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Saturday, 21 December, 2024
होममत-विमतइमरान खान ने कोहली को हरा ICC पोल जीता- पाकिस्तान में जश्न ऐसा कि जैसे वर्ल्ड कप भारत को हराया हो

इमरान खान ने कोहली को हरा ICC पोल जीता- पाकिस्तान में जश्न ऐसा कि जैसे वर्ल्ड कप भारत को हराया हो

पाकिस्तान ने फिर दूसरा विश्व युद्ध जीत लिया. इमरान खान को भारत से अंदरूनी मदद मिली और भारतीय नहीं चाहते थे कि विराट कोहली आईसीसी चुनाव जीतें, यह एक कूटनीतिक जीत है.

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मुझे ये ख़बर देते हुए ख़ुशी हो रही है, कि पाकिस्तान ने एक और विश्व युद्ध जीत लिया है. इसे तीसरा विश्वयुद्ध कहिए, चौथा कहिए, या दसवां भी कह लीजिए, इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता, क्योंकि नतीजा वही रहता है. अब, जो चीज़ हिंदुस्तानियों को सिर्फ हैरान कर सकती है, वो ये कि पाकिस्तान ने भारत को एक झटका दिया है. एक ऐसा झटका जिसे ‘दुश्मन’ बहुत सालों तक याद रखेगा. तो आख़िर हुआ क्या? एक चुनाव हुआ- ट्विटर पर. और वो झटका इसके घटनाक्रम में है.

मंगलवार को, इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने अपने अधिकारिक हैंडल @ICC से, कुछ सिलसिलेवार ट्वीट्स पोस्ट किए, जिनमें से पहले की सुर्खियां थीं ‘कुछ असाधारण क्रिकेटर्स के लिए, कप्तानी वरदान साबित हुई’, और यूज़र्स से ये तय करने के लिए कहा गया था, कि ‘इन जीनियस खिलाड़ियों में से कौन पेस सेटर सबसे अच्छा था’- भारत से विराट कोहली, ऑस्ट्रेलिया से मेग लेनिंग, साउथ अफ्रीका से एबी डिवीलियर्स, और एक अलग ही शख़्सियत पाकिस्तान के इमरान ख़ान. 5,36,346 वोट्स के बाद, विजेता का फैसला किया गया: ‘अदम्य इमरान ख़ान’ जो 47.3 प्रतिशत वोटों के साथ, सबसे ऊंचे दर्जे के कप्तान क़रार दिए गए, विराट कोहली के 46.2 से एक प्रतिशत ज़्यादा.


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सबसे अहम और निष्पक्ष चुनाव

आपको क्या लगता है कैसा लगा? बेशक, ये बेशुमार वर्ल्ड कप जीतने के बराबर था, जब से इमरान ख़ान पाकिस्तान के वज़ीरे आज़म बने थे. क्या 13 जनवरी पाकिस्तान में एक क़ौमी छुट्टी क़रार दे दी जाएगी? टीवी चैनल्स पर ब्रेकिंग न्यूज़, और मंत्रियों की तरफ से मुबारकबाद के पैग़ामात ने साबित कर दिया, कि ये चुनाव कोई मज़ाक़ नहीं था, बल्कि पूरी क़ौम के लिए फ़ख़्र की बात थी. अब आईसीसी भी हैरान है. उड़ते उड़ते सुना है कि इमरान को वोट देने के लिए, इर्तुग्रुल फिर से ज़िंदा हो गया. बहुत चौंकाने वाली बात होगी, अगर ये सच न हुआ.

जल्द ही, #PakistanShocksIndia और #CongratsPMIK जैसे हैशटैग्स, ट्विटर पर बरसने लगे. एक बार फिर, ख़ान ‘हमारा फ़ख़्र’ बन गए थे, और कोई दूसरी चीज़ मायने नहीं रखती थी. पिछले हफ्ते पूरे मुल्क में ब्लैकआउट, या अपनी 80 फीसदी आबादी के लिए, सरकार का कोविड-19 टीके न ख़रीद पाना, अब किसी चीज़ से फर्क़ नहीं पड़ता. ना ही अपनी ‘दशक की टीम’ लिस्ट बनाने में, आईसीसी का पाकिस्तानी क्रिकेटर्स को नज़रअंदाज़ करना. समझिए वो सब मिट गए, क्योंकि ये जीत अपने आप में अनोखी है.

