scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेश6 साल के शासन में PM मोदी की कोर टीम में गुजरात के IAS, IPS और IRS अधिकारियों का दबदबा बढ़ा

6 साल के शासन में PM मोदी की कोर टीम में गुजरात के IAS, IPS और IRS अधिकारियों का दबदबा बढ़ा

मोदी सरकार में पीएमओ से लेकर जांच एजेंसियों और प्रमुख नियामक संस्थाओं तक गुजरात कैडर के सिविल सेवक या फिर जिनका संबंध इस राज्य से है- काफी मजबूत स्थिति में हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने पिछले हफ्ते गुजरात कैडर के 1986 बैच के आईएएस अधिकारी पी.डी. वाघेला को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अध्यक्ष नियुक्त किया है.

इसके साथ ही अब तक चार प्रमुख नियामक निकायों का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य, जहां वह 2001 से 2004 तक मुख्यमंत्री रहे, यानी गुजरात कैडर के अधिकारियों के हाथ में आ चुका है.

वाघेला प्रधानमंत्री मोदी के विश्वस्त अधिकारी माने जाते हैं, जिन्होंने 2017 में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के रोलआउट में अहम भूमिका निभाई थी. वह अपने गृह राज्य में वाणिज्यिक कर आयुक्त के रूप में भी काम कर चुके हैं.

वाघेला पिछले महीने ही सेवानिवृत्त होने वाले थे लेकिन अब अगले तीन साल तक ट्राई के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहेंगे. उनके ठीक पहले नियामक संस्था का नेतृत्व करने वालों में आर.एस. शर्मा, जो पांच साल तक इस पद पर रहे, और नृपेंद्र मिश्रा, जो 2014 से 2019 तक प्रधानमंत्री के सबसे करीबी और भरोसेमंद सिविल सेवक, जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे हैं.


यह भी पढ़ें: लेट्रल एंट्री वाले विशेषज्ञ भी ‘अन्य IAS अधिकारियों की तरह हो गए हैं’, एक साल पहले ही हुई थी भर्ती


इस वर्ष के शुरू में ही केंद्र सरकार ने गुजरात कैडर के एक और अधिकारी जी.सी. मुर्मू को सबसे महत्वपूर्ण सरकारी लेखा परीक्षा निकाय के प्रमुख के रूप में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) नियुक्त किया है जिस पद पर वह 2025 तक रह सकते हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

इससे पहले मुर्मू ने वित्त मंत्रालय में विभिन्न पदों पर काम किया, जहां से वह 2019 में व्यय विभाग के सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए. इसके अलावा वह जम्मू-कश्मीर के नवगठित केंद्र शासित प्रदेश के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर के रूप में भी काम कर चुके हैं.

एक अन्य महत्वपूर्ण नियामक निकाय केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) की अध्यक्षता भी गुजरात कैडर के ही एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी पी.के. पुजारी कर रहे हैं, जिन्होंने 2018 में यह पद संभाला था.

2019 में गुजरात कैडर की 1981 बैच की अधिकारी रीता तेवतिया को भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था.

यह ट्रेंड सिर्फ नियामक निकायों तक ही सीमित नहीं है, जिनका अध्यक्ष अमूमन सेवानिवृत्त अधिकारियों को ही बनाया जाता है.

2014 में मोदी के केंद्र की सत्ता संभालने के बाद से ही गुजरात के सिविल सेवकों को तरजीह मिलने के बारे में काफी कुछ कहा जा चुका है. यह ट्रेंड न केवल प्रधानमंत्री के दूसरे कार्यकाल में बदस्तूर जारी है, बल्कि और भी ज्यादा प्रभावी रूप से बढ़ा है.

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से लेकर प्रमुख मंत्रालयों, जांच एजेंसियों और भारत के शीर्ष कर संग्रह प्राधिकरण और दिल्ली की सत्ता के गलियारों में खास अहमियत रखने वाले तमाम महत्वपूर्ण पदों तक ऐसे अधिकारियों की ही पकड़ मजबूत है जिनका संबंध प्रधानमंत्री के गृह राज्य से है.

पीएमओ में गुजरात के आईएएस, प्रोन्नत आईएएस और गैर-आईएएस अधिकारियों को तरजीह

पीएमओ का नेतृत्व गुजरात कैडर के 1972 बैच के अधिकारी पी.के. मिश्रा करते हैं जिन्होंने मोदी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उनके प्रधान सचिव के रूप में काम किया था. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें दिल्ली लाया गया. पिछले साल प्रधानमंत्री का प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त होने से पहले मिश्रा ने पांच सालों तक पीएम के अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में कार्य किया, जो पद विशेष रूप से उनके लिए सृजित किया गया था.

पिछले साल कैबिनेट मंत्री का दर्जा पाने वाले मिश्रा ही वह अधिकारी हैं जो 2019 में अपने पूर्ववर्ती नृपेंद्र मिश्रा के बाहर जाने के बाद पीएमओ से जुड़े सभी फैसलों में निर्णायक भूमिका निभाते थे.

