फरवरी के महीने को अगर आप ‘वैलेंटाइन डे’ के लिए याद करते हैं, तो यह भी याद कीजिए कि इस महीने में ‘कश्मीर डे’ भी मनाया जाता है. दोनों को साथ मिला दीजिए तो आपको चीनी की मिठास, मसालों की तुर्शी और जंग के ज़ज्बे का मिश्रण हासिल होगा. इसके साथ ह्रितिक रोशन की फिल्म ‘फाइटर’ भी चल रही हो तो हलवा-पूरी का स्वाद लेते हुए ‘नेशनल हॉलिडे’ मनाने का मज़ा भी ले लीजिए. दो घंटे और करीब 40 मिनट की इस फिल्म के साथ हम भारत-पाकिस्तान रिश्ते के 2019 वाले दौर को मानो फिर से जी लेते हैं जिसमें हरी आंखों, लाल नाक, काजल, ‘फ्लर्ट’ करते दुश्मनों, और ‘बाप हम हैं’ या ‘आप-जनाब’ जैसे डायलॉग का तड़का भी है.
यह फिल्म न तो ‘बॉर्डर’ है, न ‘गदर’. यह ‘फाइटर’ फिल्म वहां से शुरू होती है, जहां बागपत के सनकी ताऊओं की महान जंग 2021 में खत्म होती है. बेशक यह जंग डंडों से लड़ी जाती है जिसमें न आपको लड़ाकू हवाई दिखेंगे और न चुंबन के नज़ारे. इसलिए आश्चर्य नहीं कि फिल्म के डायरेक्टर की शिकायत यह है कि चूंकि 90 फीसदी भारतीयों ने कभी हवाई जहाज से सफर नहीं किया है इसलिए वे बात को नहीं समझ सकेंगे. अगर वे समझ रहे होते तो ‘पैट्टी’ एअरबस से पाकिस्तान के लिए उड़ान भरता रहता और 90 फीसदी भारतीय भी उस पर सवार होते. सो, ‘फाइटर-2’ के लिए जबरदस्त प्लॉट यह हो सकता है — ख्वाबों में अखंड भारत का निर्माण कैसे किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान में भी अब जी20 है, इसे गरीब 20 कहा जाता है
न कोई अभिनंदन, और न ‘चाय’.
यहां शरीर से कस कर चिपकी ‘वन पीस’ ड्रेस (बिकिनी नहीं) में सजीला दिखने वाला भारतीय वायुसेना अधिकारी ‘पैट्टी’ मुट्ठी लहराते हुए कहता है — ‘पीओके का मतलब है पाकिस्तान ऑक्युपायड कश्मीर, ऑक्युपाय तुमने किया, मालिक हम हैं’. बेशक यह लाइन किसी पाकिस्तानी स्कूली किताब से नहीं ली गई है. ‘अगर भारत बदतमीज़ी पर उतरा तो पाकिस्तान ‘इंडिया ऑक्युपायड पाकिस्तान’ बन जाएगा’, ऐसी धमकी ह्रितिक रोशन की जगह किसी और ने दी होती तो यह दहशत पैदा करती. अब दोनों देशों के बीच मौजूदा जो व्यापार घाटा है उसके मद्देनज़र तो पाकिस्तान ‘पैट्टी’ की पेशकश को कबूल भी कर सकता है. ‘हम’ ‘आपका’ एक हिस्सा बन जाएं, तो यह आपका सिरदर्द ही बनेगा.
‘फाइटर’ में कोई विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान नहीं है, इसलिए दुनिया भर में मशहूर हुआ उनका बयान “चाय शानदार है” भी नहीं है. यह मामले को बेमज़ा बना देता है. अभिनंदन को चाय नहीं पेश की गई तो फिर भारत-पाकिस्तान जंग क्या हुई? वे रशीद और अभिनंदन का वो मग भावी पीढ़ियों के लिए पाकिस्तानी वायुसेना के म्यूज़ियम में प्रदर्शन के लिए रख दिया गया है. ऐसी अहम बातों को छोड़ कर भला कोई फिल्म कैसे बनाई जा सकती है? कि एक भारतीय जेट विमान को गिराने और एक सैनिक को गिरफ्तार करने की घटना को पाकिस्तान हर साल 27 फरवरी को विजय दिवस के रूप में मनाता है.
