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Thursday, 18 April, 2024
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तो इसलिए मोदी से हाथ न मिला पाए अरुण जेटली

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केन्द्रीय मंत्री, जो किडनी ट्रांसप्लांट के बाद ठीक हो रहे हैं, उपचार की ‘नमस्ते’ प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं, जिसके लिए सख्त सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

नई दिल्लीः जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली की ओर हाथ मिलाने के लिए बढ़े तो जेटली हाथ जोड़कर खड़े हो गए, यदि यह सब देखकर आप अचम्भित हैं तो आपको पता होना चाहिए कि भारत में अंग प्रत्यारोपण सर्जरी के बाद ‘नमस्ते‘ उपचार की एक प्रक्रिया है, जिसका रोगियों द्वारा पालन किया जाता है।

14 मई को जेटली को गुर्दा प्रत्यारोपण से गुजरना पड़ा और लगभग तीन महीने बाद राज्यसभा में उनकी सार्वजनिक उपस्थिति हुई।

“अंग प्रत्यारोपण से गुजरने वाले मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो जाती है। जब मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दी जाती है, तो उन्हें सख्त सावधानी बरतने के लिए कहा जाता है, जिनमें मुख्य रूप से आस-पास की स्वच्छता और लोगों से कम से कम मिलना शामिल होता है। अपोलो अस्पताल, नेफ्रोलॉजी के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. अनुपम बेहल ने कहा, “उनके आस-पास के किसी भी व्यक्ति को संक्रमण हो सकता है, इसलिए हम उन्हें लोगों से मिलने के बजाय ‘नमस्ते‘ के लिए कहते हैं।”


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“यह सलाह मुख्य रूप से सार्वजनिक आंकड़ों और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में काम करने वालों को दी जाती है। बेहर ने कहा, “सभी रोगियों को सर्जरी से पहले कुछ महीनों के लिए कड़ी निगरानी और स्वच्छता वाले वातावरण में रखा जाता है।”

जेटली, देश के सबसे प्रतिष्ठित तृतीयक-संरक्षण अस्पताल, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में प्रत्यारोपण सर्जरी करवा चुके हैं। उनसे पहले, दिसंबर 2016 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी गुर्दा प्रत्यारोपण करवाया था।

डॉ आर. के. यादव, सहयोगी प्रोफेसर, नेफ्रोलोजी, एम्स, ने कहा, “विकसित देशों में संक्रमण मुख्य खतरों में से एक है। हम मरीजों से भीड़-भाड़ वाले स्थानों से बचने के लिए और प्रारंभिक दो-तीन महीनों के लिए एक वातानुकूलित वातावरण में रहने की सलाह देते हैं।”

डॉ यादव ने बताया, “मरीजों को स्टेरॉयड, टैक्रोलिमस और एमएमएस (मैग्नेटोस्फेरिक मल्टीस्केल साइंस) दवाएं दी जाती है, ये दवाएं इम्यूनो सप्रेसेंट के अंतर्गत आती हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती हैं। ये इसलिए दी जाती हैं क्योंकि जब शरीर में कोई दूसरा अंग लगाया जाता है तो इस बात की प्रबल सम्भावना होती है कि शरीर उसे नकार दे। इसलिए शरीर में नए अंग को समायोजित करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाएं एक स्तर पर निष्क्रिय कर दी जाती हैं। इसलिए संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।”

बीते हुए समय में, कई राजनेता किडनी प्रत्यारोपण प्रक्रिया से गुजरे हैं जिसमें नेशनल कांफ्रेस समर्थक फारूक अब्दुल्ला, समाजवादी पार्टी नेता अमर सिंह, एआईएडीएमके के संस्थापक तथा तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. जी. रामचंद्रन, और कांग्रेस नेता हितेश्वर सैकिया जो कि दो बार असम के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, आदि शामिल हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि सफल प्रत्यारोपण इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि रोगी ऑपरेशन के बाद निर्धारित निर्देशों का कितनी दृढ़ता से पालन करते हैं।


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यादव ने कहा कि प्रत्यारोपण के बाद के प्रारंभिक तीन महीनों की दवाओं में 30 फीसदी की कमी आई है लेकिन किडनी प्रत्यारोपण को लेकर रोगियों पर इसके अलग अलग प्रभाव हैं।

उन्होंने बताया, “गुर्दा प्रत्यारोपण के रोगियों में, इन इम्यूनो सप्रेसेंट दवाओं की न्यूनतम खुराक आजीवन जारी रखी जाती है।”

भारत में, अंग प्रत्यारोपण रोगियों में श्वसन संक्रमण और गैस्ट्रो- इंस्टेटाइनल इन्फेक्शन (जठरांत्रिय संक्रमण) जैसे कि निमोनिया, डायरिया और मूत्र मार्ग संक्रमण आदि के होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल वेबएमडी ने अंग प्रत्यारोपण रोगियों के लिए कुछ सावधानियाँ बताई हैं जैसे कि नियमित हाथ धोना, बीमार लोगों विशेषकर हाल ही में जिनके टीके लगे हों उनसे दूर रहना, भीड़ वाले इलाकों के साथ साथ पालतू जनवरों तथा बाग-बगीचों से दूर रहना और दाँतो की खूब अच्छी तरह से साफ सफाई करना आदि।

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