नई दिल्ली: मणिपुर विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की तरफ से औपचारिक तौर पर मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा घोषित न किए जाने से मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के भविष्य को लेकर तमाम अटकलें तेज हो गई हैं. लेकिन केंद्रीय मंत्री और पार्टी के राज्य प्रभारी भूपेंद्र यादव का कहना है कि ऐसे फैसले ‘लोकतांत्रिक तरीके से’ लिए जाते हैं और अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फैसला भाजपा के विधायक और संसदीय बोर्ड करेगा.
दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में भूपेंद्र यादव ने कहा कि बीरेन सिंह ने ‘अपने कार्यकाल के दौरान राज्य में शानदार शासन की मिसाल पेश की है.’
मणिपुर के लिए मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा घोषित करने को लेकर भाजपा आलाकमान की चुप्पी ने इंफाल के राजनीतिक हलकों में इन अफवाहों को जन्म दिया कि उसकी तरफ से पिछले साल असम में अपनाई गई रणनीति को ही दोहराया जा सकता है. तब उसने लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने के बावजूद सर्बानंद सोनोवाल की जगह हिमंत बिस्व सरमा को राज्य की कमान सौंपी थी. लेकिन भूपेंद्र यादव भाजपा की तरफ से सीएम चेहरा घोषित न किए जाने को कोई बड़ा मसला नहीं मानते हैं.
उन्होंने कहा, ‘भाजपा सही मायने में एक लोकतांत्रिक पार्टी है. नेतृत्व के सभी मसलों को लोकतांत्रिक तरीके से तय किया जाता है. ऐसे मामलों में पार्टी के विधायक और संसदीय बोर्ड फैसला करते हैं.’
मणिपुर में भाजपा के भविष्य के बारे में टिप्पणी करते हुए यादव ने कहा कि वह राज्य और राज्य इकाई के लिए ‘चीजें केवल बेहतर होते ही देख रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमारा भविष्य मणिपुर के लोगों के भविष्य के साथ जुड़ा है. अगर वे आगे बढ़ते हैं तो हम भी आगे बढ़ेंगे. बतौर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह जी के कार्यकाल में हमने पांच साल सफलतापूर्वक सरकार चलाई हैं. इस बार हम सभी 60 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ रहे हैं. राज्य में हमारा कैडर और हमारे कार्यकर्ता बेहद उत्साहित हैं.’
60 सदस्यों वाली मणिपुर विधानसभा के लिए 27 फरवरी और 5 मार्च को दो चरणों में मतदान होना है. नतीजे 10 मार्च को आएंगे. मणिपुर में भाजपा का मुकाबला कांग्रेस के अलावा कोनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) से भी है. एनपीपी और एनपीएफ राज्य की मौजूदा भाजपा सरकार में गठबंधन के घटक दल हैं और एनपीपी और भाजपा मेघालय में संगमा के नेतृत्व वाली सरकार में भी सहयोगी दल हैं.
‘बेरोजगारी के दावे भ्रामक’
भूपेंद्र यादव राज्य में भाजपा की सत्ता में फिर वापसी को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं और पिछले पांच वर्षों में मणिपुर में बेरोजगारी बढ़ने और विकास कार्यों के अभाव के विपक्ष के आरोपों को पूरी तरह नकारते हैं.
उन्होंने दावा किया, ‘यह तो संभव नहीं लगता कि कांग्रेस स्वीकार करेगी कि हमने काम किया है, क्योंकि यह तो उनके अपनी विफलताओं को स्वीकारने जैसा होगा. पांच साल पहले हमें जनादेश मिलने से पहले मणिपुर में क्या हो रहा था, यह सभी जानते हैं. इतना सुंदर और सांस्कृतिक रूप से बेहद जीवंत राज्य कांग्रेस के शासनकाल में उग्रवाद का शिकार हो गया था.’
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री के अलावा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष के दावे भ्रामक हैं.
उन्होंने कहा, ‘नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने दिसंबर 2021 में कुल 14.60 लाख सब्सक्राइबर जोड़े, जो पिछले वर्ष इसी महीने के दौरान जुड़े 12.54 लाख सब्सक्राइबर की तुलना में सालाना आधार पर 16.4 प्रतिशत ज्यादा है.’
