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Tuesday, 21 May, 2024
होमदेशपुणे के पहले सीरो सर्वे में सामने आया- कोविड से अधिक प्रभावित 5 क्षेत्रों में 51% से ज्यादा लोग संक्रमित हुए

पुणे के पहले सीरो सर्वे में सामने आया- कोविड से अधिक प्रभावित 5 क्षेत्रों में 51% से ज्यादा लोग संक्रमित हुए

पुणे पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या में मुंबई को पीछे छोड़ता हुआ भारत के कोविड हॉटस्पॉट में बदल गया है.

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मुंबईः पुणे के पहले सीरोलॉजिकल सर्वेक्षण में सामने आया है कि टेस्ट किए गए आधे से अधिक लोगों ने नॉवल कॉरोनवायरस के विरुद्ध एंटीबॉडीज विकसित की हैं.

20 जुलाई से 5 अगस्त के बीच आयोजित अध्ययन से पता चलता है कि लोगों में से औसतन 51.5 प्रतिशत लोगों को कोविड-19 से संक्रमित किया गया था. चुनिंदा क्षेत्रों में यह 36.1 प्रतिशत से 65.4 प्रतिशत तक था. कुल 3.66 लाख की जनसंख्या वाले पांच वार्डों में सर्वेक्षण के लिए 1,664 नमूने एकत्र किए गए थे.

अध्ययन से पता चलता है कि पांच प्रभागों में संक्रमण का व्यापक प्रसार हुआ है: सारांश रिपोर्ट में कहा गया है कि 36.1% से 65.4% तक और यह सभी प्रकार के आवासों में है.

यह सर्वेक्षण पुणे की सवित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, फरीदाबाद के ट्रांसलेनल हेल्थ साइंस टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट और पुणे नगर निगम के साथ-साथ वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कालेज द्वाार किया गया. इसे प्रसिस्टेंट फाउंडेशन ने फंड दिया था.

पुणे मुंबई के कुल पॉजिटिव मामालों से आगे होते हुए भारत के कोविड हॉटस्पॉट में से एक बन गया है. पुणे शहर और ग्रामीण क्षेत्रों व पिंपरी-चर्चवाड़ सहित जिले में 1.3 लाख कोविड मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से वर्तमान में 17 अगस्त को राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार 41,020 मामले सक्रिय हैं. इसकी तुलना में मुंबई ने 1.28 लाख कोविड के मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से 17,825 सक्रिय हैं.

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पिछले महीने, मुंबई में एक सीरोलॉजिकल सर्वेक्षण में स्लम में 57 प्रतिशत और शहर की इमारतों में किए गए टेस्ट में 16 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडीज दिखी. दिल्ली में जून के पहले सप्ताह तक यह आंकड़ा 23 फीसदी था.

यह रैंडम सर्वे कोविड के प्रसार को जांचने के लिए शहरों में आयोजित किया जाता है और यह पता लगाया जाता है कि कितने लोगों में एंटीबॉडीज विकसित हुई हैं.

झुग्गियों में अधिक लेकिन इमारतों, बंगले भी अधिक चपेट में

पुणे सर्वेक्षण में वार्डों में येरवाड़ा, कसबाफेथ-सोमवरपेट, रास्तपीठ-राववार्पेथ, लोहिया नगर-कासेवाड़ी और नवपीठ-पार्वती शामिल हैं. तकनीकी रिपोर्ट कहती है कि इनमें से, लोहिया नगर-कासेवाड़ी 65.4 प्रतिशत का सीरोप्रिवलेंस हैं.

मुंबई की ही तरह पुणे सर्वेक्षण भी स्लम क्षेत्रों- झोंपड़ियों और घरों में कोविड का अधिक प्रसार दिखता है जहां एक शख्स का जीवन यापन 150 वर्ग फुट से कम में होता है और शौचालय साझा किए जाते हैं.

पुणे के सर्वेक्षण में झोपड़ी के नमूनों में 62 प्रतिशत और टेनमेंट से प्राप्त नमूनों में से 56.19 प्रतिशत कोविड एंटीबॉडीज पाई गईं. यहां 150 वर्ग फुट से कम में रहने वाले लोग हैं, और बिना निजी शौचालयों के, जहां क्रमशः 59.6 प्रतिशत और 62.3 प्रतिशत सीरोप्रिवेलेंस थी.

हालांकि, मुंबई की इमारतों से केवल 16 प्रतिशत जनसंख्या का नूमूना लिया गया जहां यह आंकड़ा 43.9 बंगलों में रहने वाले लोगों और अपार्टमेंट में 33.2 प्रतिशत लोगों में था.

66 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में कम

पुणे सर्वेक्षण से पता चला है कि 66 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में सेरोप्रिवलेंस सबसे कम है, संभवतः इनकी मृत्यु दर 2.5 प्रतिशत से कम है.

सर्वेक्षण के परिणामों से पता चला है कि 18-30 आयु समूह में 52.5 प्रतिशत, 52.1 प्रतिशत 31 से 50 आयु वालों में और 54.8 प्रतिशत 51 से 65 वर्ष की आयु समूह के मुकाबले सीरो पॉजिटिविटी 66 वर्ष आयु वाालों में 39.8 प्रतिशत थी.

इसके अलावा मुंबई सर्वेक्षण के विपरीत, जिसमें महिलाओं की तुलना में अधिक संक्रमित पुरुषों को दिखाया गया था, पुणे सर्वेक्षण ने किसी भी प्रकार के लिंग भेद के आधार के आधार पर रिजल्ट नहीं निकाले हैं. उस सर्वेक्षण में, 52.8 प्रतिशत पुरुषों और 50.1 प्रतिशत महिलाओं में संक्रमण दिखाया था.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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