28 जून को मैं इस खबर के साथ जागी कि मेरा नाम इंडियन प्रेस में छा गया है. हिंदुस्तान टाइम्स, ज़ी न्यूज़, न्यूज़18 और भारत टाइम्स सहित कई मीडिया आउटलेट्स ने एक शीर्षक चलाया कि “सुनीता विश्वनाथ कौन हैं?” इस खबर के फ्लैश होते ही मुझे दुनिया भर से मेरे दोस्तों, रिश्तेदारों के कॉल और मैसेज आने लग गए. हमारे फैमिली व्हाट्सएप ग्रुप, जिसमें ज्यादातर लोग भारत में रहते हैं, किसी भी तरह की राजनीतिक बातचीत बंद हो गई और कुछ सदस्य व्हाट्सएप ग्रुप से चुपचाप एग्जिट हो गए.
मैं न्यूयॉर्क में रहने वाली एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हूं और हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स की सह-संस्थापक हूं. हमारा संगठन अमेरिका में बसे हिंदू समुदाय को इस आशय के साथ संगठित करता है कि वह अपने धर्म को नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी की हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा से बचा कर, उसके मूल रूप में हासिल कर सकें. मैंने मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका की हालिया यात्रा के दौरान न्यूयॉर्क और वाशिंगटन डीसी में विरोध प्रदर्शन का सह-नेतृत्व किया. वैसे तो मैं दक्षिणपंथी हिंदुओं की घृणित टिप्पणियों से वाकिफ हूं, लेकिन इस बार जो हुआ वो बहुत ही निम्न का स्तर था.
28 जून को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नए मुख्यालय में अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने एक प्रेस कांफ्रेंस की, जहां उन्होंने एक तस्वीर दिखाई जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी वाशिंगटन डीसी के हडसन इंस्टीट्यूट में भाषण दे रहे थे और मैं कुछ कुर्सियों की दूरी पर उनके साथ बैठी थी. उस तस्वीर में मेरे चेहरे को स्याही से हाईलाइट करके ईरानी ने पूछा, “मिस्टर राहुल गांधी उन लोगों के साथ मेल-मिलाप क्यों कर रहे हैं जिन्हें जॉर्ज सोरोस द्वारा फंड किया जाता है?” और “क्या यह सच है कि मिस्टर गांधी संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान सुनीता विश्वनाथ से मिले थे?” इसके बाद उन्होंने एक अस्पष्ट दावा किया कि लोकोपकारी जॉर्ज सोरोस भारत को नष्ट करने की योजना बना रहे हैं. ये सभी बेबुनियाद आरोप मेरी उस तस्वीर के कारण उभरे, जिसमें मैं डीसी टाउन हॉल में करीब 50 भारतीय नीति विशेषज्ञों के साथ राहुल गांधी के कार्यक्रम में शामिल हुई थी.
ईरानी द्वारा साझा की गई तस्वीर को एक भाजपा नेता (अमित मालवीय) ने भी इस आरोप के साथ ट्वीट किया था कि मैं “कोई और नहीं बल्कि जॉर्ज सोरोस की प्रतिनिधि हूं, जिसने विपक्षी नेताओं, थिंक टैंक, पत्रकारों, वकीलों और कार्यकर्ताओं के एक नेटवर्क के माध्यम से भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए 1 अरब डॉलर देने का वादा किया है.”
उसी ट्वीट में मालवीय ने यह भी दावा किया कि भारतीय अमेरिकी मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी) जो कि हमारे करीबियों में से एक हैं, उनके पाकिस्तान स्थित एक इस्लामी राजनीतिक दल जमात-ए-इस्लामी और पाकिस्तानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के साथ संबंध हैं. किसी भी तरह मालवीय यह स्थापित करना चाहते है कि मेरे जरिए जॉर्ज सोरोस और आईएसआई, भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए एक साथ आए हैं.
अमेरिका में हम धुर दक्षिणपंथी यहूदी विरोधियों कि उन काल्पनिक कहानियों से भली भांति परिचित है जिनमें सोरोस को मुख्य खलनायक और छल कपटी के रूप में पेश किया जाता है. मालवीय का ट्वीट हिंदू राष्ट्रवादी संगठन, डिसइन्फो लैब्स की एक रिपोर्ट को संदर्भित करता है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि मेरे यहूदी पति और मैं इज़राइल और भारत को नुकसान पहुंचाने के इरादे से एक आदर्श कठपुतली जोड़ी हैं. सोरोस भारतीय दक्षिणपंथ के नए पसंदीदा खलनायक बन गए हैं और इसी क्रम में फेक वीडियो जारी करके राहुल गांधी को सोरोस की कठपुतली के रूप में दर्शाने की कोशिश की जा रही है.
