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Sunday, 17 November, 2024
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कर्नाटक BJP में बगावत के बीच अमित शाह की सख्त संदेश- ‘मोदी को जिताएं, वरना होगी कार्रवाई’

टिकट वितरण को लेकर कर्नाटक में कम से कम नौ सीटों पर असंतोष पैदा हो गया है. हालांकि, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने असंतुष्ट नेताओं को दो विकल्प दिए हैं - जैसा कहा जाए वैसा करो या दुष्परिणाम भुगतो

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नई दिल्ली: कर्नाटक में टिकट वितरण को लेकर बढ़ते असंतोष का सामना करते हुए, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य के भाजपा कैडर के लिए एक सख्त संदेश दिया है – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिसाब से चलो या परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहो.

कर्नाटक में 28 संसदीय सीटों के लिए मतदान होने वाले हैं और भाजपा ने राज्य में अपने 25 मौजूदा सांसदों में से कम से कम 9 को टिकट नहीं दिया है, टिकट वितरण ने पार्टी के भीतर कड़वाहट पैदा कर दी है, जो कि ज्यादातर पार्टी के लिंगायत नेता बी.एस. येदियुरप्पा और उनके व वर्तमान राज्य बीजेपी प्रमुख उनके बेटे बी.वाई. विजयेंद्र के खिलाफ है.

पार्टी सूत्रों के अनुसार, चित्रदुर्ग, दावणगेरे, तुमकुर और चिक्कबल्लापुर जैसी सीटों पर असंतोष पनपने के साथ, पिछले हफ्ते जनता दल (सेक्युलर) के साथ को-ऑर्डिनेशन मीटिंग के लिए बेगलुरु गए अमित शाह ने एक संदेश भेजा है कि उम्मीदवारों का चयन (पूर्व सीएम) येदियुरप्पा या विजयेंद्र, या किसी और की सिफारिशों पर नहीं बल्कि पूरी तरह से जीतने की संभावना को देखते हुए किया गया है.”

सूत्रों ने कहा कि नेताओं को यह भी बताया गया है कि पार्टी में उनका राजनीतिक भविष्य उनके कार्यों पर निर्भर करेगा.

पार्टी के एक सूत्र ने कहा, “गृहमंत्री अमित शाह ने बैठक में (पिछले सप्ताह) कहा कि टिकट वितरण पर येदियुरप्पा या विजयेंद्र से सवाल करना गलत है. उन्हें बताया गया कि यह येदियुरप्पा या विजयेंद्र का चुनाव नहीं है. यह प्रधानमंत्री मोदी का चुनाव है, और प्रत्येक पार्टी नेता को उनकी जीत के लिए काम करना चाहिए.” पार्टी सूत्र ने यह भी कहा कि उम्मीदवारों को चुनते समय जाति और सत्ता विरोधी लहर जैसे कारकों को भी ध्यान में रखा गया है.

इस बैठक में येदियुरप्पा, विजयेंद्र, बीजेपी नेता और कर्नाटक के नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक और पार्टी के कर्नाटक प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल शामिल हुए.

हालांकि, सख्त संदेश के बावजूद, कुछ नेताओं में विरोध की भावना बनी हुई है. सूत्रों के अनुसार, तुमकुर से टिकट की चहा रखने और सार्वजनिक रूप से बीजेपी उम्मीदवार वी. सोमन्ना का विरोध करने वाले भाजपा के पूर्व मंत्री और छह बार के चिक्कनायकनहल्ली से विधायक जे.सी. मधुस्वामी बैठक में शामिल नहीं हुए. इस बीच, भाजपा के नामांकन से भी नाराज चल रहे कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री के.एस. ईश्वरप्पा को दिल्ली नेतृत्व के साथ बैठक के लिए बुलाया गया था, लेकिन अंततः उनसे मिलने से इनकार कर दिया गया.

हालांकि, अमित शाह के इस आश्वासन के बावजूद कि येदियुरप्पा ने टिकट वितरण को प्रभावित नहीं किया, एक वरिष्ठ भाजपा नेता का कहना है कि पिछले साल के विधानसभा चुनाव के बाद, पार्टी को अहसास हुआ कि पूर्व मुख्यमंत्री येदुयुरप्पा अभी भी राज्य में एक “निर्विवाद जन नेता” हैं और उनकी राय अभी भी काफी महत्त्वपूर्ण है.

2023 के विधानसभा चुनाव में कई टिकट बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बी.एल. संतोष के सुझावों के आधार पर दिए गए, लेकिन उनमें से ज्यादातर कैंडीडेट हार गए.

पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा, “इस बार, उच्च सत्ता-विरोधी लहर के कारण कई मौजूदा सांसदों का टिकट काट दिया गया. शोभा (भाजपा महासचिव और उडुपी चिकमंगलूर से सांसद शोभा करंदलाजे) को बेंगलुरु भेज दिया गया. शेट्टार के मामले में, येदियुरप्पा ने ही केंद्रीय नेतृत्व के परामर्श से उनकी उम्मीदवारी को संभव बनाया. येदियुरप्पा पर सार्वजनिक रूप से कटाक्ष करने के बावजूद वी. सोमन्ना को टिकट दिया गया.” उन्होंने कहा कि लिंगायत कद्दावर नेता येदियुरप्पा के सुझावों के अलावा, अन्य स्रोतों से भी फीडबैक लिया गया था.


