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Friday, 3 May, 2024
होममत-विमतमोदी सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ‘दिल जीतने’ नहीं गए थे, यह दुनिया के लिए एक संकेत भी था

मोदी सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ‘दिल जीतने’ नहीं गए थे, यह दुनिया के लिए एक संकेत भी था

पीएम मोदी ने चुनावों का ज़िक्र नहीं किया, लेकिन उन्होंने बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय तक पहुंच बनाई और हज़रतबल परियोजना के उद्घाटन के जरिए विश्व को एक संकेत भेजा.

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अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के डेढ़ महीने बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर में हज़रतबल मस्जिद विकास परियोजना का उद्घाटन किया. यह समावेशी राजनीतिक संकेत की शक्ति है जिसमें मोदी लगे हुए हैं.

गुरुवार को श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम से ‘हज़रतबल तीर्थ के एकीकृत विकास’ प्रोजेक्ट की शुरुआत करते हुए मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक मजबूत भावनात्मक पिच बनाई. क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए, उन्होंने “जम्मू-कश्मीर में अपने परिवार” को गारंटी दी कि केंद्र शासित प्रदेश में “किसी भी परिस्थिति में विकास नहीं रुकेगा”.

अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से पांच साल में मोदी की यह जम्मू-कश्मीर की पहली यात्रा थी, जिसने तत्कालीन राज्य को विशेष दर्जा दिया था.

श्रीनगर यात्रा के दौरान ‘इंसानियत के दायरे’ के भीतर संघर्ष के समाधान के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रसिद्ध आह्वान के समान मोदी ने बख्शी स्टेडियम से ‘दिल और दिमाग जीतने वाली’ किस्म की अपील की — “दिल जीतने आया हूं”

लेकिन मोदी की यात्रा अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हो रही है. पीएम ने अनुच्छेद 370 को हटाने के लाभों पर बात करते हुए घोषणा की कि ”जम्मू-कश्मीर के युवाओं की प्रतिभा का अब पूरा सम्मान किया जा रहा है” और “आज, यहां सभी के पास समान अवसर और समान अधिकार हैं”.

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चुनावों से पहले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को अपनी प्रमुख उपलब्धियों में गिनाने में व्यस्त है. मोदी की यात्रा ने उस कथा को बनाने और उसे एक कदम आगे ले जाने का काम किया. केंद्रशासित प्रदेश को “भारत का ताज” कहने से लेकर यह वादा करने तक कि “विकसित जम्मू-कश्मीर एक विकसित भारत के लिए प्राथमिकता है”, मोदी ने लोगों के साथ भावनात्मक संबंध स्थापित करने के लिए हर संभव कोशिश की, साथ ही रणनीतिक रूप से भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने एक सकारात्मक छवि पेश की. प्रधानमंत्री की कश्मीर यात्रा के तुरंत बाद सोशल मीडिया उनकी रीलों और तस्वीरों से भर गया. यही कारण है कि मोदी की श्रीनगर यात्रा दिप्रिंट के लिए इस हफ्ते का न्यूज़मेकर है.


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अनेक लक्ष्यों वाला एक संदेश

प्रधानमंत्री ने चुनावों का उल्लेख करने से परहेज किया, लेकिन उन्होंने बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय तक पहुंच बनाई और हज़रतबल प्रोजेक्ट के उद्घाटन के जरिए से दुनिया को एक संकेत भेजा.

समय किसी से नहीं बचता. लोकसभा चुनावों के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भारत के निर्वाचन आयोग को सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव कराने का निर्देश दिया है. इसलिए मोदी की रैली को बीजेपी द्वारा क्षेत्र में पैठ बनाने की कोशिश की तरह देखा जा रहा है.

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से भाजपा सक्रिय रूप से “विकसित” और “नए” कश्मीर की छवि को बढ़ावा दे रही है — न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए भी विशेष रूप से कथित मानवाधिकार उल्लंघन और प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक के संबंध में विदेशी मीडिया की आलोचना के बीच.

लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले ‘विकसित’ जम्मू-कश्मीर की कहानी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और इसे पूरा करने के लिए मोदी से बेहतर कोई नहीं है.

