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Friday, 15 November, 2024
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टार्गेटेड टेस्ट या कोरोना का प्रसार- महाराष्ट्र में पाजिटिविटी रेट जून के बाद ज्यादा क्यों हो गया

महाराष्ट्र का पाजिटिविटी रेट जून में 15 प्रतिशत से बढ़कर 19.91 प्रतिशत हो गया. विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन हटाए जाने के बाद कोरोना तेजी से फैल गया है. हालांकि, रिकवरी रेट 71 प्रतिशत है.

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मुंबई: महाराष्ट्र में कोविड-19 टेस्ट जून के बाद से सात गुना से अधिक बढ़ गया है, लेकिन पाजिटिविटी रेट 15 प्रतिशत से लगभग 20 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जिससे राज्य में इंफेक्शन का व्यापक प्रसार हुआ है.

राज्य सरकार के दैनिक बुलेटिन के अनुसार, 19 अगस्त को महाराष्ट्र में कुल 33,43,052 परीक्षणों के साथ 19.91 प्रतिशत पाजिटिविटी रेट था. 1 जून से परीक्षणों में वृद्धि लगभग 608 प्रतिशत है, तब कुल संख्या 4,72,344 थी और पाजिटिविटी रेट 15.44 प्रतिशत था.

सरकारी अधिकारियों और विशेषज्ञों दिप्रिंट ने कहा कि यह दर्शाता है कि इंफेक्शन कम समय में तेजी से फैल गया है. हालांकि, अधिक परीक्षण का मतलब प्रारंभिक चरण में इंफेक्शन को पकड़ना है और जिसने रिकवरी के आंकड़ों में सुधार किया जा सके.

कुल मिलाकर, महाराष्ट्र में 6,15,477 कोविद मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 4,37,870 या 71 प्रतिशत रिकवर हो चुके हैं, जो कि एक जून के 43 प्रतिशत से अधिक हो गए हैं.

मुंबई और पुणे में सीरो सर्वेक्षण

महाराष्ट्र में (मुंबई और पुणे) में अब तक किए गए दो सीरोलॉजिकल सर्वेक्षणों ने भी कोविड-19 के पर्याप्त प्रसार का संकेत दिया है. मुंबई सर्वेक्षण में नमूने की झुग्गी आबादी के 57 प्रतिशत और शहर की इमारतों से परीक्षण किए गए लोगों में से 16 प्रतिशत में एंटीबॉडी की उपस्थिति देखी गई है.

पुणे सर्वेक्षण से पता चला कि 51 प्रतिशत से अधिक नमूने कोरोनावायरस से संक्रमित थे.

सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और महाराष्ट्र संचारी रोग निवारण और नियंत्रण तकनीकी समिति के अध्यक्ष डॉ सुभाष सालुंखे ने कहा, ‘भले ही नमूने का सैंपल साइज छोटा था, सीरो सर्वेक्षण के परिणाम हमें इंफेक्शन के प्रसार का आईडिया देते हैं. यदि पुणे में 50 प्रतिशत फैला हुआ है, तो कम से कम 25 लाख लोगों को शहर में परीक्षण करना चाहिए, जो प्रैक्टिकल नहीं है.’


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सालुंके ने कहा, ‘जब हम जानते हैं कि इंफेक्शन का प्रसार इतना व्यापक हो चुका है, तो परीक्षण को अभी और लक्षित करने की आवश्यकता है. को मॉर्बिड रोगियों, रोगसूचक व्यक्तियों और वरिष्ठ नागरिकों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, जो सबसे कमजोर हैं. सही तरह के परीक्षण से पॉजिटिव लोगों का जल्द पता चलेगा, जिससे मृत्यु दर पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी.

सही लोगों का परीक्षण किया जा रहा है जिससे पाजिटिविटी रेट ज्यादा होगी

रायगढ़ जिले की कलेक्टर निधि चौधरी, जहां पाजिटिविटी रेट 31.7 प्रतिशत सबसे ज्यादा है ने कहा कि यह आंकड़ा अधिक है क्योंकि प्रशासन लक्षित परीक्षण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.

चौधरी ने कहा, हम सड़कों पर सभी लोगों का परीक्षण नहीं कर रहे हैं. एंटीजन परीक्षण महत्वपूर्ण और महंगे संसाधन हैं और सुपर स्प्रेडर्स के बीच इंफेक्शन खोजने और प्रसार को नियंत्रित करने में सक्षम होने की संभावना अधिक है. इसलिए, हम ग्राम पंचायत कार्यकर्ताओं, बस चालकों, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, नागरिक कर्मचारियों, सब्जी विक्रेताओं और इतने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि रायगढ़ की हॉटस्पॉट्स मुंबई, पुणे और ठाणे से निकटता और चक्रवात निसर्ग की वजह से तबाही हुई है.

रायगढ़ ने पहले मामले के बाद से 158 दिनों में कुल लगभग 75,000 परीक्षण किए हैं. इसकी दैनिक परीक्षण दर लगभग 2400 है, जबकि एक महीने पहले यह केवल 400 थी.

‘जब परीक्षण बढ़ता है, तो पाजिटिविटी रेट बढ़ जाता है. चौधरी ने बताया कि तब एक ऐसा चरण होता है जब सक्रिय मामले उच्च परीक्षणों के बावजूद स्थिर हो जाते हैं और नए मामले और डिस्चार्ज की संख्या लगभग समान होती है.

उन्होंने प्रेडिक्ट किया कि ‘हम अभी जंकचर पर हैं. यहां से, पाजिटिविटी रेट नीचे जाने से पहले कुछ दिनों के लिए स्थिर हो जाएगी.’

अधिक लोगों से लोगों का कांटेक्ट

नासिक जिले के कलेक्टर सूरज मंधारे, जहां 25.16 प्रतिशत पाजिटिविटी रेट है ने कहा कि जून से लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद संक्रमण फैल गया है, क्योंकि लोगों का अधिक लोगों से संपर्क हुआ है.

मंधारे ने कहा, जब हमारे परीक्षण की संख्या कम थी, तो हमने पूरी तरह से बंद किया था और लोग घर पर थे और संक्रमण का प्रसार कम था. अब संक्रमण परीक्षणों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रहा है.’

कलेक्टर ने कहा कि नासिक जून में एक दिन में लगभग 300 परीक्षण कर रहा था, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 2,200 हो गई है. हालांकि, उन्होंने कहा कि पाजिटिविटी रेट को एक अलग पैरामीटर के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.

अधिक परीक्षण से जून में 45 प्रतिशत की तुलना में अधिक एसिम्पटोमैटिक मामलों – 65 प्रतिशत के निदान के साथ-साथ 1.7 प्रतिशत की मृत्यु दर भी 5 प्रतिशत की तुलना में कम हो गई है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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