नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दलित समुदाय के साथ संबंध बनाने की सलाह पर अमल करते हुए, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 15-16वीं सदी के कवि-रहस्यवादी और जाति-विरोधी सुधारक संत रविदास की जयंती विशेष रूप से मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे चुनावी राज्यों में मनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
16-17 जनवरी को आयोजित बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में, पीएम ने पार्टी नेताओं से रविदास के मंदिरों का दौरा करने और हाशिए के समुदायों तक पहुंचने के लिए अन्य उपाय करने का आग्रह किया था.
भाजपा के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, इस साल 5 फरवरी को मनाई जा रही रविदास जयंती के लिए, बीजेपी की राज्य इकाइयों को संत समागम (धार्मिक सभा), प्रमुख शोभा यात्रा (गौरव मार्च), मंदिरों में जाने और दलित परिवारों से मिलने के लिए कहा गया है.
बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में, यह कार्यक्रम विशेष रूप से प्रभावशाली है क्योंकि यहां नवंबर महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पांच फरवरी को एक “विकास यात्रा” की शुरुआत करेंगे, जिसमें बीजेपी नेता विभिन्न पहलों का उद्घाटन करने के लिए जिलों के गांवों में जाएंगे और लोगों को सरकार की उपलब्धियों से अवगत कराएंगे. राज्य के सागर जिले में, दलित पुजारियों और धार्मिक हस्तियों के सम्मान में एक रविदास महाकुंभ का भी आयोजन किया गया है.
बीजेपी के अनुसूचित जाति (एससी) मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य ने दिप्रिंट को बताया कि विकास यात्रा के दौरान मंत्री और विधायक अपने जिलों का दौरा करेंगे.
उन्होंने कहा, “वे जनता की शिकायतों को सुनेंगे और मौके पर जो कुछ भी कर सकते हैं उसे करेंगे. नई परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया जाएगा और हाल ही में पूरे हुए विकास कार्यों का उद्घाटन भी किया जाएगा. सरकार रविदास महाकुंभ में समुदाय के पुजारियों और संतों का सम्मान करेगी.”
इसके अलाना कर्नाटक जहां अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है यहां भी मध्य प्रदेश के समान ही एक शोभा यात्रा शुरू करने की योजना है. स्थानीय नेताओं का कहना है कि उनका एक जनादेश इस बारे में जागरूकता पैदा करना है कि राज्य की बीजेपी सरकार ने दलितों के लिए क्या किया है, खासकर पिछले साल अनुसूचित जाति (एससी) कोटा 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत कर दिया.
2011 की जनगणना के अनुसार, आबादी में दलितों का अनुपात कर्नाटक और मध्य प्रदेश दोनों में काफी बड़ा है – क्रमशः लगभग 17 प्रतिशत और 16 प्रतिशत.
पिछले साल पंजाब और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले, राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी संत रविदास के प्रति समर्पण दिखाया था. पिछली जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जाति में पंजाब की आबादी का लगभग 32 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश का लगभग 20 प्रतिशत शामिल है.
पीएम मोदी ने भी तब भी कई बार रविदास को श्रद्धांजलि दी थी. पठानकोट में एक रैली के दौरान उन्होंने कहा था कि पार्टी रविदास के आदर्शों का पालन करती है. मोदी ने दिल्ली में श्री गुरु रविदास विश्राम धाम मंदिर में एक भजन कार्यक्रम में भाग लिया था और प्रार्थना भी की थी. इसके अलावा मोदी वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर में रविदास मंदिर गए थे जिसे गुरु की जन्मभूमि माना जाता है. यहां पीएम ने गुरु रविदास जन्मभूमि विकास परियोजना का शिलान्यास भी किया था.
संत रविदास हिंदू धर्म में सुधारवादी भक्ति आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे, लेकिन बड़े पैमाने पर ‘दलित गौरव’ के प्रतीक के रूप में उनका कद अपेक्षाकृत हाल की घटना है.
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संत रविदास को लुभाने की रणनीति
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की आबादी का लगभग 16.6 प्रतिशत शामिल दलितों के प्रति अपने आउटरीच के हिस्से के रूप में – भाजपा वाल्मीकि से लेकर संत कबीर से लेकर संत रविदास तक समुदाय द्वारा सम्मानित आंकड़ों को अपने संदेश और छवि में शामिल करने का प्रयास कर रही है.
