देहरादून: गुजरात में अपना मंत्रिमंडल पूरी तरह से बदलने के बाद भाजपा ने अब उत्तराखंड में अगले पांच महीनों में होने वाले चुनाव की रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, यदि यहां पर दो चरण में होने वाले आकलन के शुरुआती निष्कर्ष सही साबित हुए तो भाजपा के 40-50 फीसदी विधायकों का टिकट कट सकता है.
पार्टी की तरफ से आकलन की कवायद में शामिल उत्तराखंड के शीर्ष भाजपा नेताओं के मुताबिक, भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम के निर्देश और राष्ट्रीय महासचिव बी.एल. संतोष की निगरानी में तैयार की जा रही सूची में मंत्रियों के नाम भी शामिल हो सकते हैं.
सूत्रों ने बताया कि पहले दौर में दिल्ली और प्रदेश संगठन के लगभग 10-11 वरिष्ठ पार्टी नेताओं के एक समूह ने भाजपा के 57 विधायकों में से हर एक के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के स्तर का आकलन करने के लिए उनके संबंधित विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया. इस टीम में चार राज्य महासचिव, गौतम और लोकसभा सांसद रेखा वर्मा—जो उत्तराखंड में भाजपा की सह-प्रभारी हैं—शामिल हैं. यह अभियान 1 से 20 सितंबर के बीच चला था.
भाजपा विधायकों के बारे में जनभावनाओं का पता लगाने के लिए इस कवायद का दूसरा चरण इस समय चल रहा है और इसे पूरा होने में अभी एक पखवाड़ा लगने की संभावना है. सूत्रों ने कहा कि जिन नेताओं को फिर से टिकट नहीं दिया जाना है, उनके नाम इसके बाद ही तय किए जाएंगे.
उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने दिप्रिंट से बातचीत में इसकी पुष्टि की कि 2022 के चुनाव में किन विधायकों को फिर से टिकट नहीं दिया जाना है, यह तय करने के लिए पार्टी विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के आकलन की प्रक्रिया चल रही है. हालांकि, उन्होंने इसके नतीजों के बारे में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
कौशिक ने कहा, ‘विधायकों के प्रदर्शन का आकलन भाजपा हमेशा से ही करती रही है. यह एक सतत प्रक्रिया है और केंद्रीय नेतृत्व इसके माध्यम से हमारे प्रदर्शन पर नजर रखता है. अपने प्रदर्शन में खरे न उतरने वालों को शॉर्टलिस्ट करना भी इस कवायद का ही एक हिस्सा है. हालांकि, मैं इसके परिणाम पर टिप्पणी नहीं कर सकता क्योंकि यह सीधे केंद्रीय नेतृत्व से संबंधित है. मेरी तरफ से इस बारे में कुछ भी कहना व्यवस्था का उल्लंघन होगा क्योंकि सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर कार्रवाई करना पार्टी नेतृत्व का काम है.’
70 सदस्यीय उत्तराखंड विधानसभा के लिए चुनाव अगले साल की शुरुआत में होने वाले हैं. 2002 में अपने पहले चुनाव के बाद से राज्य ने कभी भी किसी मौजूदा सरकार को फिर से नहीं चुना है.
भाजपा प्रवक्ता मनबीर चौहान ने कहा कि ‘विधायकों के प्रदर्शन का आकलन करना भाजपा की चुनावी तैयारियों का एक नियमित और अभिन्न हिस्सा रहा है, लेकिन हर व्यक्ति को इसकी जानकारी नहीं होती है.’
चौहान ने कहा, ‘इसके नियम और शर्तें परिस्थितियों के हिसाब से तय हो सकती हैं, जो भविष्य की अपनी चुनावी रणनीति तैयार करने में पार्टी नेतृत्व के लिए मददगार हों. मौजूदा विधायकों के भविष्य के बारे में अभी कुछ भी कहना मुश्किल है क्योंकि इस पर कोई भी फैसला हमेशा पार्टी के वरिष्ठ नेता ही करते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हमारा लक्ष्य 60 सीटों के साथ सत्ता में वापसी करना है और राज्य में मौजूदा सरकारों के फिर से सत्ता हासिल न करने के मिथक को तोड़ना है. इस राह में आने वाली चुनौतियों के बावजूद भाजपा नेतृत्व इस एजेंडे के साथ अपनी चुनावी रणनीति पर काम कर रहा है.’
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में केजरीवाल की AAP की पैर जमाने की कोशिश से कांग्रेस चिंतित, BJP खुश
‘नामों को अंतिम रूप दिया जाना बाकी’
सर्वेक्षण में शामिल भाजपा नेताओं और पदाधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व ने मूल्यांकन करने वाले दल से कहा था कि पहले विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की स्थिति का पता लगाएं, क्योंकि इसी से प्रभारी मंत्रियों के पांच साल के कामकाज के बारे में भी पता चलेगा.’
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘इसके बाद अब मूल्यांकन का दूसरा दौर जारी है जिसमें उन विधायकों के नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा जिनके टिकट काटे जाने हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘2022 में प्रस्तावित चुनाव के लिए अब तक, 25-30 नाम अयोग्य पाए गए हैं. अगले 10 दिनों में सर्वे पूरा होने पर संख्या और भी बढ़ सकती है. गुजरात में पूरी सरकार को बदलना अब पार्टी नेतृत्व के लिए एक बेंचमार्क बन चुका है.’
भाजपा नेता ने यह भी कहा कि अंतिम सूची पार्टी में सभी को हैरान करने वाली हो सकती है क्योंकि इसमें ‘पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट के मंत्री भी शामिल होंगे.’
अपना नाम न देने की शर्त पर पार्टी के एक दूसरे प्रवक्ता ने कहा, ‘हालांकि, अभी उन सभी विधायकों के नामों को अंतिम रूप नहीं दिया गया है जिनका टिकट कट सकता है, लेकिन उनमें से लगभग आधे की पहचाना हो गई है.’
प्रवक्ता ने कहा, ‘अगर पार्टी राज्य में 2022 के चुनावों में उन्हें फिर से मैदान में उतारती है तो वो हार सकते हैं. हर निर्वाचन क्षेत्र में विधायकों की फिर जीतने की संभावनाओं के बारे में मतदाताओं और जमीनी स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ गहन विचार-विमर्श चल रहा है.’
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में कांग्रेस के चेहरे हरीश रावत ने 2022 में मुख्यमंत्री पद की दौड़ से हटने के संकेत दिए