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शिमोगा से चित्रदुर्ग – जहां विद्रोह पनपता है

येदियुरप्पा के दूसरे बेटे बी.वाई. राघवेंद्रन को मैदान में उतारने के पार्टी के फैसले से नाराज ईश्वरप्पा ने पहले ही उनके खिलाफ चुनाव लड़ने का इरादा ज़ाहिर कर दिया है “चाहे प्रधानमंत्री मोदी उन्हें मनाने के लिए उनके घर ही क्यों न आएं”.

उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री पर सी.टी. रवि, नलिन कतील, और मैसूर के सांसद प्रताप सिम्हा व संतोष के करीबी माने जाने वाले अनंतकुमार हेगड़े जैसे नेताओं को दरकिनार करने और अपने परिवार को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया.

सूत्रों के मुताबिक, ईश्वरप्पा को बुधवार को शाह के साथ बैठक के लिए दिल्ली बुलाया गया था, लेकिन यह पता चलने के बाद कि उन्होंने यह जानकारी मीडिया में लीक कर दी है, उन्हें वापस भेज दिया गया.

लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं है कि केंद्रीय नेतृत्व पूर्व डिप्टी सीएम से नाराज है. सूत्रों ने बताया कि पिछले अप्रैल में उन्हें पार्टी नेतृत्व की नाराजगी का उस वक्त सामना करना पड़ा था, जब विधानसभा चुनाव के लिए टिकट देने से इनकार करने के बाद प्रधानमंत्री द्वारा उन्हें सांत्वना देने के लिए फोन करने पर उन्होंने फोन का स्पीकर चालू कर दिया था.

इस बीच, मधुस्वामी कर्नाटक के पूर्व आवास और बुनियादी ढांचा विकास मंत्री सोमन्ना को “बाहरी व्यक्ति” कहकर उनकी उम्मीदवारी का विरोध कर रहे हैं.

ऐसे अन्य उम्मीदवार भी हैं, जिन्हें असंतोष का सामना करना पड़ रहा है. सूत्रों के मुताबिक, चिक्काबल्लापुर में, भाजपा विधायक एसआर विश्वनाथ, जो अपने बेटे आलोक विश्वनाथ के लिए टिकट की तलाश में थे, सार्वजनिक रूप से पूर्व मंत्री के. सुधाकर के खिलाफ बोलते रहे थे, जबकि दावणगेरे में, पूर्व मंत्री एम.पी. रेणुकाचार्य इस बात से नाराज थे कि पूर्व सांसद जी.एम. सिद्धेश्वरा की पत्नी गायत्री सिद्धेश्वरा की वजह से उनकी अनदेखी की गई.

बीदर में, भाजपा विधायक प्रभु चौहान और शरणु सालगर ने केंद्रीय मंत्री और मौजूदा सांसद भगवंत खूबा की उम्मीदवारी पर आपत्ति जताई है, जबकि बेलगावी में, कांग्रेस में थोड़े समय के लिए रहने के बाद बीजेपी में लौटे पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार को स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, इनमें से कुछ चुनौतियों का समाधान कर लिया गया है. उदाहरण के लिए, पूर्व उपमुख्यमंत्री गोविंद करजोल के चित्रदुर्ग से नामांकन का जोरदार विरोध करने के बाद, भाजपा विधायक एम. चंद्रप्पा अब उनके लिए प्रचार करने के लिए सहमत हो गए हैं.

“पूर्व विधायक रेणुकाचार्य ने गायत्री सिद्धेश्वरा के लिए प्रचार करने की सहमति दे दी है. कोप्पल के सांसद कराडी सांगन्ना अमरप्पा को भी इसी तरह शांत किया गया है.”

दरअसल, पिछले हफ्ते शाह के साथ बैठक के बाद जारी एक बयान में, रेणुकाचार्य ने कहा कि असंतुष्टों नेताओं के समूह ने “पार्टी और प्रधानमंत्री के लिए काम करने का फैसला किया है क्योंकि यह एक राष्ट्रीय चुनाव है”.

दिप्रिंट से उन्होंने कहा कि वह बीजेपी के लिए प्रचार कर रहे हैं और रविवार को पार्टी की एक बैठक में हिस्सा लिया. “हमने पिछले सप्ताह गृहमंत्री को अपनी चिंताओं से अवगत कराया. यह चुनाव मोदी जी से संंबंधित है.”

लेकिन सूत्रों ने कहा कि ईश्वरप्पा जैसे नेता अभी भी खुलेआम विरोध कर रहे हैं, इसलिए पार्टी उन्हें मनाने के तरीकों पर विचार कर रही है. एक सूत्र ने कहा, “अभी भी समय है.”

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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