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Friday, 29 March, 2024
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महिलाएं वर्कप्लेस पर पुरुषों से ज्यादा दबाव झेलती हैं, मर्दों की सोच भी बनती है मुसीबत : रिपोर्ट

महिला भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (डब्ल्यूआईसीसीआई) और इंडियन स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी (आईएसएच) द्वारा ‘भारत के आतिथ्य सत्कार उद्योग में लिंग समानता की स्थिति का मूल्यांकन’ शीर्षक से एक अध्ययन किया गया.

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नई दिल्ली: आतिथ्य सत्कार उद्योग (हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री) में महिला कर्मचारियों को कार्यस्थल पर पुरुष कर्मचारियों की तुलना में काम के अधिक दबाव का सामना करना पड़ता है, वहीं सहकर्मियों की रढ़िवादी सोच, पूर्वाग्रही विचार और मालिकों के व्यवहार के कारण महिलाओं को कार्यस्थल पर कई अन्य प्रकार की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है. एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है.

महिला भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (डब्ल्यूआईसीसीआई) और इंडियन स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी (आईएसएच) द्वारा ‘भारत के आतिथ्य सत्कार उद्योग में लिंग समानता की स्थिति का मूल्यांकन’ शीर्षक से एक अध्ययन किया गया.

अध्ययन के अनुसार, व्यक्तिगत स्तर पर, महिला कर्मचारियों को कार्यस्थल पर पुरुष कर्मचारियों की तुलना में काम के अधिक दबाव का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा महिलाओं की ‘नेटवर्किंग’ क्षमताओं को कम करके आंका जाता है और यह माना जाता है कि यात्रा के दौरान उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

अध्ययन में कहा गया कि सामूहिक स्तर पर सहकर्मियों की रूढ़िवादी सोच, पूर्वाग्रही विचार और मालिकों के पितृसत्तात्मक व्यवहार के कारण भी महिला कर्मचारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जबकि कम्पनी के स्तर पर परामर्श के अवसर कम होने से और नियोक्ताओं की लैंगिक रूढ़िवादिता भी एक बड़ी चुनौती बन जाती है.

‘इंडियन स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी’ के ‘रिसर्च एंड मैनेजमेंट स्टडीज’ विभाग की डीन पायल कुमार ने कहा ‘हम खुले तौर पर एक पितृसत्तात्मक समाज में रहते हैं, जहां महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे कार्यस्थल पर एक कर्मचारी के रूप में और घर पर बच्चों तथा बुजुर्गों की देखभाल करने में कुशल हों. अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि भारत में महिलाओं को उभरते आतिथ्य उद्योग के शीर्ष पर पहुंचने के लिए, न केवल प्रतिभा की आवश्यकता है, बल्कि संगठनात्मक एवं पारिवारिक समर्थन की भी बेहद जरूरत है.’

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दल ने अध्ययन के लिए विभिन्न संगठनों में वरिष्ठ तथा मध्य स्तर के पदों पर तैनात 23 अधिकारियों से इन मुद्दों पर व्यापक चर्चा की. उदाहरण के लिए प्रबंध निदेशक, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, देश प्रमुख, महाप्रबंधक और निदेशक मानव संसाधन जैसे विभिन्न पदों पर तैनात पुरुष और महिला पेशेवरों से बात की गई.

भाषा निहारिका शोभना

शोभना

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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