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Friday, 19 April, 2024
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DMK नेता ने दलित व्यक्ति का किया ‘अपमान’, वीडियो वायरल होने पर निलंबित; BJP बोली- ‘नहीं रहेंगे चुप’

वीडियो में डीएमके पदाधिकारी टी. मनिक्कम राज्य के सलेम में कथित तौर पर एक मंदिर में प्रवेश करने वाले दलित व्यक्ति को अपशब्द कहते दिख रहे हैं. पुलिस ने मनिक्कम को इस घटना के सिलसिले में गिरफ्तार किया था.

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चेन्नई: द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) ने अपने पार्टी पदाधिकारी टी. मनिक्कम को एक ऐसा वीडियो वायरल होने के कुछ ही घंटों बाद निलंबित कर दिया, जिसमें वह तमिलनाडु के सलेम में कथित तौर पर मंदिर में प्रवेश करने वाले एक दलित व्यक्ति को अपशब्द कहते नज़र आ रहे हैं. हालांकि, इस घटना ने राज्य में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एक नया मुद्दा दे दिया है.

डीएमके प्रवक्ता ए. सर्वणन ने सोमवार को दिप्रंट से कहा, ‘‘हमारे नेता (मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन) इसे लेकर बहुत स्पष्ट रहे हैं कि किसी को भी अभद्र टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए. वह कहते रहे हैं कार्रवाई से कभी नहीं हिचकिचाएंगे और ऐसा ही उन्होंने किया भी है.’’

मनिक्कम सलेम में डीएमके के केंद्रीय सचिव रह चुके हैं.

वीडियो वायरल होने के बाद तमिलनाडु में विपक्षी दलों को सत्तारूढ़ पार्टी पर हमला बोलने का मौका मिल गया है. बीजेपी के राज्य उपाध्यक्ष नारायणन थिरुपति ने आरोप लगाया कि अपने विरोधियों के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करना तो डीएमके के डीएनए में है.

थिरुपति ने दिप्रिंट से कहा, ‘‘हम पिछले डेढ़ साल से डीएमके का विरोध कर रहे हैं…बीजेपी राजनीतिक दलों या सरकार की ओर से किसी भी तरह की अनुशासनहीनता या अहंकार के खिलाफ है और डीएमके के लोकतंत्र को खतरे डालने वाले कदमों पर चुप नहीं बैठेगी. भाजपा निश्चित तौर पर डीएमके का विरोध करेगी.’’

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मनिक्कम का किसी दलित व्यक्ति का कथित तौर पर अपमान करना पिछले चार महीनों में किसी पार्टी सदस्य के अपने बयानों को लेकर विवाद में घिरने की कम से कम पांचवीं घटना है. इसने पूरी आक्रामकता के साथ तमिलनाडु की राजनीति में पैठ बनाने की कोशिश कर रही बीजेपी को बैठे-बैठाए डीएमके को घेरने के लिए एक मुद्दा दे दिया है. हालांकि, डीएमके ने पांच मामलों में से तीन में शामिल पार्टी सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करके कड़ा रुख ही दिखाया है.

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक सुमंत सी. रमन का कहना है, ‘‘ऐसे बयानों के कारण निश्चित तौर पर बीजेपी को हमलावर होने मौका मिल रहा है, क्योंकि यह उसके (विपक्षी दल) लिए फायदा उठाने के अवसर हैं.’’

हालांकि, तमिलनाडु में बीजेपी को अभी भी बहुत सीमित जगह हासिल है. तमिलनाडु की 234 सदस्यीय विधानसभा में उसके सिर्फ चार विधायक हैं लेकिन अपने आक्रामक तेवरों के साथ इसने राज्य में प्रमुख विपक्षी होने जैसी छवि बनाई है.


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‘दुर्व्यवहार’ से ‘धमकी’ तक

राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, सलेम में 19 जनवरी की ये कथित घटना वन्नियार समुदाय के सदस्यों के बनाए एक मंदिर की है. मंदिर राज्य सरकार के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (एचआर एंड सीई) के अधिकार क्षेत्र में आता है, जो तमिलनाडु में अधिकांश मंदिरों के रखरखाव की जिम्मेदारी संभालता है और जैसा सत्तारूढ़ डीएमके का दावा है—सभी पूजास्थलों में सबकी पहुंच सुनिश्चित करने का प्रयास करता है.

अधिकारियों ने बताया कि मनिक्कम को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के अलावा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया था.

सोशल मीडिया पर इस कथित घटना के संबंध में प्रतिक्रिया देते हुए तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने लिखा, ‘‘डीएमके के एक सांसद को कल मंदिर गिराए जाने पर गर्व करते देखा गया और आज हमने तमिलनाडु के सलेम जिले में एक डीएमके जिला पदाधिकारी को अनुसूचित जाति समुदाय के भाई-बहनों को मंदिरों में प्रवेश करने से रोकते देखा.’’

अन्नामलाई रविवार को ट्वीट किए गए एक वीडियो का जिक्र कर रहे थे, जिसमें श्रीपेरुंबदूर से डीएमके सांसद टी.आर. बालू ऐसा दावा करते नज़र आ रहे हैं कि उन्होंने 100 साल पुराने मंदिरों को ध्वस्त करवा दिया है. हालांकि, ट्विटर पर कई लोगों ने बताया कि कैसे अन्नामलाई ने भाषण का एक ही हिस्सा साझा किया है और दावा किया कि मूल वीडियो में बालू ने बताया था कि उन्होंने एक अन्य विशाल मंदिर बनने के बाद मंदिर को ध्वस्त करा दिया था.