राजनीतिक विश्लेषक और कश्मीर यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर नूर ए बाबा ने दिप्रिंट के साथ बातचीत में कहा, विशेषकर हज़रतबल पर उनका ध्यान अर्थ से भरा हुआ है. यह मस्जिद जम्मू-कश्मीर में सबसे प्रतिष्ठित मुस्लिम स्थलों में से एक है, माना जाता है कि इसमें मोई-ए-मुक्कदस — पैगंबर मुहम्मद की दाढ़ी के पवित्र बाल – का घर है, लेकिन इसने कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में एक केंद्रीय भूमिका भी निभाई है, कई धार्मिक और राजनीतिक सभाओं के केंद्र के रूप में, यहां तक ​​कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक महत्वपूर्ण लामबंदी बिंदु के रूप में भी काम किया है.

बाबा ने कहा, यह दरगाह शेख अब्दुल्ला की राजनीति का केंद्र थी, जो उस पार्टी के संस्थापक थे, जिसे अब जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नाम से जाना जाता है. उन्होंने कहा, “(शेख अब्दुल्ला) के बाद फारूक अब्दुल्ला और यहां तक कि उमर अब्दुल्ला ने भी इस जगह का दौरा किया. उनके जरिए यह कश्मीर में राजनीति का केंद्र बना रहा.”


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जम्मू-कश्मीर के लिए ‘विकास’ का एजेंडा

कई बीजेपी नेताओं और समर्थकों के लिए पीएम का दौरा सिर्फ मुस्लिम समुदाय तक पहुंचने के लिए नहीं है. यह अनुच्छेद 370 को हटाने के मोदी सरकार के फैसले की विपक्ष की आलोचना का जवाब है.

श्रीनगर की जनसभा में मोदी ने सीधे तौर पर कांग्रेस और उसके सहयोगियों को निशाने पर लिया. पीएम ने पूछा, “दशकों तक कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने अनुच्छेद 370 के नाम पर जम्मू-कश्मीर और देश को गुमराह किया है. 370 जम्मू-कश्मीर के लोगों या केवल कुछ ही राजनीतिक परिवारों के लिए फायदेमंद था?”

मोदी को सुनने के लिए उमड़ी भीड़ की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष आतिफ रशीद ने दिप्रिंट को बताया कि भाजपा पर उपराज्यपाल के माध्यम से छद्म सरकार चलाने के आरोप झूठे साबित हुए हैं.

रशीद ने कहा, “जिस तरह से मुसलमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए सामने आए हैं, उससे न केवल देश के बाकी हिस्सों बल्कि पूरी दुनिया के सामने कश्मीर की वास्तविक स्थिति सामने आ गई है. पीएम की आज की यात्रा से यह स्पष्ट हो गया कि सबका साथ, सबका विश्वास केवल नारा नहीं था…जम्मू-कश्मीर के लोग मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.”

रशीद ने कहा कि भाजपा “जिसे आप हिंदुत्व कह सकते हैं” के लिए प्रतिबद्ध है और उसके घोषणापत्र में अनुच्छेद 370 को रद्द करने या राम मंदिर के निर्माण जैसे वादे हैं. हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि नए “विशेष भारत” में कोई भी “पीछे नहीं रहेगा”. जब विकास किया जाएगा तो इससे हिंदू या मुस्लिम सभी को फायदा होगा. यह पीएम का संदेश है.”

अगर बीजेपी देश भर में राम मंदिर के निर्माण को एक प्रमुख राष्ट्रीय उपलब्धि के रूप में उजागर कर रही है, तो वो जम्मू-कश्मीर में पैठ बनाने के लिए एक अलग तरीका अपना रही है — विकास और बुनियादी ढांचे पर जोर दे रही है.

व्यापक संदेश यह है कि केवल मोदी और भाजपा ही जम्मू-कश्मीर को विकास और शांति की ओर ले जा सकते हैं. श्रीनगर में पीएम मोदी ने कथित तौर पर 6,400 करोड़ रुपये से अधिक की 53 प्रोजेक्ट शुरू किए — मुख्य रूप से पर्यटन और कृषि क्षेत्रों में. देखना यह है कि इसका क्या राजनीतिक और चुनावी असर होगा.

(व्यक्त किए गए विचार निजी हैं)

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस न्यूज़मेकर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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