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Tuesday, 19 November, 2024
होममत-विमतबीस फीसदी चीनी युवा बेरोजगार हैं जबकि स्मार्ट युवा कम्युनिस्ट पार्टी में नौकरी पाने की फिराक में हैं

बीस फीसदी चीनी युवा बेरोजगार हैं जबकि स्मार्ट युवा कम्युनिस्ट पार्टी में नौकरी पाने की फिराक में हैं

भारत-चीन संबंध कई कारणों से तनावग्रस्त है लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल में “एशियाई सदी” की जो बात की, उसे चीन में सराहा गया.

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चीन के प्रधानमंत्री ली केक्वियांग ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर तंज़ कसा, और वहां के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘वीचैट’ ने उन टिप्पणियों को सेंसर कर दिया. चीन ने अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के दौरान परमाणु हथियारों से लैस अपनी मिसाइलों का प्रदर्शन किया. पूरा चीन लू की लहर और बिजली संकट से परेशान है. जुलाई में वहां की बेरोजगारी के आंकड़े चीनी अर्थव्यवस्था की चिंताजनक तस्वीर पेश कर रहे हैं. ‘चाइनास्कोप’ आपको चीन और पूरी दुनिया की मौजूदा हालत का गहरा जायजा प्रस्तुत कर रहा है.

पिछले सप्ताह चीन

जनता की नजरों से करीब दो सप्ताह से दूयर रहे कम्युनिस्ट पार्टी अध्यक्ष शी जिनपिंग लियाओनिंग के दौरे में फिर से सार्वजनिक हुए. दो सप्ताह तक उनका गायब रहना बताता है कि वे वार्षिक सम्मेलन के लिए बेदाईहे के समुद्रतटीय रिज़ॉर्ट में जमे थे, जहां पर्दे के पीछे सत्ता के लिए सौदेबाजी चल रही थी.

बेदाईहे में आने वाले आगंतुकों और निवासियों को पिछले सप्ताहों में कड़ी सुरक्षा में रहना पड़ा. जाहिर है, बैठक गुप्त रूप से चली और खत्म हो गई. बेदाईहे के गुप्त सम्मेलन ऐसे ही होते रहे हैं.

लियाओनिंग, जहां शी जिनपिंग फिर से सार्वजनिक हुए, बेदाईहे से चार घंटे की दूरी पर है. वहां से शी जिनपिंग ने चीन के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों को, जिन्हें देश के बंद पड़े कारखानों के लिए जाना जाता है, मजबूत करने का आह्वान किया.

परीक्षण दौरे के दौरान उन्होंने कहा, ‘पार्टी की सेंट्रल कमिटी उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों को मजबूत बनाने को बहुत महत्वपूर्ण मानती है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के 18वें राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद से उसकी सेंट्रल कमिटी ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों को मजबूत बनाने की रणनीति को गहराई से आगे बढ़ाने पर ज़ोर दिया है.’

शी जब शेनयांग शहर का दौरा कर रहे थे तब प्रधानमंत्री ली केक्वियांग शंघाई और शेनझेन का दौरा कर रहे थे. शंघाई में ली ने शेनझेन के लियानह्वाशान पार्क में तंग श्याओपिंग की प्रतिमा के सामने सम्मान प्रकट किया.

शेनझेन में ली ने शी की आर्थिक नीतियों पर तंज़ कसा. यांतीयान बंदरगाह का दौरा करते हुए ली ने बयान दिया, ‘चीन आगे बढ़ना जारी रखेगा.

यलो और यांगत्जे नदियां अपनी धारा तो उलट नहीं सकतीं.’ प्रधानमंत्री की टिप्पणियां चीन की सफलता की कहानी और उसके सामने आज खड़ी चुनौतियों को रूपकों के सहारे पेश करती हैं. नदियों और उनकी धारा के बारे में उनकी टिप्पणी को ‘वीचैट’ ने सेंसर कर दिया.

ली ने कहा था, ‘सुधारों में, अर्थव्यवस्था को खोलने और उसमें अग्रणी भूमिका निभाना तथा राष्ट्रीय विकास में आगे बढ़कर योगदान देते रहना जरूरी है.’

