठित की जाती हैं और इनका कार्यकाल एक साल के लिए होता है. ये समितियां आमतौर पर सितंबर के आसपास गठित की जाती हैं.

जानकार लोगों का दावा है कि तृणमूल कांग्रेस की तरफ से गुरुवार को समिति की बैठक में भी केंद्र-राज्य संबंधों के मुद्दे पर चर्चा की मांग की गई थी और बीजद और जनता दल (यूनाइटेड) जैसी पार्टियों ने इसका समर्थन किया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: अरविंद केजरीवाल करेंगे गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा


share & View comments