नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है, कि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) प्रमुख के पद के लिए, नरेंद्र मोदी सरकार की पसंद के दो शीर्ष अधिकारी- राकेश अस्थाना और वाईसी मोदी- रेस से बाहर कर दिए गए हैं, चूंकि भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा नियम लेकर आए, जिसे CBI प्रमुख के चयन में, पहले कभी इस्तेमाल नहीं किया गया है.
रमन्ना ने एससी के उस नियम पर ज़ोर दिया, जिसमें कहा गया है कि किसी भी आईपीएस अधिकारी के नाम पर, जिसका कार्यकाल पूरा होने में, छह महीने से कम बचे हैं, पुलिस प्रमुख के पदों के लिए, विचार नहीं किया जाना चाहिए.
उच्च-पदस्थ सूत्रों के अनुसार, इस नियम का इस्तेमाल कई बार, पुलिस महानिदेशकों (डीजीपीज़) के नाम काटने के लिए किया गया है, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि सीबीआई चीफ की नियुक्ति के लिए इस नियम पर विचार किया गया हो.
सूत्रों ने बताया कि एससी के नियम का आह्वान रमन्ना ने किया और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने उनका समर्थन किया, जिससे तीन-सदस्यीय पैनल में दोनों को बहुमत मिल गया. चयन समिति के सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्य न्यायाधीश रमन्ना और नेता प्रतिपक्ष चौधरी हैं.
इससे पहले अस्थाना और मोदी के नामों को सरकार ने चयन सूची में शामिल किया था.
सोमवार को, उच्च-अधिकार प्राप्त चयन समिति ने, 90 मिनट चली एक मीटिंग के बाद, तीन और नाम चयन सूची में शामिल कर लिए.
अब, पूर्व महाराष्ट्र डीजीपी सुबोध कुमार जायसवाल, सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) महानिदेशक केआर चंद्रा, और गृह मंत्रालय में विशेष सचिव वीएसके कौमुदी, पद के लिए दौड़ में हैं.
दिप्रिंट ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के प्रवक्ता, और प्रधानमंत्री कार्यालय से टिप्पणी लेने के लिए, कॉल्स और लिखित संदेशों के ज़रिए संपर्क किया, लेकिन इस ख़बर के छपने तक, कोई जवाब हासिल नहीं हुआ था.
मोदी सरकार में कैसा रहा है मोदी और अस्थाना का प्रदर्शन
सोमवार तक राकेश अस्थाना और वाईसी मोदी को, पद की दौड़ में सबसे आगे बताया जा रहा था. दोनों अधिकारी भारतीय पुलिस सेवा के 1984 बैच से हैं, और दोनों ही नरेंद्र मोदी सरकार के अंतर्गत, केंद्र में महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं.
वाईसी मोदी 2017 से, देश की प्रीमियर आतंकवाद-विरोधी संस्था, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के प्रमुख हैं.
इस बीच, अस्थाना, जो फिलहाल सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के डीजी हैं, इससे पहले सीबीआई में स्पेशल डायरेक्टर रह चुके हैं, जब उन्हें और तत्कालीन डायरेक्टर आलोक वर्मा को, आपस में सार्वजनिक रूप से झगड़ने के बाद, भ्रष्टाचार-विरोधी एजेंसी से बाहर कर दिया गया था.
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