लियानह्वाशान पार्क के दौरे और शेनझेन में की गई टिप्पणियों की प्रतीकात्मकता ने चीन पर नज़र रखने वालों में एक नयी बहस शुरू करवा दी है. कुछ लोगों को ली के बयान में शी के साथ सत्ता संघर्ष के संकेत मिलते हैं, लेकिन बाकी लोग इस पर बहुत विश्वास नहीं करते.

एक ट्वीटर संदेश में एडम नी ने लिखा, ‘ली के कार्यों और बयानों को पार्टी की सरकारी मीडिया सतही तौर पर लेता है या सेंसर ही कर देता है. इससे जाहिर है कि सत्ता समीकरण और ली के भविष्य का अंदाजा मिलता है.’

कई लोगों का कहना है कि ली रिटायर होने वाले हैं और बेदाईहे के गुप्त सम्मेलन में नये प्रधानमंत्री का चुनाव कर लिया गया है. नी ने आगे लिखा है कि ‘कुछ लोग जो जताना चाहते हैं उसके विपरीत शी और ली में टकराव नहीं है और शी को तीसरा कार्यकाल मिलने वाला है जबकि ली रिटायर हो जाएंगे.’


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घटता रोजगार, चढ़ता पारा

चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, 16-24 आयुवर्ग के युवाओं में जुलाई के महीने में बेरोजगारी दर 19.9 प्रतिशत पर पहुंच गई. यसका अर्थ यह हुआ कि इस आयु वर्ग का 20 फीसदी युवा बेरोजगार है. चीन के विश्वविद्यालयों से निकले ग्रेजुएट्स के बारे में आंकड़े दूसरी कहानी कहते हैं. 2022 में ऐसे ग्रेजुएट्स अधिकतम संख्या में रोजगार बाज़ार में कदम रखेंगे, जबकि इस बाजार की हालत डांवाडोल है.

कैनबरा यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर और श्रम मामलों के विशेषज्ञ श्याओदोंग गोंग ने कहा है कि ‘ग्रेजुएट्स को अपना अपेक्षित रोजगार नहीं मिलेगा.’

आर्थिक संभावनाएं जब धूमिल होने लगीं तो चीन के स्मार्ट युवा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की विशाल नौकरशाही में स्थायी रोजगार की तलाश करने लगे. त्यानजिन फॉरेन स्टडीज़ यूनिवर्सिटी से हाल में ग्रेजुएट हुए हैरी वांग ने सरकारी कर्मचारी बनने के लिए आस्ट्राज़ेनेका और बाइटडांस जैसी कंपनियों की नौकरी की पेशकश को ठुकरा देने का फैसला किया है.

मानो बेरोजगारी की खतरनाक दर पर्याप्त न हो, चीन को लू की 1991 के बाद अब तक की सबसे भीषण लहर का सामना करना पड़ा.

सरकारी ‘सीसीटीवी’ ने खबर दी कि ’15 अगस्त तक, 64 दिन हो गए जब तापमान लगातार अपने उच्चतम स्तर पर बना रहा (2013 में ऐसा 62 दिनों तक रहा था); 1680 केंद्रों में तापमान 35 डिग्री से. से ऊपर, 1426 केंद्रों में 37 डिग्री से. ऊपर रहा. दोनों तापमान इतिहास में पहली बार दर्ज किए गए.

‘ इसने चीन के चेंगडु समेत कुछ प्रांतीय शहरों में बिजली आपूर्ति में बाधा पहुंची. चेंगडु में तापमान 40 डिग्री से ऊपर पहुंचने के कारण व्यवसायों और कारखानों को बिजली कटौती के कारण काम रोकना पड़ा.

अमेरिका विरोधी का घर अमेरिका में

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लोकप्रिय राष्ट्रवादी वक्ता सिमा नान ने जब खुलासा किया कि उनका एक घर अमेरिका में है, तो उनकी आलोचना शुरू हो गई. यू ली मूल नाम वाले नान ने सरकारी प्रसारण पर टीवी चर्चाओं में अमेरिका पर हमले चीन में अपनी साख बना ली है. वे उन ‘बिग फाइव’ टीकाकारों में शुमार हैं जिनके 30 लाख से ज्यादा फॉलोअर हैं ‘वाइबो’ पर.

