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Saturday, 4 May, 2024
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अमित शाह ने नए सांसदों को दिया गूढ़ मंत्र- धर्म का मतलब रिलीजन नहीं, फर्ज

हमें हमेशा ये ध्यान रखना होगा कि सवा सौ करोड़ लोगों के देश में 543 सांसद चुने जाते हैं, ये सांसद ही देश का भविष्य तय करते हैं.

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नई दिल्ली: सत्रहवीं लोकसभा के नये निर्वाचित सदस्यों को गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को संबोधित किया. इसदौरान उन्होंनें सांसदों को कुछ गूढ़ मंत्र भी दिए. साथ ही सांसदों को प्रभावी सांसद बनने के कुछ तरीके भी बताए. यही नहीं शाह ने नवनिर्वाचित सांसदों को न केवल सांसद निधि के उपयोग की बातें बताईं वहीं सांसदों को पढ़ने लिखने और आत्म निरीक्षण की भी सलाह दे डाली है. नव निर्वाचित सासंदों को अमित शाह ने संबोधित करते हुए कहा कि हमें इस बात का एहसास होना चाहिए कि हम जो बोल रहे हैं, वह पूरी दुनिया देख रही है. हम जो बोलते हैं, उसके आधार पर संसद की छवि बनती है और बिगड़ती है. बता दें कि सत्रहवीं लोकसभा के नये निर्वाचित सदस्यों के लिये लोकसभा सचिवालय ने 3-4 जुलाई को ‘प्रबोधन कार्यक्रम’ का आयोजन किया है.

शाह ने बातचीत के दौरान ने कहा कि प्रभावी सांसद बनने के तीन हिस्से हैं-

1- संसद के अंदर प्रभावीपन

2- संसद के माध्यम से आपके क्षेत्र के अंदर प्रभाव खड़ा करना

3- संसद के माध्यम से देश और दुनिया के अंदर संसद के प्रभाव को बढ़ाकर अपने प्रभाव को बढ़ाना.

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शाह ने इस दौरान सांसद निधि बहुत महत्वपूर्ण निधि है. हमें मतों के प्रभाव में या किसी के दवाब में आकर कोई ऐसे पत्र सांसद निधि के लिए न लिखें जो संसद की दिशा निर्देशिका के अनुरूप न हो. हमें सांसद निधि का उपयोग सही प्रकार करना चाहिए. साथ ही सांसदों को कहा कि प्रसंन्नता, उत्सुकता और अनुभव ये तीनों सांसद के लक्षण होने चाहिए. अनुभव प्राप्त करना है, प्रसंन्नता हमेशा रखने से ही अच्छे विचार रख पाएंगे और उत्सुकता नहीं है तो आपके ज्ञान की वृद्धि होना भी संभव नहीं है.

सांसदों को प्रभावी बनने से लेकर बैठने तक का दिया संदेश

शाह ने सांसदों से कहा कि संसद कितनी महत्वपूर्ण है. जब तक हम संसद में बैठेंगे नहीं, तब तक अपने विचारों का आत्मनिरीक्षण नहीं कर पाएंगे. जब तक सुनेंगे नहीं, चर्चाओं को पढ़ेंगे नहीं, तब तक अपने विचार को अंतिम रूप देने में भूल कर जाएंगे. संसद के नियमों का बारीक अध्ययन किए बिना हम प्रभावी सांसद नहीं बन सकते. संसद की लाइब्रेरी हम सभी के लिए रत्नों की खान है.

‘सभी सांसदों को लाइब्रेरी की किताबों को पढ़ना चाहिए.संसद के हर द्वार के ऊपर वेद, उपनिषद् और सभी धर्म ग्रंथों से अच्छी बातें लिखी हैं. मेरा सभी सांसदों से अनुरोध है कि उस बातों को जरूर पढ़ें.’

धर्म का मतलब रिलीजन नहीं फर्ज

‘धर्मचक्र प्रवर्तनाय’ का मतलब है कि भारत के शासक धर्म के रास्ते आगे बढ़े.

धर्म का मतलब रिलीजन नहीं होता है, धर्म का मतलब फर्ज होता है हमारा दायित्व होता है.एक नागरिक का देश के प्रति धर्म क्या होता है? एक सांसद का संसद के प्रति धर्म क्या होता है इसका बोध कराने के लिए ये ‘धर्मचक्र प्रवर्तनाय’ का सूत्र यहां लिखा है.

हमारे देश ने लोकतंत्र को पहले ही स्वीकार कर लिया था. उसके बाद बहस हुई की लोकतंत्र के किस स्वरूप को हम स्वीकार करें. उस पर हमारी संविधान सभा ने तय किया कि भारत के लिए मल्टीपार्टी पार्लियामेंट्री सिस्टम हमारे लिए उपयुक्त होगा और उसे हमने स्वीकार किया.

शाह ने सांसदों को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमें ये सदैव ध्यान रखना चाहिए कि राजनीति आरोप-प्रत्यारोप में जवाब देना कोई बुरी बात नहीं है. लेकिन इसके साथ में कानून बनाने की प्रक्रिया में हमारा योगदान महत्वपूर्ण और सटीक होना चाहिए.’

‘सदन का प्राथमिक दायित्व कानून बनाना है. यहां बजट पेश होता है, बजट पर अलग-अलग विचार व्यक्त होते हैं. बजट के माध्यम से देश का खाका खींचने का काम ये संसद ही करती है.हमें सदैव इस बात का बोध रहना चाहिए कि हम जो यहां बोलते हैं उसे सिर्फ हमारे क्षेत्र के लोग देख रहे हैं या पार्टी के लोग ही देख रहे हैं, ऐसा नहीं है. यहां हमारा वक्तव्य दुनिया के लोगों के सामने है. हमारी बात से ही संसद और हमारे लोकतंत्र की साख बनती-बिगड़ती है.’

आज हम लोकसभा के अंदर बैठे हैं, हर रोज आते हैं, हर रोज यहां वक्तव्य देंगे, मगर ये संस्था क्या है? जब तक वो गौरव के साथ में नहीं पहचानेंगे अपने आप के बारे में भी गौरव खड़ा करना और प्रभावी काम करना असंभव है.15 लाख से ज्यादा लोगों का प्रतिनिधित्व हम यहां कर रहे हैं. जब तक हम प्रतिनिधित्व जिस संस्था में कर रहे हैं उस संस्था के बारे में नहीं जानेंगे, तब तक हमारा अच्छा और प्रभावी सांसद बनना असंभव होगा.मैं चुनकर आए सभी दलों के सांसदों को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं.

हमें हमेशा ये ध्यान रखना होगा कि सवा सौ करोड़ लोगों के देश में 543 सांसद चुने जाते हैं, ये सांसद ही देश का भविष्य तय करते हैं.

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