लखनऊ: अभी कुछ दिनों पहले तक राजस्थान के भीलवाड़ा माॅडल की तरह यूपी का आगरा माॅडल भी कोरोनावायरस संक्रमण से जूझने के प्रयासों के कारण चर्चा में था. केंद्र सरकार की ओर से यूपी सरकार की पीठ थपथपाई गई थी. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने 11 अप्रैल को प्रेस काॅन्फ्रेंस करके आगरा माॅडल को देश के लिए उदाहरण बताया था लेकिन इसके बाद आगरा में मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ी जिसके कारण इस माॅडल पर सवाल उठने शुरू हो गए. विपक्ष ने आगरा माॅडल की कामयाबी को धोखा बताया है.
आगरा में अब कोरोनावायरस पाॅजिटिव मामलों की संख्या 255 पर पहुंच गई है जो कि यूपी के किसी एक जिले में सबसे अधिक है. 11 अप्रैल तक ये संख्या 103 थी. वहीं प्रशासन की ओर से क्लस्टर रोकथाम रणनीति भी लागू हो चुकी थी जिसके तहत हर केस की काॅन्टेक्ट ट्रेसिंग की जा रही थी लेकिन इस बीच तमाम नए केस आने शुरू हो गए जिससे मरीजों की संख्या में इजाफा हो गया. बीते शनिवार को तो एक दिन में 54 केस सामने आ गए जो कि एक दिन में यूपी के किसी भी जिले से सबसे अधिक हैं.
आगरा के डीएम प्रभु एन सिंह की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, यहां कोरोनावायरस पाॅजिटिव मरीजों की संख्या 255 पर पहुंच गई है. इनमें 223 एक्टिव केस हैं. 6 की मौत हो चुकी है. वहीं 26 ठीक हो चुके हैं. अब तक 4026 लोगों की टेंस्टिंग हुई है जिसमें 194 पूल सैंपलिंग भी शामिल है. पिछले पांच दिनों में ये संख्या तेजी से बढ़ी है. बीते शनिवार को एक दिन में 55 पाॅजिटिव केस मिले थे जो कि यूपी के किसी भी जिले से एक दिन में सबसे अधिक हैं.
डीएम प्रभु एन सिंह ने ट्वीट कर टेस्ट सैंपल बढ़ाए जाने का भी दावा किया है. उनके मुताबिक पिछले सात दिनों में टेस्टिंग भी तेजी से बढ़ी है.
Present lockdown with more restrictions to continue till 3rd May
Except essential services all offices to remain close #Civid19 Updates attached
SNM started Haemodialysis facility for #Covid19 positive patients in it’s isolation ward ; one patient haemodialysis done pic.twitter.com/9ULHFK0JIv
— Prabhu N Singh (@PrabhuNs_) April 19, 2020
अस्पताल पर करानी पड़ी एफआईआर
दरअसल, आगरा में पिछले कुछ दिनों में जिले के निजी अस्पतालों से केस आने शुरू हो गए जहां पर कोरोनावयरस पाॅजिटिव मरीज शुरुआत में भर्ती हुए थे. उनके संपर्क में आए मेडिकल स्टाफ समेत तमाम लोग पाॅजिटिव हो गए. आगरा में बनाए गए 62 हाॅटस्पाॅट्स में तीन अस्पताल (मित्तल नर्सिंग होम, लेडी लॉयल अस्पताल, पारस अस्पताल) शामिल हैं जिनको पूरी तरह से सील कर दिया गया है. दरअसल कई पाॅजिटिव लोग इन निजी अस्पतालों के स्टाफ के संपर्क में रहे. यहां के पारस अस्पताल से जुड़े अब तक 28 लोग संक्रमित हुए हैं.
आगरा जिला प्रशासन ने पारस अस्पताल के संचालक डॉक्टर अरिंजय जैन व प्रबंधक एसपी यादव के खिलाफ जानकारी छिपाने के आरोप में केस दर्ज कराया है. दरअसल, अस्पताल में एक वृद्ध महिला का इलाज हुआ था जो बाद में कोरोनावायरस पाॅजिटिव निकली. वह अस्थमा का इलाज कराने यहां आई थी. इस महिला के संपर्क में आए सभी मेडिकल स्टाफ को जिला प्रशासन ने क्वारंटाइन करने को कहा. इसके बाद अस्पताल पर मरीजों व स्टाफ के आंकड़े की गलत जानकारी का आरोप लगा. अस्पताल ने आंकड़े कम बताए लेकिन जब प्रशासन ने अस्पताल खाली कराया तो यहां से 220 लोग निकले जिनमें 28 लोग कोरोना पाॅजिटिव पाए गए.