लेकिन अब, ‘न्यू यलो रिवर’ के एक संवाददाता के मुताबिक, नान को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर संदेश पोस्ट करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है.

पेलोसी से प्रेरणा

नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर चीन की प्रतिक्रियाओं के विश्लेषण में जूते हैं कई विशेषज्ञ. उसकी सैन्य प्रतिक्रिया का एक पहलू जो नजरों से ओझल रह गया वह यह है कि चीन की सेना ‘पीएलए’ ने अमेरिका और जापान को निशाना बनाते हुए डीएफ-5बी मिसाइलें तैनात कर दी हैं. पेलोसी की यात्रा के दौरान चीनी सोशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आए

जिनमें यह दिखाया गया है कि चीन रोड-मोबाइल मिसाइलें डीएफ-27, डीएफ-16, और डीएफ-15बी भी भेज रहा है. शुरू में कुछ टीकाकारों ने जो कुछ कहा था उसके विपरीत चीन ने ताइवान, अमेरिका और जापान के लिए परमाणु अस्त्र स्तर की सिग्नलिंग की.

पीएलए के एक रिटायर्ड कर्नल यूए गांग ने कहा, ‘इसका लक्ष्य अमेरिका और उसके करीबी सहयोगी जापान को चेतावनी देना है कि ताइवान के मसले में दखल न दे, उन्हें याह याद दिलाना है कि चीन के पास सबसे शक्तिशाली हथियार हैं जो मारक हमला कर सकते हैं.’

ऐसा लगता है कि चीन यूक्रेन के खिलाफ परमाणु हमले की पुतिन की चेतावनी से सबक ले रहा है.

‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ को दिए इंटरव्यू में यूए ने कहा कि ‘पुतिन के अनुभव ने यह प्रेरणा दी है कि भविष्य में पैदा होने वाले किसी ताइवान संकट के दौरान अमेरिका और जापान को रोकने की यह कारगर रणनीति हो सकती है.’


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अंतरराष्ट्रीय खबरों में चीन

भारत-चीन संबंध कई कारणों से तनावग्रस्त है लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल में ‘एशियाई सदी’ की जो बात की उसे चीन में सराहा गया.

जयशंकर ने थाईलैंड में कहा था कि ‘लेकिन भारत और चीन साथ नहीं होते तो यह एशियाई सदी नहीं आ सकती है. और आज एक बड़ा सवाल यह है कि भारत-चीन संबंध किधर जा रहा है.’

इसके जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ‘जैसा कि एक चीनी नेता ने कहा है, ‘जब तक चीन और भारत विकसित देश नहीं बन जाते तब तक कोई एशियाई सदी नहीं बन सकती’. सच्ची एशिया-प्रशांत या एशियाई सदी तब तक नहीं बन सकती जब तक चीन, भरता और दूसरे पड़ोसी देश विकसित नहीं हो जाते.’

इस बीच, भारत के अनुभवी राजनयिक और अग्रणी चीन विशेषज्ञ शिवशंकर मेनन ने सीमा विवाद खत्म करने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं. ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ में प्रकाशित अपने लेख में पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने लिखा है.’इस सीमित लक्ष्य के साथ शुरुआत की जा सकती है कि संबंधों को यथासंभव अनुमान्य बनाया जाए और कोई पक्ष दूसरे पक्ष को हैरत में डालने वाली कार्रवाई न करे. मेरे ख्याल से ऐसा करने एक ही रास्ता यह है कि सीमा को लेकर गंभीर वार्ता की जाए, जो बाद में उन मुद्दों को भी हाथ में ले जो दोनों देशों को बांटते हैं.’

