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Saturday, 16 November, 2024
होममत-विमतकोविड के समय हवाई सफ़र आवाजाही का सबसे सुरक्षित ज़रिया है, भारत इस सेक्टर में बड़ी उछाल ला सकता है

कोविड के समय हवाई सफ़र आवाजाही का सबसे सुरक्षित ज़रिया है, भारत इस सेक्टर में बड़ी उछाल ला सकता है

कोरोनावायरस के बाद की दुनिया में, जब सोशल डिस्टेंसिंग एक आम बात हो जाएगी, तो कच्चे तेल के सस्ते अंतर्राष्ट्रीय दामों की बदौलत, भारत के एविएशन सिस्टम में उछाल आने वाला है.

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भारत का आसमान ख़ाली है. जहां कभी विशाल जेटलाइनर्स उड़ान भरते थे, वहां अब पक्षियों के झुंड नज़र आते हैं. इस बीच, ज़मीन पर, यात्रियों को चिंता है कि वो कब और कैसे फिर से उड़ान भर पाएंगे. कोरोनावायरस से पहले के समय में हवाई सफर इतना सस्ता और सुविधाजनक हो गया था, कि हवाई चप्पल वाले भी हवाई जहाज़ में चल रहे थे. लेकिन दुर्भाग्यवश, लॉकडाउन के दौरान, ये सब अचानक थम गया है. भारत के कॉमर्शियल बेड़े में क़रीब 670 विमान हैं, लेकिन बचाव और कार्गो फ्लाइट्स में उड़ रहे कुछ एक विमानों को छोड़कर, बाक़ी सभी ठहरे हुए हैं.

उदासी से भरे वर्तमान के बावुजूद, भारत की विमानन व्यवस्था का भविष्य उज्ज्वल दिखता है. इसकी वजह है. एक, दुर्घटनाओं के मामले में, लम्बी दूरी की आवाजाही के लिए हवाई सफर सबसे सुरक्षित होता है. कोरोनावायरस संक्रमण के जोखिम के लिहाज़ से भी, सफर का ये शायद सबसे सुरक्षित माध्यम है. इसलिए संभावना है कि बड़ी तादात में यात्री, रेल और कार छोड़कर हवाई सफर करेंगे.

दूसरे, तेल के दाम तेज़ी से गिरने के कारण हवाई सफर और सस्ता हो जाएगा.

और अंत में, संभावना है कि हवाई सफर निर्णायक रूप से, हब एंड स्पोक अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों से हटकर, एक जगह से दूसरी जगह की सीधी उड़ानों पर आ जाएगा. कोरोनावायरस के बाद की दुनिया में, भारत के एविएशन सेस्टर में उछाल आने वाला है.


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एयरलाइंस के लिए सस्ता तेल

ड्राइव करने या ट्रेन में बैठने के मुकाबले, हवाई सफर को काफी समय से लम्बी दूरी की यात्रा का सबसे सुरक्षित ज़रिया माना जाता रहा है. ये विश्लेषण सबसे ज़्यादातर यूरोप और अमेरिका के लिए किया गया है, लेकिन पिछले कुछ सालों में, सवाई सुरक्षा के हमारे रिकॉर्ड को देखते हुए, ये बात भारत के लिए भी सही बैठती है. कोरोनावायरस की दुनिया में, यात्रियों को अब इन्फेक्शन फैलने की चिंता भी रहती है. विमान के भीतर हवा का सर्कुलेशन, किसी भी बेहतरीन अस्पताल जैसा होता है, जिससे वायरल इन्फेक्शन का ख़तरा कम हो जाता है. इसके अलावा आमतौर पर एक्सपोज़र भी कम रहता है, क्योंकि दूर की मंज़िल तक पहुंचने के लिए, रेल या कार से सफर करने में, 10 गुना तक समय लग सकता है.

भारत में हवाई किराए दुनिया में सबसे कम हैं. प्रति किलोमीटर के आधार पर देखें, तो इकॉनॉमी सीट के लिए हवाई सफर में आमतौर पर, 5 रुपए प्रति किलोमीटर ख़र्च आता है. इन सस्ते दामों की वजह से, भारत के विशाल मध्यम वर्ग के लिए, उड़ान भरना कहीं ज़्यादा सस्ता हो गया है. छात्र अपनी यूनिवर्सिटी जाते हैं, माता-पिता अपने बच्चों के पास जाते हैं, परिवार दीवाली पर दादा-दादी के पास जाते हैं, और कारोबारी लोग अपने सप्लायर्स और ग्राहकों से मिलने हवाई जहाज़ों से जाते हैं. हवाई सफर अब हमारे रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा बन गया है.

