नई दिल्ली: कांग्रेस ने मंगलवार को एक अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति का गठन कर दी, जो मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस चुनावों में हुई, भारी चूक की जांच करेगी. आठ सदस्यीय समिति की अगुवाई, एक प्रदेश नेता भरत सिंह करेंगे.
कांग्रेस को बहुत शर्मिंदगी उठानी पड़ी, जब उसने एक ऐसे महासचिव का चुनाव कर लिया, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया और दूसरे नेताओं के साथ, नौ महीने पहले पार्टी छोड़कर बीजेपी में चले गए थे.
एमपी युवा कांग्रेस से संगठनात्मक चुनाव शुक्रवार को ख़त्म हुए, और हर्षित सिंघाई 12 मतों से जबलपुर ज़िले से विजयी हो गए. लेकिन सिंघाई, जो सिंधिया समर्थक हैं, उनके साथ मार्च में ही कांग्रेस छोड़ चुके थे, और ज़ाहिर है कि पार्टी के डेटाबेस में ये बदलाव दर्ज नहीं हुआ.
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सिंघाई खुद भी हैरान रह गए
सिंघाई के चुनाव से न केवल कांग्रेस, बल्कि ख़ुद नेता भी हैरान रह गए. उन्हें इस बारे में तब पता चला, जब उन्हें बधाई संदेश आने लगे. सिंघाई ने कहा कि उन्होंने अपना नामांकन तीन साल पहले भरा था, लेकिन चुनावों में देरी होती रही.
सिंघाई ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने अपना नामांकन 2017 में भरा था, लेकिन किसी न किसी कारणवश चुनाव टलते रहे. मार्च में जब मैंने पार्टी छोड़ी, तो मैंने पदाधिकारियों को सूचित किया, कि मेरा नाम सूची से हटा दिया जाना चाहिए, लेकिन उसे कभी हटाया नहीं गया. मुझे एक ईमेल आईडी दी गई थी, और मैंने उन्हें लिख दिया था; चुनावों से कुछ दिन पहले मैंने उन्हें फोन करके भी, अपनाम नाम हटाने के लिए कहा था, लेकिन उसे कभी हटाया नहीं गया’.
सिंघाई ने कहा कि उन्हें देखकर मज़ा आया, कि एक बार भी प्रचार किए बिना वो चुनाव जीत गए. उन्होंने कहा, ‘मेरे समर्थकों ने मेरा नाम देखा और मुझे वोट दे दिया, लेकिन कांग्रेस पार्टी को ज़्यादा सतर्क रहना चाहिए था’.
कांग्रेस ने कहा कि उन्होंने अपने जाने पर सूचित नहीं किया
लेकिन कांग्रेस ने इस बात से इनकार किया, कि सिंघाई ने उसे कभी अपने जाने के बारे में सूचित किया था.
मध्यप्रदेश कांग्रेस की प्रदेश सचिव रश्मि पवार ने कहा, ‘हमें उनकी तरफ से कोई संचार नहीं मिला. हो सकता है कि इस मामले को उठाने के लिए, चुनावों के ख़त्म होने का इंतज़ार कर रहे हों’.
पवार ने कहा कि एक आठ सदस्यीय समिति, अब इस मामले की जांच करेगी.
उन्होंने कहा, ‘वो देखेंगे कि ग़लती किसी ज़िला युवा कांग्रेस पदाधिकारी की थी, या हमें शर्मिंदा करने की बीजेपी की कोई सोची समझी रणनीति थी.
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