इस माॅडल के तहत की थी रोकने की कोशिश
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आगरा में संक्रमण रोकने के लिए क्लस्टर रोकथाम रणनीति की शुरुआत 3 मार्च को पहला केस सामने आते हो गई थी. इसके तहत एपिसेंटर 1 और 2 के तहत 3 किमी में कंटेनमेंट और 5 किमी में बफर जोन बनाए गए.रह केस की कॉन्टैंक्ट ट्रेसिंग हुई जिससे कुछ दिन तक इस माॅडल को तारीफ भी मिली लेकिन 11 अप्रैल के बाद पाॅजिटिव केस की संख्या तेजी से बढ़ गई. प्रशासन की ओर से अब तक 73 हाॅटस्पाॅट भी बनाए गए जिसमें 62 अभी एक्टिव भी हैं.
कहां हुई चूक अधिकारी बताने को तैयार नहीं
दिप्रिंट ने आगरा के सीएमओ और डीएम से आगरा माॅडल व लगातार बढ़ रहे मरीजों की संख्या का कारण जानने के लिए बात करने का प्रयास किया तो उनके ऑफिस से कहा गया कि वे इस संबंध में बात करने को तैयार नहीं हैं. दोनों से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई. अगर उनका कोई जवाब आता है तो खबर में अपडेट कर दिया जाएगा.
3 मार्च को आया था पहला केस
बता दें कि 3 मार्च को आगरा में कोरोनावायरस का पहला मामला सामने आया था. यहां के एक जूता कारोबारी के दो बेटे इटली से लौटे जिनसे परिवार के तीन अन्य सदस्य समेत 5 लोग संक्रमित हुए. इसी तरह यहां नीदरलैंड से लौटे एक एनआरआई से 76 साल की दादी को संक्रमण हुआ जिनकी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. वहीं उस एनआरआई के माता-पिता को भी कोरोना पाॅजिटिव पाया गया है. इसके अलावा तबलीगी जमात से जुड़े लोगों की आगरा में तमाम मस्जिदों में ढूंढ़कर जांच कराई गई जिसमें सामने आया कि 28 लोग निजामुद्दीन तबलीगी में भी गए थे. उनके संपर्क में आए हुए भी कई लोग की जांच हुई जिनमें कुछ कोरोना के चपेट में भी आ गए.
बढ़ती टेस्टिंग गति भी है केस बढ़ने का कारण
यूपी के डायरेक्टर जनरल हेल्थ व मेडिकल (डीजी) डाॅ. रुकुमकेश के मुताबिक, आगरा में केस लगातार बढ़ना चिंता विषय जरूर है लेकिन वहां टेस्टिंग भी तेजी से हो रही है. वहीं 60 से अधिक हाॅटस्पाॅट बना दिए गए हैं जिन्हें सील करके सैनेटाइज किया जा रहा है. वहीं पूल सैंपलिंग भी शुरू हो गई है. डाॅ. रुकुमकेश के मुताबिक इतनी संख्या में कोरोना पाॅजिटिव बढ़ने का कारण जमाती भी हैं. उनके संपर्क में आए तमाम लोग पाॅजिटिव निकल रहे हैं. प्रशासन सबको ढूंढ़ कर क्वारंटाइन कर रहा है. हमें उम्मीद है हालात जल्द सामान्य होंगे.
किंग जाॅर्ज मेडिकल काॅलेज के मेडिसिन विभाग के डाॅक्टर डी. हिमांशु के मुताबिक वहां पाॅजिटिव केस की संख्या बढ़ने पर हैरान नहीं हैं. उनका कहना है कि जैसे-जैसे हाॅटस्पाॅट बनाकर टेस्ट बढ़ाए जाएंगे कुछ दिनों तक संख्या बढ़ेगी लेकिन सभी हाॅटस्पाॅट्स को कवर करना जरूरी है. जब सभी हाॅटस्पाॅट में टेस्टिंग पूरी हो जाएगी तो अपने आप पाॅजिटिव केस की संख्या कम हो जाएगी.
विपक्ष ने उठाए सवाल
कांग्रेस के यूपी चीफ अजय लल्लू का कहना है कि सरकार के दावे झूठे हैं. आगरा माॅडल के नाम पर सिर्फ ब्रैंडिंग पर फोकस है लेकिन जमीनी हकीकत अलग है. वहीं मेडिकल स्टाफ भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. कोरोना महामारी के इस दौर में जब स्वास्थ्यकर्मी ही हमारे लिए सब कुछ हो वहां उनकी जान से सौदा किया जा रहा हैं, पीपीई किट्स की कमी है. वहीं टेस्ट भी कम हो रहे हैं. इन सब पहलुओं पर सरकार का ध्यान नहीं है.
समाजवादी पार्टी की वरिष्ठ नेता जूही सिंह ने भी आगरा माॅडल पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जबसे ये शब्द चर्चा में आया है तबसे लगातार पाॅजिटिव केस बढ़े हैं, कम नहीं हुए. ये कैसा माॅडल है. किसी को उदाहरण तब माना जाता है जब हालातों में सुधार आता है. यहां सुधार आने के बजाय आगरा के हालात बिगड़ते ही नजर आ रहे हैं.