जैसा कि पहले भी बताया गया था, यह पंजाब में 2022 और हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनावों के दौरान स्पष्ट था. इस दौरान हरियाणा ने राज्य की बीजेपी सरकार ने कबीर, रविदास और वाल्मीकि के जन्मस्थानों पर मुफ्त तीर्थ यात्रा के लिए एक योजना शुरू की थी.
कई राज्यों के चुनावों से पहले और 2024 के लोकसभा चुनावों के करीब आने के साथ, मोदी ने बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कार्यकर्ताओं से अपने समापन भाषण के दौरान “राम मंदिर से अलग हटने” और रविदास जयंती सलाह को अमल में लाने पर जोर दिया था.
बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर्य ने कहा कि पार्टी ने पूरे भारत में कार्यक्रम निर्धारित किए हैं, जहां कार्यकर्ता दलित इलाकों में रविदास मंदिरों का दौरा करेंगे और जनसभाएं आयोजित करेंगे और समुदाय को अनुसूचित जाति के लिए सरकार की पहल से अवगत कराया जाएगा.
आर्य ने कहा, “हमें दलित बस्तियों में शोभा यात्राओं का आयोजन करने के लिए कहा गया है ताकि हमारे भाई और बहनें अपने आइकॉन की जयंती शानदान तरीके से मनाएं. राज्य इकाइयों को सभी निर्वाचन क्षेत्रों में सफाई अभियान और रक्तदान शिविर जैसे सेवा कार्य आयोजित करने के लिए भी कहा गया है.”
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चुनावी राज्यों में जयंती पर कार्यक्रम
मध्य प्रदेश में इवेंट्स के बारे में बात करते हुए, राज्य के बीजेपी एससी मोर्चा के प्रमुख कैलाश जाटव ने दिप्रिंट को बताया कि दलितों के लिए पार्टी के काम के बारे में अच्छी बात फैलाने की पहल के अलावा, सागर जिले में “लाखों भक्तों” के लिए एक रविदास महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा.
जाटव ने कहा, “राज्य के कोने-कोने से दलित समुदाय के लोग यहां अपने संतों का सम्मान करने के लिए इकट्ठा होंगे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कार्यक्रम में शामिल होंगे.”
कर्नाटक बीजेपी एससी मोर्चा के महासचिव दिनाकर बाबू ने स्वीकार किया कि रविदास जयंती समारोह मतदाता समर्थन बनाने का एक अवसर है.
बाबू ने कहा, “प्रत्येक मंडल इकाई में, हम जयंती के मौके पर एक शोभा यात्रा का आयोजन करेंगे. इसके अलावा, हम दलितों के लिए राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी देंगे- जैसे कर्नाटक में अनुसूचित जाति (एससी) आरक्षण में 2 प्रतिशत की वृद्धि. यह इसलिए भी बताया जाएगा क्योंकि राज्य में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.”
कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में, दिसंबर के आसपास विधानसभा चुनाव होने हैं यहां अनुसूचित जाति की आबादी लगभग 18 प्रतिशत है.
राजस्थान बीजेपी एससी मोर्चा के प्रमुख कैलाश मेघवाल ने दिप्रिंट को बताया कि रविदास जयंती पर राज्य भर में दो तरफा कार्यक्रम होंगे- दलित बस्तियों में शोभा यात्राएं और निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर सेमिनार- लोगों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए कि केंद्र सरकार ने दलित समुदाय और रविदास के फॉलोवर्स के लिए क्या किया है.”
बीजेपी शासित हरियाणा में जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, राज्य सरकार ने रविदास जयंती मनाने के लिए तीन जगहों- यमुनानगर, गुरुग्राम और नरवाना में बड़े कार्यक्रमों की योजना बनाई है. सीएम मनोहर लाल खट्टर के नरवाना कार्यक्रम में शामिल होने की उम्मीद है, जबकि अन्य मंत्री दूसरे कार्यक्रमों में शामिल होंगे.
(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)
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