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सोमवार, 19 मई, 2025
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पहलगाम में निवासियों ने दिखाई एकजुटता, विरोध में अनुराग ठाकुर की लाइन पलटी — ‘हिंदुस्तान के गद्दारों को…’

बुधवार को कश्मीर घाटी में बंद के बीच बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए कई स्थानीय निवासियों और व्यापारी-ट्रांसपोर्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया.

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नई दिल्ली: कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकी हमले में 26 लोगों के मारे जाने के एक दिन बाद स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने नरसंहार के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया.

कई राजनीतिक दलों, धार्मिक समूहों और व्यापार निकायों ने विरोध में कश्मीर घाटी में एक दिन के “बंद” का आह्वान किया. मंगलवार के हमले में मारे गए लोगों में कई पर्यटक और एक स्थानीय निवासी शामिल थे.

पहलगाम में टूरिस्ट टैक्सी चलाने वाले 35 साल के तारिक अहमद ने कहा, “हम इस कृत्य की निंदा करते हैं. हमारा खून खौल उठा है क्योंकि यह हमारी रोज़ी-रोटी है. सिर्फ हम ही नहीं, हमारे परिवार भी दुखी हैं.”

उन्होंने कहा, “हमने किसी धार्मिक या राजनीतिक संगठन की ओर से नहीं, बल्कि अपने लिए विरोध प्रदर्शन किया.”

विरोध मार्च के दौरान कई नारे लगाए गए. कुछ लोगों ने भारतीय सेना की प्रशंसा की: “भारतीय सेना ज़िंदाबाद”, “हम हिंदुस्तानी हैं, हिंदुस्तान हमारा है”.

सबसे ज़्यादा चर्चित नारा था “हिंदुस्तान के गद्दारों को, गोली मारो सालों को” — यह नारा मूल रूप से भारतीय जनता पार्टी के नेता अनुराग ठाकुर ने 2020 के दिल्ली चुनावों से पहले सांप्रदायिक आधार पर मतदाताओं को ध्रुवीकृत करने के लिए लगाया था. यह नारा उस वक्त नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों से जुड़ गया था.

हालांकि, पहलगाम के निवासियों ने इसी नारे का इस्तेमाल विपरीत संदेश देने के लिए किया — आतंकवादियों के खिलाफ खड़े होना, पीड़ितों के परिवारों के साथ एकजुटता दिखाना, जिनमें से एक को छोड़कर सभी हिंदू थे.

निवासियों का कहना है कि घाटी में “30 साल में पहली बार ऐसी अप्रिय घटना हुई है”.

50 साल के रमज़ान जिनका ट्रांसपोर्ट का बिजनेस है, ने कहा, “हम कड़ी मेहनत करते हैं ताकि हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले और उनका भविष्य बेहतर हो, लेकिन इसने सब कुछ ठप्प कर दिया है. हमें नहीं पता कि अब हमारे परिवारों का क्या होगा.”

पहलगाम में दो पर्यटक टैक्सी स्टैंडों पर लगभग 800 कैब ड्राइवरों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया.

पहलगाम निवासियों ने कहा, ‘हमने किसी धार्मिक या राजनीतिक संगठन की ओर से नहीं, बल्कि अपने स्वयं के लिए विरोध प्रदर्शन किया है’ | फोटो: साजिद अली/दिप्रिंट
पहलगाम निवासियों ने कहा, ‘हमने किसी धार्मिक या राजनीतिक संगठन की ओर से नहीं, बल्कि अपने स्वयं के लिए विरोध प्रदर्शन किया है’ | फोटो: साजिद अली/दिप्रिंट

हमले के बाद जब पर्यटक बड़ी संख्या में हिल स्टेशन से बाहर निकल रहे थे, तो सभी कैब ड्राइवरों और ट्रांसपोर्ट बिजनेस के मालिकों ने फ्री टैक्सी सर्विस की घोषणा की.

55-वर्षीय ट्रांसपोर्टर गुलाम हसन वानी ने दिप्रिंट को बताया, “हमने 50-60 कैब सर्विस फ्री उपलब्ध कराईं. इससे उनका दर्द कम नहीं हो सकता, लेकिन हमने सोचा कि उन्हें उनकी मंज़िल तक पहुंचाने में मदद करना एक अच्छा कदम होगा.”

ट्रांसपोर्टरों ने ज़रूरतमंद पर्यटकों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की.

प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था: “Stop innocent killings, I am Indian”, “as Pahalgamis, we condemn this” वगैरह.

पहलगाम पोनी राइड ऑपरेटर्स एसोसिएशन ने जांच में शामिल विभिन्न सरकारी कर्मियों और सुरक्षा अधिकारियों के लिए बैसरन घाटी में घटनास्थल तक फ्री सवारी भी प्रदान की.

शहर से पर्यटकों को घाटी तक ले जाने वाले सज्जाद ने कहा, “सिर्फ आज ही नहीं, कल भी हमने बचाव कार्यों में खुद को झोंक दिया था. उस अफरातफरी में कई लोगों के घोड़े खो गए.”

मामले की जांच अभी भी की जा रही है. गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को घटनास्थल का दौरा किया और पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात की.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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