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Friday, 29 March, 2024
होममत-विमतबिग फैट से लेकर छोटी वर्चुअल शादी तक- कोविड काल में भारतीय शादियों को बदलने का समय आ गया है

बिग फैट से लेकर छोटी वर्चुअल शादी तक- कोविड काल में भारतीय शादियों को बदलने का समय आ गया है

हज़ारीबाग़ में बैठे किसी जोड़े की शादी का सेट, वेनिस का कोई आकर्षक चौक हो सकता है. मुज़फ्फ़रनगर में बैठे लोग कल्पना कर सकते हैं कि वो लेक कोमो के किनारे किसी विला पर हैं.

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कोरोनावायरस ने बहुत सी चीज़ें तबाह कर दी हैं, भारी भरकम भारतीय शादी यक़ीनन उन्हीं में एक है. पूरे भारत बल्कि दुनियाभर में, हज़ारों लोग कई दिन चलने वाली इन भव्य शादियों में शरीक होते हैं, जिनमें मज़ा होता है. भरपूर ख़र्च होता है और जिनके दम से एक पूरा उद्योग चलता है. दुर्भाग्य से, कोरोनावायरस से त्रस्त हमारी दुनिया में, ये शादियां संक्रमण फैलाने वाला एक ऐसा बड़ा आयोजन लगने लगी हैं, जिनसे हर किसी को बचना है.

तो फिर अगले दो साल तक क्या होगा, जब तक हम किसी के कोरोनावायरस का टीका तैयार करने का इंतज़ार करेंगे? भारतीय शादियां किस तरह ख़ुद को नए नॉर्मल रूप में ढाल पाएंगी? बहुत से जोड़ों ने असान रास्ता चुनते हुए, बेहतर दिनों की उम्मीद में अपनी शादियां टाल दी हैं. कुछ शादियां बिल्कुल सादगी के साथ की जाएंगी, जिनमें सिर्फ जोड़ा और बस परिवार के लोग ही शरीक होंगे. इसी बीच भारी भरकम भारतीय शादी का जादू फिर से जगाने के लिए, कुछ वेडिंग प्लानर्स नए तरीक़े से टेक्नोलॉजी का सहारा लेने की सोच रहे हैं.

वर्चुअल वेडिंग इंडस्ट्री

वेडिंग इंडस्ट्री भारत के सबसे बड़े उद्योगों में शुमार की जाती है. साल 2017 में इसका साइज़ क़रीब 4 लाख करोड़ था, जो टेलीकॉम उद्योग से भी ज़्यादा है, जो उस साल क़रीब 2 लाख करोड़ का था.

हर साल देश में क़रीब एक करोड़ शादियां होती हैं. जिनमें परिधान, गहने, मेहमान नवाज़ी, फूलों की सजावट, ट्रांसपोर्ट, और केटरिंग आदि पर बेतहाशा ख़र्च किया जाता है. लाख़ों मज़दूर और कामगारों की अधिकांश आमदनी, शादियों के अपेक्षाकृत छोटे से सीज़न में ही होती है. कुछ बड़े पर्यटन स्थल, जैसे ग्रीक आईलैण्ड्स, इंडोनेशिया का बाली, और इटली का फ्लोरेंस, भारत की बहुत सारी ‘डेस्टिनेशन वेडिंग्स’ से फायदा उठा रहे हैं. बहुत से बड़े-बड़े कलाकार टॉप शादियों में परफॉर्म करके अच्छी कमाई कर रहे हैं.

लेकिन कोरोनावायरस ने उस सब पर ब्रेक लगा दिया है. भारतीय जोड़ों के सामने अब परेशानी ये है कि एक सुरक्षित कोरोनावायरस-प्रूफ शादी, शायद कम से कम 18-24 महीने दूर है. उससे पहले, टीकों को कामयाबी के साथ इंसानी ट्रायल से गुज़रना होगा और उनका उत्पादन भी बढ़ाना होगा. ताकि उन्हें भारत की 130 करोड़ आबादी तक पहुंचाया जा सके, जिसमें से अधिकांश को टीके लगवाने होंगे.

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लेकिन किसी शादी को दो साल के लिए टाल देना, न तो व्यवहारिक है और न ही उचित. लम्बी मंगनी जोड़ों के लिए मुश्किल होती है. माता पिता बीमार पड़ सकते हैं, या किसी बुज़ुर्ग रिश्तेदार की मौत हो सकती है.