तेल के दामों में तक़रीबन 50 प्रतिशत की गिरावट आ गई है, और क़रीब 60 डॉलर प्रति बैरल से गिरकर, ये 30 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है. उड़ान के कुल ख़र्च का क़रीब 30-40 प्रतिशत जेट फ्यूल पर होता है. इसलिए यदि एविएशन टरबाइन फ्यूल टेक्स में इज़ाफ़ा नहीं होता, तो उड़ानों के दामों में ख़ासी गिरावट आएगी. इसके आलावा, बिजली चालित कारों व दुपहिया वाहनों के तेज़ी से बढ़ते चलन से, आने वाले निकट भविष्य में, ईंधन के दाम कम ही रहने की संभावना है.

सीधी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों से एयरलाइन्स को सीधा फायदा होगा

कोरोनावायरस वैश्विक महामारी बहुत से इंटरनेशनल हब्स को ख़त्म कर सकती है. पूरी की पूरी अर्थव्यवस्थाएं शहरों से एयरपोर्ट्स के इर्द-गिर्द खड़ी हैं, जहां दुनियाभर से यात्री आते हैं, और जो फिर उन्हें उनकी मंज़िल तक पहुंचा देते हैं. 21वीं सदी में एयरपोर्ट्स पर शानो-शौकत वाली ख़रीदारी, ज़बर्दस्त पार्क्स, शानदार होटलों लज़ीज़ खानों की ऐसी बहार होती है कि यात्री खुलकर ख़र्च करते हैं. बदक़िस्मती से यही सब विशेषताएं, इन्हें संक्रामित बीमारियों का शिकार भी बना सकती हैं. हवाई यात्री ऐसे हब एयरपोर्ट्स से बचते हुए, तेज़ी और आसानी से अपनी मंज़िल तक पहुंचना पसंद करेंगे.

भारत के एविएशन सिस्टम के लिए, ये एक अच्छी ख़बर है. किसी हब एयरपोर्ट तक पहुंचकर, यूरोप, जापान, अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया पहुंचने की बजाय, अब यात्री सीधे इन देशों की उड़ान भरेंगे. इस रुझान का फायदा उठाते हुए, संभावना है कि हमारी एयरलाइन्स छोटे विमानों के अपने मौजूदा बेड़े में, लम्बी दूरी तक जाने वाले अधिक चौड़े विमान शामिल करेंगी. आज हमारे देश की एयरलाइन्स भारत से केवल 20-30 प्रतिशत अंतर्राष्ट्रीय यात्री ही ले जाती हैं. हम उम्मीद कर सकते हैं कि ये संख्या तेज़ी से बढ़ेगी, और अंतर्राष्ट्रीय सफर के लिए अधिकांश भारतीय यात्री, भारत की एयरलाइन्स इस्तेमाल करेंगे.

स्वाभाविक रूप से इससे हमारे एयरपोर्ट्स को भी फायदा होगा. ड्यूटी फ्री शॉपिंग भारत के एयरपोर्ट्स पर की जाएगी. मनोरंजन और डाइनिंग का इस्तेमाल स्थानीय लोग करेंगे, और देशभर के हमारे एयरपोर्ट्स पर, आमदनी और रोज़गार में इज़ाफ़ा होगा.


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एयरपोर्ट और विमान के भीतर यात्रियों का अनुभव भी, संभवत: कहीं अधिक सुविधाजनक हो जाएगा. सोशल डिस्टेंसिंग एक आम चीज़ हो जाएगी, और बहुत से काम स्वचालित हो जाएंगे. नए डिजीयात्रा सिस्टम के शुरू हो जाने के साथ ही, यात्री किसी सुरक्षाकर्मी या गेट एजेंट के पास गए बिना, चेक-इन और सामान की लोडिंग कराने के बाद, अपनी फ्लाइट में बैठ सकते हैं. रिटेल और खाने की जगहों पर भी सुनिश्चित किया जाएगा, कि वहां भीड़ जमा न हो. सुरक्षा जांच शुरू में धीमी होगी, लेकिन बाद में बॉडी स्कैनर्स की मदद से, तलाशी की प्रक्रिया तेज़ हो जाएगी. विमान में बैठने पर यात्री स्वाभाविक रूप से अपने मास्क और ग्लव्स पहने होंगे, और फ्लाइट क्रू शायद पपीई किट में होगा.

2019 में, भारत की एयरलाइन्स ने 20 करोड़ से अधिक यात्री फेरे किए, जिसमें क़रीब 14.4 करोड़ घरेलू फेरे थे. वित्त वर्ष 19 में भारतीय रेलों में 18 करोड़ अपर क्लास, और 1.5 अरब सेकंड क्लास/एक्सप्रेस पैसेंजर फेरे किए गए. इसलिए अगले कुछ सालों में, हवाई सफर में उछाल आने की काफी गुंजाइश है. भारतीय आकाश में फिर से जेट इंजनों की आवाज़ गूंज रही होगी.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(जयंत सिन्हा संसद की वित्तीय मामलों की स्थाई समिति के अध्यक्ष, और झारखंड के हज़ारीबाग़ से लोकसभा सांसद हैं. ये उनके निजी विचार हैं.)

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