चीज़ें धीरे धीरे खौल रही हैं. भारत के राजस्थान में रहने वाले उस इंसान से पूछिए, जिसने सिर्फ पाकिस्तानी लड़कियों की कुछ नग्न तस्वीरों के लिए, अपने मुल्क को दग़ा दे दिया. जिसका मतलब है कि अपने दुश्मनों, और दोस्त के भेस में दुश्मनों से निपटने के लिए, अब हमारी झोली में बड़े पैमाने पर तबाही का, एक और हथियार आ गया है.

ट्विटर हो या न हो, आईसीसी चुनाव हवा से ज़्यादा आज़ाद, और चांद से ज़्यादा गोरा है. ये दुनिया में किसी भी जगह कराया गया, सबसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव है, जिनमें 2018 के पाकिस्तान के आम चुनाव भी शामिल हैं. आख़िरकार, इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि बैलेट्स को कौन भर रहा है: फर्क़ इससे पड़ता है कि जीत कौन रहा है. और इस मामले में, एक बार फिर ये हमारे कप्तान थे. कुछ लोगों का सुझाव ये है कि ये जीत ख़ान के लिंक्डइन पर जानी चाहिए; मेरा सुझाव ये है कि ट्विटर बायो पर इसका ज़िक्र काफी रहेगा.

हिंदुस्तानियों में डर, ख़ान को राहत

मुख़ालिफ (विरोधी) लोग इन स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को धांधली बताएंगे. वो इस तरह की बातें करेंगे कि कोहली जीत रहा था, और फिर अगले ही मिनट वो हारने लगा. और ये भी, कि ख़ान को भारत के अंदर से मदद मिली थी, जहां कुछ लोग चाहते थे कि कोहली हार जाए, जो सरहद के इस पार, पाकिस्तान के लिए एक और कूटनीतिक जीत है. हालांकि असली मदद सिर्फ काली दाल लगाने से आई. लेकिन प्यार और ट्विटर चुनावों में कुछ भी मुमकिन है. मैं तो कहती हूं कि मामले की गंभीरता, और लगाए जा रहे सभी तरह के इल्ज़ामात (आरोपों) को देखते हुए, भारत और पाकिस्तान इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में ले जाने पर ग़ौर कर सकते हैं. आख़िरकार, हम सब जानते हैं कि परमाणु शक्ति वाले दो पड़ोसियों के बीच, चीज़ें कितनी जल्दी ख़तरनाक रुख़ ले सकती हैं.

भारतीयों को डर है कि आईसीसी चुनाव, ‘चाय शानदार है’ के लमहे से बड़ा बन सकता है. यही वो डर है जो उनकी न जाने कितनी रातों की नींद उड़ाएगा. कौन जानता है, ट्विटर पर एक और चुनाव हो जाए, कि क्या ‘कश्मीर बनेगा पाकिस्तान’- हिंदुस्तानी अपने आपको एक और ‘झटके’ के लिए तैयार नहीं कर सकते, क्योंकि हम सब जानते हैं कि वो लड़ाई भी कौन जीतेगा. कश्मीर झगड़े को सुलझाने के लिए, विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी को अब अमेरिका के नए राष्ट्रपति, जो बाइडेन का मुंह नहीं देखना पड़ेगा. जैसे कि उनके पूर्ववर्त्ती इमरान ख़ान सरकार के लिए इतने मददगार साबित हुए हों.

वैकल्पिक ब्रह्मांड में जीत हासिल करना, अब पीएम ख़ान की आदत बन गई है. उनकी ट्विटर दुनिया में एक आर्थिक बदलाव हो रहा है. नवंबर-दिसंबर 2020 में, बांग्लादेश और भारत के निर्यात में नकारात्मक वृद्धि दर्ज होना, पाकिस्तान के लिए एक जश्न की बात है. इसके अलावा भ्रष्टाचार के खिलाफ जीत की भी बात है. हालांकि यूके स्थित फर्म ब्रॉडशीट, जिसे पाकिस्तान सरकार ने शरीफ और भुट्टो लोगों की संपत्ति का पता लगाने के लिए हायर किया था, ने आख़िर में सरकार पर ही मुक़दमा ठोंक दिया, और क़ानूनी लड़ाई में अरबों रुपए जीत लिए. हज़ारा समुदाय पर हुए हमले के मामले को, बहुत अनुचित ढंग से हैंडल करने, और उसके बाद शोकाकुल लोगों को ब्लैकमेलर्स बताने पर, चारों तरफ से हुई आलोचनाओं के बाद, ये चुनावी जीत अगर झटका नहीं, तो स्वागत योग्य आश्चर्य तो ज़रूर है. चौंकाने वाली हर जीत का एक मतलब होता है, भले ही वो ट्विटर पर ही हो.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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