स्मृति ईरानी कि यह घोषणा कि मैं सोरोस एजेंट हूं, को भारतीय मीडिया ने ऐसे दिखाया कि जैसे यह कोई तथ्य हो. मेरे चाचा ने अपने बेटे से पूछा, “क्या तुमने जॉर्ज सोरोस नाम के किसी व्यक्ति के बारे में सुना है जो भारत को नुकसान पहुंचाने में लगा है” इसी तरह दुनिया भर में बसे भारतीयों ने मुख्यधारा के भारतीय मीडिया के झूठ को निगल लिया है. एक प्रमुख भारतीय पत्रकार ने मुझे लिखा, “यह देश उग्र हो गया है.”
सीधे तौर पर कहूं तो न ही मेरा राहुल गांधी से कोई मेल जोल है और न ही मैं जॉर्ज सोरोस की एजेंट हूं. मेरे संगठन ने राहुल गांधी को प्रवासी भारतीयों से मिलने के लिए कुछ कार्यक्रम आयोजन में मदद की, क्योंकि हम भारत में लोकतंत्र के बारे में सामुदायिक चर्चा को प्रोत्साहन देना चाहते हैं. हालांकि, मैं व्यक्तिगत रूप से सोरोस को नहीं जानती, पर मैं दशकों से उनके ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के कई स्टाफ सदस्यों को जानती हूं और दुनिया भर में लोकतंत्र की रक्षा के लिए सोरोस के योगदान के लिए मैं उनका बहुत सम्मान करती हूं. भारत के बारे में उनके हालिया बयान किसी भी तरह भारत को नुकसान पहुंचाते प्रतीत नहीं होते. बल्कि वो मुझे मेरी दिली ख्वाहिश को दोहराते हुए प्रतीत होते है : “मैं नादान हो सकती हूं, लेकिन मैं भारत में लोकतांत्रिक पुनरुत्थान की उम्मीद करता हूं.”
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हिंदू राष्ट्रवादियों की सेना से लड़ना
एक स्तर पर मेरे पति और मुझे गांधी की पूर्वोत्तर भारतीय राज्य मणिपुर की यात्रा से ध्यान भटकाने की बीजेपी की कोशिशों में तोप के बारूद की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, जो भाजपा की निगरानी में महीनों से जातीय हिंसा झेल रहा है, लेकिन दूसरी ओर, मुझे निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि मैं, एक हिंदू महिला, हिंदू राष्ट्रवाद के लिए एक सकारात्मक, हिंदू विकल्प जुटा रही हूं.
पिछले हफ्ते द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्टर सबरीना सिद्दीकी को हिंदू राष्ट्रवादियों से तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मानवाधिकारों के बारे में एक सवाल पूछा था. उन्होंने वही किया जो कोई भी अमेरिकी पत्रकार प्रेस कॉन्फ्रेंस में करेगा. मोदी के सहयोगी, जो शायद ही कभी प्रधानमंत्री को पत्रकारों का सामना करते देखते हैं, उन्होंने अपना काम करने के लिए सिद्दीकी पर हमला बोला. उनके खिलाफ एक समन्वित, इस्लामोफोबिक और स्त्रीद्वेषी अभियान के बाद, सिद्दीकी को अपने परिवार के इतिहास के बारे में पोस्ट करने और उन अफवाहों को दूर करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि वे भारतीय विरोधी थीं. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने सिद्दीकी का बचाव करते हुए एक बयान जारी किया, व्हाइट हाउस ने हमलों की निंदा की और व्हाइट हाउस कॉरेस्पोंडेंट्स एसोसिएशन ने इस लक्षित हमलों की निंदा की.
सिद्दीकी और मैं अकेले नहीं हैं. राणा अय्यूब, थेनमोझी साउंडराजन, लीना मनिमेकलाई, आतिश तासीर, क्षमा सावंत, रो खन्ना और प्रमिला जयपाल कुछ भारतवंशी या भारतीय-अमेरिकी हैं जो हिंदू राष्ट्रवादियों के निशाने पर आ गए हैं, लेकिन सबसे क्रूर हमले भारतीय अमेरिकी मुसलमानों और जातिवाद का अनुभव करने वालों के लिए बचाए जाते हैं. आईएएमसी के मेरे सहयोगी तज़ीम अंसारी का भी गांधी की यात्रा के संबंध में ईरानी ने नाम लिया था. बांग्लादेश में पाकिस्तान के 1971 के नरसंहार के समर्थक के रूप में उन्हें गलत तरीके से बदनाम किया गया है. प्रमुख भारतीय अमेरिकी मुस्लिम कार्यकर्ता अमीना कौसर उन कई भारतीय मुस्लिम महिलाओं में से एक थीं, जिन्हें स्पष्ट रूप से यौन की आभासी “नीलामी” बुल्ली बाई ऐप में अपमानजनक स्थिति में रखा गया था. जब लीना मनिमेकलाई ने अपनी फिल्म का एक पोस्टर जारी किया, जिसमें देवी काली ने एलजीबीटीक्यू ध्वज पकड़ा है और वे सिगरेट पीती हैं, तो उनके परिवार और सहयोगियों को 200,000 से अधिक ऑनलाइन यूजर्स से धमकियां मिलीं, जैसा कि उन्होंने बाद में द गार्जियन को बताया था.
