नई दिल्ली: दो तरह के लोग खुद को इस्लाम से जोड़ते हैं — पहलगाम में बेगुनाहों को मारने वाले “जानवर” और उनसे लड़ते हुए मरने वाले कुली “शहीद” आदिल शाह — और अब यह देश को तय करना है कि वह किस तरह के मुसलमान को चुनता है और उसके लिए खड़ा होता है. यह बातें श्रीनगर के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह मेहदी ने कही हैं.
रूहुल्लाह ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “क्या आप हम सभी को सामूहिक रूप से अपने फायदे के लिए दूसरे पक्ष से जोड़ते हैं, जो स्वभाव से जानवर है और जिनका मज़हब से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन वह अपने फायदे के लिए मज़हब के नाम का इस्तेमाल करता है, या आप खुद को उस मुसलमान से जोड़ते हैं और उसका पक्ष लेते हैं, जिसने मुसलमानों की रक्षा में बेगुनाहों के लिए अपनी जान दे दी…”
रूहुल्लाह ने कहा, कश्मीरियों का कहना है कि 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में हमले के दौरान पर्यटकों को बचाते वक्त आतंकवादियों द्वारा गोली मार दिए गए कुली और घोड़ा ऑपरेटर सैयद आदिल हुसैन शाह “बहादुरी की तस्वीर और इस्लाम की सच्ची भावना” हैं.
उन्होंने कहा कि 26/11 के बाद भारतीय मुंबई और ताज होटल से दूर नहीं हुए और अगर पहलगाम हमले के बाद पर्यटक कश्मीर से दूर रहे तो यह आतंकवादियों की जीत होगी. पिछले मंगलवार को कश्मीर घाटी में हुए सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक में कम से कम 26 लोग मारे गए और कई घायल हो गए.
सांसद ने कहा, “हम 26/11 के बाद ताज से दूर नहीं रहे. मेरा मतलब है कि 26/11 की घटना के बाद ताज में बहुत ज़्यादा बुकिंग हो गई थी और लोग पीड़ितों के साथ खड़े थे. मैं उम्मीद करता हूं कि इस घटना के बाद देश को ऐसा ही व्यवहार करेगा.”
जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने दिप्रिंट से कहा कि पहलगाम में पर्यटक आतंकवादियों के लिए आसान टारगेट थे क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने कश्मीर में पर्यटन को राजनीतिक उपलब्धियों के बराबर माना.
उन्होंने कहा, “मैं अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से ही कह रहा हूं कि घाटी में पर्यटन को राजनीतिक उपलब्धियों के बराबर मानना बहुत खतरनाक है. हमने पिछले तीन दशकों में भी पर्यटन को ऊपर-नीचे होते देखा है…हमने पर्यटन को स्थिति के बेहतर होने (राजनीतिक स्थिति) के संकेत के रूप में देखा. इसलिए, यह इन तत्वों, यानी आतंकवादियों को उपलब्धि की भावना को हराने का एक लक्ष्य प्रदान करता है.”
“अगर आप पर्यटन से राजनीतिक लाभ कमाना चाहते हैं, तो वह भी पर्यटन से राजनीतिक लाभ कमाना चाहेंगे जैसा कि उन्होंने करने की कोशिश की है. यह बहुत खतरनाक रहा है. मैंने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि भाजपा ने पर्यटकों की आमद को किसी तरह की उपलब्धि के रूप में मनाया. मैंने कहा है कि यह कोई स्थायी बात नहीं है और कृपया पर्यटन को इसमें न घसीटें.”
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‘कश्मीर की सड़कों पर आक्रोश’
आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए सांसद ने कहा कि कश्मीर की सड़कों पर जो स्वाभाविक आक्रोश दिखा है, वह चौंकाने वाला है और लोग आतंकी हमले के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीरियों को पर्यटन पर पड़ने वाले प्रभाव की चिंता नहीं है, बल्कि जानमाल के नुकसान की चिंता है.
हालांकि, उन्होंने कहा कि कश्मीर और कश्मीरियों को सामूहिक रूप से सज़ा दी जा रही है. उन्होंने आदिल शाह का उदाहरण देते हुए कहा, “जिस तरह से हमने 26/11 को मुंबई में हुए हमले का जवाब दिया…हमने 26/11 के बाद मुंबई को नहीं छोड़ा और आपको भी इस आतंकी हमले के बाद कश्मीर को नहीं छोड़ना चाहिए. खासकर तब, जब लोग इस आतंकी हमले के खिलाफ खड़े हुए हैं. यह कश्मीर के लोगों को इंसानियत के नाते गले लगाने का वक्त है.”