नैन्सी पेलोसी की हंगामाखेज ताइवान यात्रा के बाद दूसरे देशों के सांसद भी उनकी कामयाबी को दोहराने की होड़ कर रहे हैं. अफवाहें हैं कि टॉम टुगेंधत के नेतृत्व में ब्रिटिश सांसदों का दल जल्द ही ताइवान जाएगा. कनाडा के सांसदों और सिनेटरों का एक दल, जो कनाडा-ताइवान मैत्री समूह के हिस्से हैं, अक्तूबर के शुरू में ताइवान यात्रा की योजना बना रहा है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो ने इन सांसदों को उनकी इस यात्रा के नतीजों के बारे में सावधान किया है.

उन्होंने कहा है कि ‘फिलहाल अहम चिंतन चल रहा है चीन और ताइवान के मामले में कनाडा ने लंबे समय से एक रुख तय कर रखा है, जिसका हम सम्मान करेंगे.’

शनिवार को यास्मिन अबूतलेब और टाइलर पेजर ने ‘वाशिंगटन पोस्ट’ में खबर दी कि शी जिनपिंग ने राष्ट्रपति जो बाइडन से कहा था कि वे पेलोसी को ताइवान जाने से रोकें. लेकिन त्रूदो के विपरीत बाइडन ने पेलोसी और उनके प्रतिनिधिमंडल को कोई चेतावनी नहीं दी. बाइडन ने ठीक किया, त्रूदो ने गलत किया.

इस बीच, भारत ने ‘एक चीन नीति’ पर अपना रुख हाल में यह कहकर दोहराया कि ‘भारत की प्रासंगिक नीतियां सर्वविदित और निरंतर समान बनी हुई है. इस बात को स्पष्ट करने की जरूरत नहीं है.’

इस सप्ताह इन्हें भी पढ़ें

‘डोंट बिलीव चीन कनविनिएंट हिस्टॉरिकल टेल्स. ताइवान बिलॉन्ग्स टु द चाइनीज़’ —ब्रायन हिओए

‘मोर चाइनीज़ मिलिटरी बेसेज़ इन अफ्रीका : अ क्वेश्चन ऑफ वेन, नॉट इफ ’—एरिक ए. मिलर

‘इंडियाज़ ताइवान मोमेंट’ —हर्ष पंत और शशांक मट्टू

‘लोन्स, सर्वर्स इन चाइना, थ्रेट्स : हाउ अ नेटवर्क ऑफ एक्स्टोर्शनिस्ट्स स्कैम्ड थाउजेंड्स आउट ऑफ क्रोर्स’ —बिस्मी तस्कीन

इस सप्ताह के विशेषज्ञ

फुदान यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज़ में शोधकरता लिन मिनवांग ने ‘गुयान्शा’ में प्रकाशित अपने लेख में लिखा है— ‘इससे भी अपमानजनक बात यह है कि भारत की दो मीडिया शख़्सियतों राहुल सिंह और शिव अरूर ने हाल में एक नयी किताब ‘इंडिया मोस्ट फियरलेस 3’ प्रकाशित की है जिसमें गलवान घाटी में हुए युद्ध के एक ‘तथ्य’ का सनसनीखेज ढंग से खुलासा किया गया है और खास तौर से यह कहानी ‘कही’ गई है कि एक भारतीय डॉक्टर ने किस तरह जान जोखिम में डाल कर चीनी सैनिकों की मदद की लेकिन उन सैनिकों ने उसे क्रूरता से मार डाला.

जनमत को इस तरह बरगलाने की कोशिश न केवल भारतीय मीडिया के लोगों की गिरावट का खुलासा करती है बल्कि यह दर्शाती है कि भारतीय जनमत में चीन विरोधी चीजों की मांग ने कई लोगों को बुनियादी विवेक से किस तरह वंचित कर दिया है.’

(लेखक एक स्तंभकार और स्वतंत्र पत्रकार हैं, जो फिलहाल लंदन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओरियंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़ (एसओएएस) से अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एमएससी कर रहे हैं. इससे पहले वो बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में एक चीनी मीडिया पत्रकार थे. वो @aadilbrar पर ट्वीट करते हैं. व्यक्त विचार निजी हैं.)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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