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘ईपीएफओ के मुताबिक, करीब 5.49 लाख नेट सब्सक्राइबर बाहर निकले, लेकिन ईपीएफओ के साथ सदस्यता जारी रखने का विकल्प चुनकर ईपीएफओ में फिर शामिल हो गए. उन्होंने अपने पुराने पीएफ खाते में जमा राशि को निकालने के बजाये उन्हें मौजूदा पीएफ खाते में ट्रांसफर करा लिया. ईपीएफओ के डेटा से पता चलता है कि ईपीएफओ से बाहर निकलने वाले सदस्यों की संख्या जुलाई 2021 से घट रही है.’
यह भी पढ़े: केन्द्रीय मंत्री पर जुहू बंगले को ‘चार मंजिल ज़्यादा’ बड़ा बनाने का आरोप, बीएमसी ने जांच शुरू की
‘भाजपा लोगों को लुभाने की कोशिश नहीं करती’
उत्तराखंड और गोवा, जहां हाल ही में मतदान हुआ है, की तरह ही मणिपुर में भी भाजपा ‘डबल इंजन सरकार’ (केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा की सरकार) की बात कर रही है.
भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘भाजपा के लिए विकास प्रमुख मुद्दा है. जनवरी की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4,815 करोड़ रुपये की 22 विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी. पिछले पांच वर्षों में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने पूर्वोत्तर के विकास के लिए पीएम मोदी के दृष्टिकोण को आकार देने की दिशा में काम किया है.’
भाजपा अब अपना ‘रिपोर्ट कार्ड’ लोगों के सामने पेश कर रही है और उनसे ‘अपने काम के आधार पर’ पार्टी को वोट देने को कह रही है. उन्होंने कहा, ‘हम इस तथ्य को भी सामने रख रहे हैं कि कैसे डबल इंजन वाली सरकार के कारण राज्य के विकास में तेजी आई है.’
अफस्पा और सहयोगियों पर क्या बोले
भाजपा ने राज्य के लिए हाल में जारी अपने घोषणापत्र में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा), 1958—जो ‘अशांत क्षेत्रों’ में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों को व्यापक अधिकार देने वाला एक विवादास्पद अधिनियम है—का कोई जिक्र नहीं किया है. इस वजह से कांग्रेस ने पार्टी की आलोचना की है.
भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘हम राज्य में शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि इसका सर्वांगीण विकास हो और लोगों की खुशी और समृद्धि सुनिश्चित हो सके. भाजपा सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हरसंभव जरूरी कदम उठाएगी.’
जब अफस्पा पर पार्टी के रुख के बारे में और पूछा गया, तो उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि मैंने पहले ही इसका जवाब दे दिया है. हम देश की शांति और स्थिरता और इसके सभी नागरिकों की खुशी और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं.’
गठबंधन को लेकर वर्षों से जारी खींचतान के बीच भाजपा ने अपने सहयोगी एनपीपी और एनपीएफ के बिना अकेले ही मणिपुर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. लेकिन यादव ने ऐसी अटकलों का खंडन किया.
भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘नहीं, यह बात सही नहीं है. पांच सालों में हमने कड़ी मेहनत की और लोगों के बीच एक अच्छी छवि बनाई और इसीलिए हमने अकेले लड़ने का फैसला किया. लेकिन हमारे सहयोगियों के साथ हमारे संबंध इससे प्रभावित नहीं हुए हैं.’
एनपीपी और एनपीएफ के साथ चुनाव बाद गठबंधन की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर भाजपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी को विधानसभा में 40 से अधिक सीटें मिलने का भरोसा है और मेरा व्यक्तिगत आकलन है कि हम आसानी से अपना लक्ष्य हासिल कर लेंगे.’
मणिपुर चुनाव के लिए भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में कांग्रेस से आए कई नेताओं के नाम होने पर भाजपा नेताओं और पदाधिकारियों ने हिंसक विरोध शुरू कर दिया था, उनका दावा था कि टिकट बांटने में उनकी अनदेखी की गई.
इस पर यादव का कहना था, ‘भाजपा केवल अपने काम के भरोसे है. अगर कोई हमारी विचारधारा और पीएम मोदी के नेतृत्व में भरोसा करके हमारी पार्टी में आता है तो उसका स्वागत है. हम सत्ता समर्थक सरकारें चलाते हैं. 10 मार्च को आप हमारे गवर्नेंस मोड का नतीजा देखेंगे.’
(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़े: तेलंगाना में चुनावी हार और BJP के खतरे से सावधान KCR मोदी पर साध रहे हैं निशाना