रुहुल्लाह ने कहा कि यह कश्मीर के लोगों और देश के अन्य हिस्सों के लोगों के बीच की खाई को पाटने का समय है, जो कई दशकों से मौजूद है और भाजपा शासन के दौरान और चौड़ी हो गई है.
यह पूछे जाने पर कि क्या कश्मीर में “प्राकृतिक” विरोध प्रदर्शन इस क्षेत्र और इसके लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, उन्होंने कहा कि यह कश्मीर के प्रति राष्ट्र के व्यवहार पर निर्भर करेगा.
उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि कश्मीरियों ने खुद के लिए आवाज़ उठाई है, कहा, “मैं उसी ‘मुख्यधारा के मीडिया’ को उद्धृत करना चाहूंगा जिसने दुर्भाग्य से, इस घटना का उपयोग कश्मीरियों को अमानवीय बनाने, कश्मीरियों को कुछ खलनायक या सामूहिक आतंकवादी बनाने के लिए किया है और वह कश्मीर के समाज का ध्रुवीकरण कर रहे हैं. ‘मुख्यधारा के मीडिया’ पर जो कुछ भी हो रहा है…और भाजपा पार्टी में और उनके सोशल मीडिया हैंडल, सोशल मीडिया टीम…भाजपा के नेता…दक्षिणपंथी…जिस तरह से वह इस कृत्य के इर्द-गिर्द नैरेटिव गढ़ रहे हैं, वह कुछ ऐसा है जो अब से कश्मीर से आने वाली चीज़ों के संदर्भ में खतरनाक है.”
भाजपा आईटी सेल प्रभारी अमित मालवीय सहित “सांस्कृतिक आक्रमण” पर अपने “संपादित” क्लिप को साझा करने वालों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए, रूहुल्लाह ने कहा कि वायरल वीडियो क्लिप में वह घाटी में शराब की खुलेआम खपत में वृद्धि पर चर्चा कर रहे थे, जिसे एक नैरेटिव चलाने के लिए “तोड़-मरोड़” दिया गया.
सांसद ने कहा, “आप उस पॉडकास्ट को देख सकते हैं. पर्यटकों के बीच, वह जानबूझकर इस तरह की गतिविधियों को बनाने के लिए लोगों का एक समूह भेजते हैं, जो समाज में अस्वीकार्य हैं — चाहे वह कश्मीर हो या यूपी — और मैं इसे सांस्कृतिक आक्रमण के रूप में देखता हूं.”
उन्होंने कहा, “मुझे कभी नहीं पता था कि कुछ फ्रिंज तत्व या दक्षिणपंथी, मेरा मतलब है, इस वाक्यांश का उपयोग किसी बलि का बकरा खोजने के लिए करेंगे, जैसा कि उनकी आदत है, जब भी इस तरह की घटनाएं होती हैं, जहां सरकार से सवाल पूछने के बजाय, वह इन मुद्दों को हटाने और सरकार की विफलता को छिपाने के लिए बलि का बकरा ढूंढते हैं और यही वह संदर्भ है जिसमें मैं बोल रहा था.”
राज्य का मुद्दा
अनुच्छेद 370 पर श्रीनगर के सांसद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग अब पहले से कहीं ज़्यादा इसकी वापसी के लिए प्रतिबद्ध हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य का मुद्दा उन कारणों में से एक है, जिसके चलते मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला केंद्र के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं और क्या इस तरह के तालमेल से इस मामले में मदद मिलेगी, एनसी नेता ने कहा, “मुझे ऐसा नहीं लगता. यह मेरी पार्टी के साथ मेरी असहमति में से एक है और मुझे असहमति रखने का अधिकार है. हमारी पार्टी में कुछ लोगों को लगता है कि राज्य का दर्जा मिलने वाला है, लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता. मैं इसे भाजपा की बड़ी योजनाओं में नहीं देखता. उनकी नीति में मुसलमानों को कमज़ोर करना है और खासतौर पर कश्मीरी मुसलमानों को कमज़ोर करना है. मुसलमानों और कश्मीरी मुसलमानों के सशक्तिकरण के लिए कोई जगह नहीं है.”
उन्होंने कहा, “राज्य का दर्जा वापस मिलने का मतलब है किसी तरह का सशक्तिकरण और यह भाजपा की योजना में फिट नहीं बैठता, खासकर तब जब वह कश्मीर में चुनाव हार गए. उन्हें कश्मीर के लोगों ने बुरी तरह हराया. वह अपने पास मौजूद नियंत्रण क्यों छोड़ना चाहेंगे?”
(इस इंटरव्यू को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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