नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए ‘मुश्किल सीटों’ की अपनी सूची में बिहार और महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति का ध्यान रखते हुए 144 से 160 सीटों को जोड़ा है. इस बात की जानकारी दिप्रिंट को मिली है.
पार्टी ने इस साल अपनी सहयोगी नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यूनाइटेड) को खो दिया और उसे महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठबंधन (राकांपा), कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है.
2019 के लोकसभा में भाजपा और जदयू ने बिहार की 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था. भाजपा ने सभी सीटें जीती थी जबकि जदयू को एक सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. राज्य में भाजपा की एक अन्य सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी को छह सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी.
पार्टी के सूत्रों के मुताबिक बीजेपी की पिछली बार ‘मुश्किल से जीत वाली’ 144 सीटों की लिस्ट में बिहार की चार सीटें- नवादा, वैशाली, वाल्मीकि नगर और किशनगंज शामिल हैं.
नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन से अलग होने के बाद लोजपा और अन्य छोटे सहयोगियों को सीटें बांटने के बाद भाजपा को अब अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ेगा. इसलिए पार्टी ने इस सूची में छह और सीटों को जोड़ा है. ये सभी सीटें- झंझारपुर, सुपौल, गया, पूर्णिया, कटिहार और मुंगेर अभी जदयू के पास हैं.
वहीं महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली ‘एमवीए’ सरकार तत्कालीन शिवसेना विधायक और वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विधायकों के विद्रोह के बाद गिर गई थी. भाजपा अब शिंदे के नेतृत्व वाली बाळासाहेबांची शिवसेना के साथ सत्ता में है.
लेकिन नई सरकार के खिलाफ मजबूती के साथ ‘एमवीए’ के विरोध के कारण भाजपा ने राज्य में अपनी ‘मुश्किल सीटों’ की लिस्ट में दस और सीट को जोड़ लिया है. ये सीटें- बारामती, चंद्रपुर, शिरपुर और सतारा वर्तमान में एनसीपी, कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) या फिर निर्दलीय विधायकों के पास है.
पार्टी की ‘मुश्किल से जीतने वाली सीट’ में पहले से ही तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, केरल, हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों की कुछ सीटें शामिल हैं.
यूपी से राज्यसभा सांसद और ऐसे सीटों के प्रभारी नरेश बंसल ने दिप्रिंट से कहा, ‘पार्टी के प्रवासी अभियान का दूसरा चरण जारी है. इसके तहत एक केंद्रीय मंत्री लोकसभा सीटों के समूह का प्रभारी है. प्रत्येक लोकसभा सीट के सभी विधानसभा क्षेत्रों से लिए पांच से सात लोगों की एक समिति गठित होगी जो पूरे चुनाव तैयारी की निगरानी करेगा.’
सूत्रों के मुताबिक पार्टी इन सीटों के लिए दो दिवसीय ‘विस्तार प्रशिक्षण कार्यक्रम’ का आयोजन भी कर रही है. बिहार में बुधवार से यह शुरू हुआ जबकि इस तरह का एक और सत्र हैदराबाद में 28 दिसंबर से शुरू होगा. पार्टी अगले साल होने वाले तेलंगाना विधानसभा चुनावों पर नजर रखेगी जहां वह मौजूदा तेलंगाना राष्ट्र समिती (अब भारत राष्ट्र समिति) पार्टी को हटाना चाहती है.
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‘गतिशील, विकसित स्थिति’
भाजपा के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि बिहार और महाराष्ट्र में बदले राजनीतिक परिदृश्य के कारण पार्टी को सीटों के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता थी.
उन्होंने कहा, ‘शुरुआत में जब हमने अलग अलग राज्यों की कमजोर सीटों को शॉर्टलिस्ट किया तो स्थिति दूसरी थी. हमारा नीतीश कुमार के साथ गठबंधन था और महाराष्ट्र में ‘एमवीए’ सत्ता में थी. लेकिन अब दोनों राज्यों में हमें विरोधी पार्टी के पास मौजूद सीटों को जीतने के लिए और अधिक मेहनत करनी पड़ेगी.
उन्होंने आगे कहा, ‘यह एक गतिशील और उभरती चुनौती है जहां हम बदलती राजनीतिक स्थिति के आधार पर निर्णय लेते हैं. कल हम और अधिक संसाधन जोड़ सकते हैं यदि हमें लगता है कि वहां और जोड़ लगाने की जरूरत है.’
भाजपा के एक अन्य वरिष्ट नेता ने कहा कि बिहार और महाराष्ट्र पर ध्यान इसलिए भी है क्योंकि दोनों राज्यों में पार्टी को मजबूत प्रतिद्वंदियों को सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा, ‘बिहार में जदयू- राजद गठबंधन जातिगत वोट बैंक के आधार पर ‘ऑन-पॉइंट’ हो सकती है लेकिन यह संख्या लोकसभा चुनावों में काम नहीं आता. ‘एमवीए’ से पहले शिवसेना के साथ हमारा गठबंधन था लेकिन शिंदे के साथ हमने अभी तक चुनावी परीक्षा में नहीं दी है. इसलिए हमें ‘एमवीए’ की सीटों पर ध्यान देना होगा.’
भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने 2019 महाराष्ट्र की 41 सीटें जीती थी जिसमें भाजपा ने 23 और शिवसेना ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी. महाराष्ट्र से एक भाजपा सांसद ने दिप्रिंट को बताया, ‘2024 के लिए भले हम अपने हिस्से की सीट जीतना सुनिश्चित कर लें लेकिन हम शिंदे कोटे के बारे में बहुत निश्चिंत नहीं हो सकते हैं. हमें अपनी संख्या बरकरार रखने की जरूरत है.’
(अनुवाद/संपादन: ऋषभ राज)
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