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एक विकल्प है- बिल्कुल सादा शादी. इसमें जोड़ा, उसके माता-पिता, कुछ रिश्तेदार और कुछ क़रीबी दोस्त ही शरीक हों. गृह मंत्रालय की गाइडलाइन्स के मुताबिक़, क़रीब 50 लोगों की शिरकत के साथ, एक सादा शादी करना संभव हो सकता है. ऐसी सादा शादी में सभी मेहमानों का टेस्ट किया जा सकता है या वो मास्क और ग्लव्ज़ पहन सकते हैं. पूरे समय सोशल डिंस्टेंसिंग बनाए रखी जा सकती है और खाना एहतियात से ऐसे सर्व किया जा सकता है, कि टेबल्स पर भीड़ जमा न हो. सभी सामान्य तोहफे अभी भी दिए जा सकते हैं- या तो शादी पर, या कोरियर सर्विस के ज़रिए.

रक्षक- सुपर क्लाउड

इस दौरान कुछ जोड़ों ने पहले ही शादी के ऑनलाइन जश्न का प्रयोग शुरू कर दिया है. ऐसे बहुत से तरीक़े हैं जिनमें, टेक्नोलॉजी की मदद से, ऑनलाइन शादियां कराई जा सकती हैं. डांस परफॉर्मेंस को रिकॉर्ड करके संगीत समारोह के दौरान दिखाया जा सकता है. शादी को फेसबुक लाइव या ज़ूम पर, सीधे ब्रॉडकास्ट किया जा सकता है. मेहमान अच्छी-अच्छी पोशाकें पहनकर, वीडियो कॉल्स के ज़रिए, अपने ड्राइंग रूम में बैठे हुए शादी में शिरकत कर सकते हैं. और दावत का समय होने पर, तो डिलीवरी सर्विस हर आमंत्रित मेहमान के यहां, एक जैसा भोजन पहुंचा सकती है.

फिर भी, ये सिर्फ एक शुरूआत भर है. स्टार्टअप्स और लैब्स से निकल रही ताज़ा-तरीन टोक्नोलॉजी की मदद से, भारत का सुपर क्लाउड भारी भरकम भारतीय शादी को बचा सकता है. वर्चुअल रिएलिटी शादी के अनुभव को बदल देंगी, और ऑनलाइन शादी ऐसी लगेगी, जैसे आप सचमुच उसमें शरीक हो रहे हों.


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ज़रा सोचिए किसी बेहद सुंदर जगह पर एक छोटी सी शादी, जिसमें थोड़े से लोग हों, और फिर 3डी वर्चुअल रिएलिटी के चश्मे लगाए, सैकड़ों दूसरे लोग उसमें शरीक हो रहे हों. सुंदर नज़ारे के ऊपर मंडराते हुए ड्रोन कैमरे, बहुत कमाल के एंगल दे सकते हैं. फूल, भोजन, ख़ुशबुएं और शादी से जुड़े तमाम साज़ो सामान, वेडिंग प्लानिंग सर्विस के ज़रिए, दूर बैठे उन मेहमानों तक पहुंचाए जा सकते हैं. सफ़र, मेहमानदारी और आने-जाने पर होने वाले ख़र्च की बचत से, घर बैठे शादी के अनुभव को बहुत ही यादगार बनाया जा सकता है.

पूरी तरह वर्चुअल रिएलिटी वाली शादी में कुछ और भी हो सकता है. जोड़ा और उनके परिवार भर बैठे अपने सपनों की जगह में मग्न हो सकते हैं. हज़ारीबाग़ में बैठे किसी जोड़े की शादी का सेट, वेनिस का कोई आकर्षक चौक हो सकता है, मुज़फ्फ़रनगर में बैठे लोग कल्पना कर सकते हैं, कि वो लेक कोमो के किनारे किसी विला पर हैं, मदुरई का कोई जोड़ा हवाई के किसी हरे भरे झरने के आगे शादी रचा सकता है. रिश्तेदार भी दूर बैठे ही इसी तरह शादी का मज़ा ले सकते हैं. और जब डांस और जश्न का समय आने पर वर्चुअल रिएलिटी गॉगल्स की मदद से सभी मेहमानों को जगमगाते डिस्कोथेक का अनुभव कराया जा सकता है.

कोरोनावायरस बहुत से ऐसे बदलावों में तेज़ी लाया है, जो पहले ही दस्तक दे चुके थे. टेक्नोलॉजी से लाए जा रहे अनुभव हमारे जीवन पर हावी हो रहे हैं. शॉपिंग बहुत तेज़ी के साथ मॉल से स्क्रीन की तरफ जा रही है. फैमिली डिनर्स विडियो कॉल्स बन रहे हैं, जिनमें हर कोई एक तरह के व्यंजन बना रहा है. घर से काम करना एक सामान्य बात हो गई है. अब समय आ गया है कि भारी भरकम भारतीय शादी को एक छोटी सी वर्चुअल शादी बना दिया जाए.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(जयंत सिन्हा संसद की वित्त मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष तथा झारखंड में हज़ारीबाग़ से लोकसभा सांसद हैं. ये उनके निजी विचार हैं.)

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