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Wednesday, 1 May, 2024
होममत-विमतभोजपुरी गायक गुड्डू रंगीला किसी भी चीज को सेक्स से जोड़ सकते हैं - यहां तक कि कोरोनवायरस और एनआरसी को भी

भोजपुरी गायक गुड्डू रंगीला किसी भी चीज को सेक्स से जोड़ सकते हैं – यहां तक कि कोरोनवायरस और एनआरसी को भी

गुड्डू रंगीला के पास एक अद्भुत ताकत है कि वो हर भोजपुरी शब्द को सेक्सुलाइज कर सकते हैं. उनकी एक खासियत भी है कि वह एक ही समय में देशद्रोही और देशभक्त दोनों प्रतीत होते हैं.

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नई दिल्ली: एक तरफ पूरा विश्व खतरनाक कोरोना वायरस से आतंकित है तो दूसरी तरफ भोजपुरी गायक-गीतकार गुड्डू रंगीला के गानों से. पिछले कई दिनों से एक पोस्टर सोशल मीडिया पर तैर रहा है. ये पोस्टर कोरोनावायरस के बारे में गंभीरता से नहीं बल्कि सेक्सुलाइज्ड तरीके से बात करता है. पोस्टर पर लिखा है- लहंगा में कोरोना वायरस घुसल बा. (लहंगे में कोरोना वायरस घुस गया है.)

पिछले दशक से जारी भोजपुरी सिनेमा के पतन के मद्देनजर ये कहना मुश्किल नहीं है कि भोजपुरी भाषा में इसे गाया किसने होगा. इसे गाया है प्रख्यात और कुख्यात भोजपुरी गायक गुड्डू रंगीला ने. रंगीला, पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार के लोगों के लिए ये जाना-माना नाम हैं. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रही है कि भोजपुरी सिनेमाई स्तर के गिरने की कोई भी बहस में उनका नाम लिए पूरी नहीं होती.

होली के ‘सम्राट’

44 वर्षीय रंगीला बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के सेंसेशन हैं. उनके यूट्यूब चैनल संजीवनी के दो लाख सब्सक्राइबर हैं. उनके चैनल पर जाकर अगर आप उनके गीतों को देखेंगे तो अधिकतक गाने त्योहारों और खासकर होली के इर्द-गिर्द घूमते तो हैं ही साथ ही अश्लीलता से भरे पड़े हैं. उसे देख-सुनकर ऐसा लगता है जैसे यह सांस्कृतिक हिस्सा हो. उनके  इन वीडियो में तीन महीने से गर्भवर्ती भाभी से ‘संभोग की लालसा’ वाले लिरिक्स हैं तो चोली में रंग भरने और पिचकारी के गीत भी भरे पड़े हैं.

रंगीला होली स्पेशलिस्ट हैं और इसलिए उन्हें ‘होली सम्राट’ की संज्ञा भी मिली हुई है. हर साल वो होली के लिए भाभी-देवर और जीजा-साली को लेकर अश्लील गानों के एल्बम रिलीज करते हैं. उनके गानों के चोली, लहंगा, जींस, पिचकारी, रंग, गुलाल, कटोरा जैसे शब्द केंद्र में होते हैं. ये गाने होली सीजन में हिट होते हैं.

ये गाने इतने क्रिंज वाले हैं कि ‘सेल्फी मैंने ले ली आज’ वाली ढिंचैक पूजा भी रंगीला के सामने मासूम नजर आती हैं. दिल्ली का चुनाव प्रचार भाजपा सांसद मनोज तिवारी के ‘बेबी बीयर पीके’ गानों के मीम से भरा रहा लेकिन रंगीला के द्विअर्थी गानों के आगे तिवारी भी भलेमानस नजर आने लगते हैं.

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रेप मानसिकता

जैसे-जैसे आप यूट्यूब पर गुड्डू रंगीला के बारे में खोजते हैं, वैसे-वैसे आप रेप मानसिकता वाले सैंकड़ों वीडियोज की अंधेरी दुनिया से रूबरू होते हैं. ज्ञात हो कि 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया रेप केस ने पूरे देश की आत्मा को झंझोर कर रख दिया था. लेकिन इसके ठीक एक महीने बाद रंगीला ने एक बलात्कारी गाना रिलीज किया. इस गाने में नाभी दिखाती औरतें और पतले शरीर वाले आदमी रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर नाचते नजर आते हैं. रंगीला ‘बलात्कार होता है रजाउ‘ (बलात्कार हो रहा है) गाने की शुरुआत में बलात्कारियों के लिए फांसी की सजा की मांग करता है. लेकिन इसके ठीक बाद वो एक भाभी के बलात्कार की कवायद करते हैं. गाने में बताया गया है कि कैसे निर्भया बलात्कार की खबर टीवी पर देखकर घर में मौजूद देवर उत्तेजित हो गए और भाभी का बलात्कार कर दिया.

इस पूरे गाने के दौरान रंगीला दो औरतों के बीच नाचते और रिझाते हुए दिख रहे हैं. साल 2013 में ही बिहार में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी क्योंकि वो रंगीला के भद्दे होली के गानों का विरोध कर रहे थे. रंगीला को इस बात से कोई मलाल भी नहीं है. एक पुराने साक्षात्कार में वो कह रहे हैं कि उनके गाने 50 पार की उम्र के जो लोग नहीं देखते हैं उन्हें मर जाना चाहिए.

पिछले दिनों से चल रहे देश की माड़ी (खस्ता) राजनीतिक हालात भी रंगीला से छिपी नहीं है. इसलिए वो नागरिकता संशोधन बिल और पीएम मोदी के समर्थन में भी गाना ले आए हैं. लेकिन अंचभित करने वाली बात ये है कि वो एनआरसी के खिलाफ हैं और उसपर भी गाना बना दिया है- लहंगा में एनआरसी लागू होखेना देम (लहंगे में एनआरसी लागू नहीं होने देंगे). एक समय था जब उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी मनोज तिवारी के लिए वोट मांगने के लिए भी गाने बनाए थे.

ये गुड्डू रंगीला का एक अनोखा गुण ही है कि वो देशद्रोह और देशभक्त, दोनों एक साथ हैं.

रंगीला के पास एक अद्भुत ताकत है कि वो हर भोजपुरी शब्द को सेक्सुलाइज कर सकते हैं. लोकसंस्कृति की चासनी में डुबोकर वो साधारण शब्दों जैसे ‘हऊ’ और ‘कटोरा’ को भी द्विअर्थी बना देते हैं. वो अपने गीतों में लोक संगीत और रास का मिश्रण भी परोसते हैं.

कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि सुनने- बोलने में प्यारी लगने वाली भोजपुरी भाषा को मजाक के विषय तक पहुंचाया गया है. इतिहास में रंगीला का योगदान ‘अविस्मरणीय’ रहेगा कि कैसे अपने दम उन्होंने एक भाषा को गाली के तौर पर स्थापित किया.

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