जब तक ‘फाइटर’ काल्पनिक होने की कोशिश करती है और हम यह समझ पाते हैं कि यह वास्तविक घटनाओं पर ढीले-ढाले ढंग से बनाई गई फिल्म है, तब तक इसका 80 फीसदी हिस्सा गुज़र चुका होता है. चूंकि इस प्रकरण (और दोनों देशों के बीच हुई चार लड़ाइयों) के बारे में पाकिस्तान और भारत के इतिहासों में फर्क है, इसलिए वे कहते हैं कि बालाकोट में उन्होंने आतंकवादियों को मार गिराया और हम कहते हैं कि वहां चीड़ के कुछ पेड़ थे और एक कौवा था, लेकिन दोनों पक्ष इस बात को कबूल करते हैं कि उस घटना में लड़ाकू हवाई जहाज शामिल थे.
यह भी पढ़ें: पठान से लेकर मिशन मजनू तक, रॉ के एजेंटों को पाकिस्तानियों से बेहतर कोई नहीं जानता
लाल आंखे, लाल नाक
लाल नाक वाला, सूरमा लगाए अफसर और एक लाल आंख वाला जिहादी आपको अगर दिल का दौरा नहीं देता तो दिल में दर्द तो देगा ही, लेकिन यहां खुशी की बात यह है कि पाकिस्तानी पायलट के पास इतना समय है कि वह जबानी जवाब दे सके और अपने दुश्मन के बारे में लड़कियों से जुड़ी गप कर सके. इस बीच, उसके भारतीय दुश्मन सरहद पर विस्फोटक तनाव के बीच भी ‘आज शेर खुल गए’ गाने की धुन पर डांस करने में मशगूल दिखते हैं. ऐसा लगता है कि लाल नाक वाले किरदार की प्रेरणा फौजी पीआर के पूर्व डाइरेक्टर जनरल आसिफ गफ़ूर से मिली है, जिनके बड़बोले ट्वीट उन मुश्किल दिनों में हमारा दिल बहलाते थे.
इस बहुभाषी जमावड़े में, जरा कल्पना कीजिए कि जैश-ए-अहमद के चीफ मसूद अज़हर का किरदार जिहादी अज़हर अख्तर के रूप में कैसा लग रहा होगा जिसके बाल सीधी लटों वाले है और आंखें मानो कंजक्टीवाइटिस के कारण लाल हो गई हों, और जो पाकिस्तानी फौजी दफ्तरों में मनमर्जी ऐसे आ-जा रहा हो जैसे वह ‘जीएचक्यू’ (जनरल हेडक्वार्टर्स) में ही रहता हो. फौजी जनरलों को वह ऐसे हिदायतें देता दिखता है मानो वे उसके गुलाम हों. लेकिन हमें जानकारी क्या मिलती है? अगर ‘टाइगर-3’ में इमरान हाशमी (आतिश रहमान के रूप में) पाकिस्तानी नेताओं के खिलाफ पाकिस्तानी जनरलों के साथ चोंच-से-चोंच मिलाए दिख सकते हैं, तो यही कहा जा सकता है कि मोहब्बत और फिल्म में कुछ भी मुमकिन है. तब रॉ के एजेंट टाइगर से यह भी कहा जा सकता है कि वह 2024 के चुनाव नतीजे आने के बाद बढ़ी उथलपुथल के मद्देनजर पाकिस्तान में लोकतंत्र को बचाने की कोशिश करे.
और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के खाते में एक साल में महज एक सुपर कामयाबी हासिल हुई है, दीपिका पादुकोण के रूप में. दीपिका ने ‘पठान’ में आइएसआइ की एक अच्छी एजेंट के रूप में ‘इंसानियत की खिदमत’ करने से लेकर ‘फाइटर’ में भारतीय वायुसेना अधिकारी बनने तक का सफर एक साल में ही तय कर डाला है. वे इतनी जल्दी पाला बदल लेंगी, इसकी कल्पना भी आइएसआइ ने नहीं की होगी. ऐसा तो रॉ के एजेंट भी नहीं करते, जो पाकिस्तान में मारामारी करते हुए अपने पास पासपोर्ट भी तैयार रखते हैं. सो, एजेंटो! दीपिका से कुछ सीखो! और, मिशन पूरा होने के बाद वर्दी में होते हुए दीपिका ने जो चुंबन दिया है वह तो उन्हें अगली फिल्म में पाकिस्तानी फौज के चीफ की भूमिका दिला सकता है.
(नायला इनायत पाकिस्तान की फ्रीलांस पत्रकार हैं. उनका एक्स हैंडल @nailainayat है. व्यक्त किए गए विचार निजी हैं.)
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: होली, ईद, कुरान और इस्लाम खतरे में हैं — क्या पाकिस्तान इसलिए बना था?