इस महीने की शुरुआत में तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि और स्टालिन के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के बीच कई मुद्दों पर टकराव नज़र आया था. इसमें राज्य के नाम पर और डीएमके पदाधिकारी शिवाजी कृष्णमूर्ति की तरफ से कथित तौर पर राज्यपाल के खिलाफ ऐसी अपमानजनक टिप्पणी करना भी शामिल है, ‘‘हम आतंकवादियों को भेजेंगे ताकि वे आपको मार गिराएं.’’

इसके जवाब में डीएमके ने अपने पदाधिकारी को पार्टी के सभी पदों के साथ-साथ प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया था.

इसी कार्यक्रम में डीएमके के संगठन सचिव आर.एस. भारती ने भी कथित तौर पर राज्यपाल पर कटाक्ष किया था. कुछ खबरों में उन्हें यह कहते उद्धृत किया गया, ‘‘मैंने पहले ही कहा था कि जो लोग सोन पापड़ी और पानीपुरी बेचते हैं, उन्हें तमिलनाडु के गौरव के बारे में पता नहीं है…कई लोग बिहार से आए हैं और मुझे लगता है कि राज्यपाल भी ऐसी ही ट्रेन से आए हैं.’’

हालांकि, भारती के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी.

पिछले साल नवंबर में, नागरकोइल के मेयर और डीएमके नेता, आर. महेश कैमरे पर भाजपा कार्यकर्ताओं को जान से मारने की धमकी देते नजर आए थे. उन्होंने कथित तौर पर इशारा करते हुए कहा था कि अगर उन्होंने उनके कार्यक्रम बाधित करने की कोशिश की तो उनके सिर कलम कर दिए जाएंगे.

हालांकि, महेश ने बाद में इस तरह की कोई धमकी दिए जाने की बात से इनकार किया था और कहा था कि हाथ का इशारा उस कीड़े को हटाने के लिए था जो उन्हें परेशान कर रहा था.

इसी तरह, पिछले साल अक्टूबर में डीएमके पदाधिकारी सैदई सादिक की भी खासी आलोचना हुई थी क्योंकि उन्होंने तमिलनाडु में अभिनेत्री से भाजपा नेता बनीं नमिता, खुशबू सुंदर, गौतमी, और गायत्री रघुराम आदि को कथित तौर पर ‘आइटम’ कह दिया था.

बीजेपी की वरिष्ठ नेता खुशबू सुंदर ने पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री स्टालिन से सवाल किया था कि क्या यही वह द्रविड़ मॉडल है जिसे लेकर वह दम भरते हैं. इस घटना की व्यापक आलोचना हुई थी और मामला सुलझाने के लिए डीएमके को सादिक को निलंबित करना पड़ा था. इस विवाद को लेकर डीएमके सांसद और पार्टी की उप महासचिव कनिमोझी करुणानिधि ने माफी भी मांगी थी.


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डीएमके के विवाद, बीजेपी के लिए मौका

राजनीतिक विश्लेषक रमन के मुताबिक, डीएमके के पास ऐसे नेताओं का इतिहास रहा है जो ‘अपमानजनक’ भाषण देते रहे हैं, लेकिन यह अब उस पर भारी पड़ रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘1960 के दशक से ही डीएमके ऐसे वक्ताओं का मंच रहा है जो अपमानजनक भाषा इस्तेमाल करते थे, लेकिन समय बदल गया है, मंच बदल गए हैं और इसलिए इन भाषणों का असर भी पड़ता है.’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘सोशल मीडिया से पहले के दौर में ये भाषण कोई समस्या नहीं थे, क्योंकि उनकी पहुंच बहुत सीमित थी. अब भाषण वायरल हो रहे हैं और इससे पार्टी की नकारात्मक छवि बन रही है.’’

डीएमके के पूर्व सांसद टी.के.एस. एलांगोवन ने दावा किया कि ऐसे भाषण आमतौर पर उकसावे का नतीजा होते हैं.

एलांगोवन ने कहा, ‘‘हम किसी को भड़काने वाले लोग नहीं हैं, लेकिन जब हमें उकसाया जाता है तो हमारे कार्यकर्ता नाराज़ हो जाते हैं और इसी तरह की बातें करते हैं. यह प्रतिक्रिया दूसरों की बोली किसी बात का जवाब होती है. जब शांत मन से विरोध जताया जाता है तो उत्तर सामान्य ही होगा, किंतु जब वे क्रोधित होते हैं तो मुंह से ऐसी बातें ही निकलती हैं. यह हमला करने के इरादे से नहीं होता, बल्कि सिर्फ शब्दों से जाहिर किया गया आक्रोश होता है.’’

इस बीच, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा इन विवादों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश में जुटी है.

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक आर. मणि ने दिप्रिंट को बताया, ‘‘अन्नामलाई अक्सर एडिटेड वीडियो जारी करते हैं. भाजपा आलाकमान की तरफ से अन्नामलाई को यही काम दिया गया है. अन्नामलाई का काम ही झूठ बोलना है.’’

जुलाई 2022 में अन्नामलाई ने डीएमके मंत्री के.के.एस.एस. आर रामचंद्रन पर आरोप लगाते हुए पांच-सेकंड का म्यूट वीडियो ट्वीट किया था. इसमें रामचंद्रन एक महिला के सिर पर कागज़ मारते दिख रहे थे और इसे लेकर उनके इस्तीफे तक की मांग की गई थी. बाद में सोशल मीडिया पर जारी पूरे वीडियो में मंत्री उस महिला के साथ मित्रवत मज़ाक करते नज़र आए. दोनों ने मीडिया के सामने इसकी सच्चाई जाहिर की और यह आरोप भी लगाया कि अन्नामलाई ने वीडियो को संदर्भ से अलग रखकर ट्वीट किया था.

(अनुवादः रावी द्विवेदी | संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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