फ्रीडम हाउस के अनुसार, हिंदू राष्ट्रवादी बदनामी अभियान डिजिटल अंतरराष्ट्रीय दमन का एक रूप है. ये शातिर हमले विदेशों में राजनीतिक असंतोष को रोकने और भारत में नागरिक स्थान को बंद करने के लिए रणनीति की एक सीरीज़ के साथ तैयार किए गए हैं. भारत सरकार सक्रिय रूप से आलोचकों को जेल में डालती है, स्वतंत्र मीडिया कार्यालयों पर छापे मारती है, भारत में नागरिक समाज संगठनों को बंद कर देती है और शातिर ऑनलाइन हमले और डॉक्सिंग के माध्यम से विदेशों में असहमति को दबा देती है और कुछ मामलों में भारत में प्रवेश से इनकार कर देती है.
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने मोदी और उनके सहयोगियों की तीखी आलोचनाएं पेश की हैं. इसलिए इन असंतुष्टों को डराने के लिए भाजपा ने भारत सरकार के आलोचकों के खिलाफ नफरत की ज़हरीली बाढ़ पैदा करने के लिए एक इंटरनेट सेना तैनात की है. अमेरिका में हिंदू-एक्शन जैसे हिंदू राष्ट्रवादी संगठन इस नफरत को बढ़ाने के लिए अपने आधार संगठित करते हैं. जब हमने हिंदू राष्ट्रवादियों के साथ संगठन के संबंधों के बारे में मीडिया से बात की तो हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन ने मेरे सहयोगियों और मुझ पर मानहानि का मुकदमा कर दिया. (हमें चुप कराने के लिए अमेरिकी अदालतों का उपयोग करने की उनकी कोशिश उनके लिए महंगी और असफल रही.)
आधिकारिक कार्रवाइयों से नफरत को बल मिलता है. जब प्रतिनिधि प्रमिला जयपाल ने कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा की, तो उन्हें ऑनलाइन आलोचना का सामना करना पड़ा और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उनके साथ एक आधिकारिक बैठक रद्द कर दी. पत्रकार राणा अय्यूब को ऑनलाइन उत्पीड़न के साथ-साथ इतनी न्यायिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा है कि संयुक्त राष्ट्र ने उनके समर्थन में एक बयान जारी किया है. अमेरिकी सांसदों ने हमें बताया कि वे भारत सरकार के खिलाफ अधिक मजबूती से बोलने से डरते हैं क्योंकि उन्हें ऑनलाइन लक्षित दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ेगा.
हम फंसा हुआ महसूस कर सकते हैं क्योंकि भारतीय राज्य और संबद्ध संस्थाएं हमें चारों ओर से घेर रही हैं, लेकिन हमें भारत सरकार और उसकी सोशल मीडिया सेना से डरना नहीं है. चूंकि भारतीय अमेरिकियों को उन शारीरिक खतरों का सामना नहीं करना पड़ता है जिनका सामना भारत में अल्पसंख्यकों और मानवाधिकार रक्षकों को करना पड़ता है, इसलिए हम एक देश और जिन लोगों से हम प्यार करते हैं उनकी ओर से बोलते रहने के लिए अपनी सापेक्ष सुरक्षा का उपयोग करने का दायित्व महसूस करते हैं. हमें हिंदू राष्ट्रवाद के संकट के खिलाफ भारतीय गणराज्य की रक्षा करने और दुनिया में हर जगह समावेशी लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए आस्था, लिंग, वर्ग, जाति, राजनीति और भूगोल से परे एकजुट होना चाहिए.
(सुनीता विश्वनाथ हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स की कार्यकारी निदेशक और सह-संस्थापक हैं. उनका ट्विटर हैंडल @SunitaSunitaV है. व्यक्ति किए गए विचार निजी हैं.)
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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