नई दिल्ली: हैदराबाद नगरपालिका चुनावों के लिए एक जबर्दस्त अभियान के बाद, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गजों को उतारा गया था, भाजपा अब केरल में अपनी पैठ बनाने की कोशिशों में जुटी है जहां तीसरे दर्जे वाले स्थानीय निकाय चुनाव 8 और 14 दिसंबर को होने हैं.
भाजपा को उम्मीद है कि वह इस चुनाव को माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के साथ त्रिकोणीय मुकाबले में बदल सकती है. पार्टी का लक्ष्य राज्य के छह में से कम से कम दो नगर निगमों पर कब्जा करना है.
हालांकि, अन्य राज्यों के विपरीत भाजपा ने यहां 612 अल्पसंख्यक प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं— भाजपा ने 112 मुस्लिम प्रत्याशियों को एलडीएफ और यूडीएफ के मुस्लिम जनाधार को साधने और 500 ईसाइयों को हिंदू और ईसाई वोटबैंक को एकजुट करने के लिए उतारा है. पार्टी ने मुस्लिम उम्मीदवारों को मलप्पुरम में मैदान में उतारा, जहां इस समुदाय की आबादी 40 फीसदी से अधिक है.
महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित होने के मद्देनजर भाजपा ने पंचायत, ब्लॉक पंचायत और जिला पंचायत चुनावों के लिए 10,000 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने दिप्रिंट को बताया, ‘ईसाई भाजपा के लिए अछूत नहीं हैं. लोगों ने ईसाई बहुल गोवा और पूर्वोत्तर में हमारी सरकारें देखी हैं. हमारे पास कई ईसाई नेता हैं और मध्य केरल में ईसाइयों के बीच आरएसएस की पहुंच का अपेक्षित प्रभाव पड़ा है.
उन्होंने आगे कहा, ‘तीन तलाक को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों का केरल की मुस्लिम महिलाओं पर खासा असर पड़ा है. इन स्थानीय निकाय चुनावों का एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि इसमें बड़ी संख्या में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी है.’
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बहुत कुछ दांव पर लगा
भाजपा स्थानीय निकाय चुनावों में व्यापक सफलता सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है, क्योंकि इससे उसे राज्य में 2021 के विधानसभा चुनावों की राह आसान होने की उम्मीद है.
पार्टी कम से कम दो नगर निगमों त्रिवेंद्रम और त्रिचूर पर कब्जा करने की उम्मीद लगाए बैठी है. 2015 के स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी पलक्कड़ नगरपालिका जीतने में कामयाब रही थी. उसका कुल वोट-शेयर 13.28 फीसदी था.
सुरेंद्रन ने कहा, ‘पिछली बार हम एक ही नगरपालिका में थे. इस बार हम तीन से अधिक नगर निकाय जीतने और दो से तीन जिलों में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने की उम्मीद कर रहे हैं. हम लगातार बढ़ रहे हैं. पिछले लोकसभा चुनावों में हमारा वोट शेयर 16 फीसदी था. विधानसभा चुनाव में हम राज्य में अपनी पैठ और ज्यादा मजबूत होने की उम्मीद कर रहे हैं.’
2016 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 140 सदस्यीय विधानसभा में सिर्फ एक सीट जीती थी. हालांकि, चुनावों में इसका वोट-शेयर पहले की तुलना में 8 प्रतिशत (2011 से) बढ़कर 14.96 प्रतिशत हो गया था.
विधानसभा पहुंचने का रोडमैप
भाजपा लगातार राज्य के ईसाई वोटबैंक में सेंध लगाने के प्रयास कर रही है. केरल की कुल जनसंख्या में ईसाइयों की आबादी 17 प्रतिशत हैं.
भाजपा चुनावों में तथाकथित ‘लव जिहाद’ को एक बड़ा मुद्दा बना रही है. भाजपा महासचिव जॉर्ज कुरियन ने दिप्रिंट को बताया, ‘लव जिहाद केरल में एक बड़ा मुद्दा है. गत जनवरी में सायरो मालाबार चर्च ने राज्य में लव जिहाद के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई थी. हम बार-बार कह रहे हैं कि देश में ‘लव जिहाद’ पर लगाम कसने की जरूरत है और चर्च भी इस बात से सहमत है.’
भाजपा की रणनीति ईसाई-हिंदू एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने और मुस्लिम वोट को अलग करने की है. भाजपा ने कोट्टायम, इडुक्की और एर्नाकुलम जिलों में ज्यादा से ज्यादा ईसाई प्रत्याशी उतारे हैं.
भाजपा को उम्मीद है कि यहां अच्छा प्रदर्शन के बलबूते उसे पांच महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में करीब 20 सीटें हासिल करने में मदद मिलेगी.
कुरियन ने कहा, ‘पिछली बार (विधानसभा चुनाव) 20 ऐसी सीटें थीं जहां हमें 40,000 वोट मिले थे. हम उन्हीं 20 सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इस बार राज्य में त्रिशंकु विधानसभा होगी. एलडीएफ के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर हावी है. लोकसभा चुनाव में तो ध्रुवीकरण ने कांग्रेस की मदद की थी. लेकिन विधानसभा चुनाव में ऐसा नहीं होगा.’
10,000 महिला उम्मीदवार, कई पहली बार मैदान में उतरीं
महिलाओं के लिए स्थानीय निकाय चुनावों में 50 प्रतिशत आरक्षण के मद्देनजर भाजपा ने लगभग 10,000 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है.
सुरेंद्रन ने कहा, ‘केरल बाढ़ और प्रवासी संकट के दौरान कुदुम्बश्री महिला श्रमिकों के काम की व्यापक रूप से सराहना की गई थी. युवा पीढ़ी अब स्थानीय प्रशासन के महत्व को समझ रही है. वे चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं. यह भविष्य के लिए बहुत अच्छा संकेत है.’
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