हालांकि, केवल यही आईएएस की डायरेक्ट भर्ती नहीं है जो मोदी की कोर टीम का हिस्सा है.

इस वर्ष के शुरू में लोगों को अचंभित करते हुए कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने हार्दिक शाह को प्रधानमंत्री का निजी सचिव चुना था.

हार्दिक शाह ने 2015 में राज्य में आईएएस अफसर बनने से पहले गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) में एक जूनियर इंजीनियर के तौर पर अपना करियर शुरू किया था. मोदी सरकार की पसंद बने शाह को 2017 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली लाया गया और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन और सूचना एवं प्रसारण मंत्रियों का निजी सचिव नियुक्त किया गया.

2019 में शाह को डिप्टी सेक्रेटरी के तौर पर पीएमओ लाया गया. इस साल ही पीएमओ से गुजरात कैडर के ही एक और अधिकारी राजीव टोपनो के हटने के बाद 46 वर्षीय शाह को प्रधानमंत्री के निजी सचिव के रूप में पदोन्नत किया गया. वह यह पद संभालने वाले सबसे युवा अधिकारी हैं.

इसके अलावा संजय भावसार हैं, जिन्हें अक्सर मोदी की परछाई कहा जाता है. वह मूलत: गुजरात प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं जिन्हें 2014 में विशेष सेवा अधिकारी (ओएसडी) के रूप में केंद्र सरकार में लाया गया था. दो साल तक पीएमओ में ओएसडी के रूप में सेवा देने के बाद भवसार को 2016 में आईएएस पद पर पदोन्नत किया गया था.

गौरतलब है कि ओएसडी ऐसा पद होता है जो तकनीकी रूप से लैटरल इंट्री के लिए खुला होता है क्योंकि इसमें पेशेवर नौकरशाह की नियुक्ति जरूरी नहीं होती है. मंत्री अक्सर इन पदों पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं को नियुक्त करते हैं.

पीएमओ में ओएसडी के तौर पर पदासीन अन्य शीर्ष अधिकारियों में भी प्रधानमंत्री के गुजरात में पुराने सहयोगी शामिल हैं जो आईएएस अधिकारी नहीं हैं. इनमें हिरेन जोशी और प्रतीक दोशी शामिल हैं, जो क्रमशः संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी और अनुसंधान एवं रणनीति की जिम्मेदारी संभालते हैं. जोशी और दोशी दोनों को ही इस वर्ष संयुक्त सचिव का दर्जा दिया गया है.


यह भी पढ़ें: RSS समर्थित IAS संस्थान चुपचाप 1986 से ‘राष्ट्रवादी’ सिविल सर्वेंट्स को तैयार कर रहा है


अन्य मंत्रालय

यह केवल सरकार के सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाला पीएमओ ही नहीं है जहां गुजरात कैडर के अधिकारियों की नियुक्ति हुई है.

इसी वर्ष गुजरात कैडर के 1989 बैच के अधिकारी कटिकथला श्रीनिवास को कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) का सचिव बनाया गया था. यह निकाय केंद्र सरकार में सभी शीर्ष पदों पर नियुक्तियों के बारे में फैसले लेता है और इसमें प्रधानमंत्री (जो इसके अध्यक्ष हैं) और गृहमंत्री भी शामिल होते हैं.

इस पद के तहत उन्हें केंद्र सरकार में सभी शीर्ष नियुक्तियों, अधिकारियों के कार्यकाल से जुड़ी नीति तय करने, अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की इंटर-कैडर प्रतिनियुक्ति और स्थानांतरण, लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान चुनाव पर्यवेक्षकों की नियुक्ति और आईएएस, आईएफएस, आईपीएस अधिकारियों के मनोनयन आदि की जिम्मेदारी संभालनी होती है.

2016 तक एसीसी में उस संबद्ध मंत्रालय या विभाग के मंत्री को भी शामिल किया जाता था जहां किसी अधिकारी की नियुक्ति की जानी होती थी, लेकिन अब यह व्यवस्था खत्म हो चुकी है. एसीसी में मौजूदा समय में मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और कटिकथला शामिल हैं, जो सभी गुजरात से ताल्लुक रखते हैं.

गुजरात से जुड़े अधिकारियों की सूची में गुरुप्रसाद महापात्र (उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग या डीपीआईआईटी सचिव), ए.के. शर्मा (बिगड़ते आर्थिक हालात के मद्देनजर इस वर्ष पीएमओ से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय में स्थानांतरित), अनीता करवाल (इसी वर्ष शिक्षा मंत्रालय में स्कूल शिक्षा सचिव चुनी गईं) और आरपी गुप्ता (नीति आयोग में विशेष सचिव, जहां वह उपाध्यक्ष राजीव कुमार और सीईओ अमिताभ कांत के बाद तीसरे स्थान पर हैं) भी शामिल हैं. नीति आयोग में अध्यक्ष का पद प्रधानमंत्री के पास होता है.

इस वर्ष के शुरू में प्रधानमंत्री मोदी के विश्वासपात्र और गुजरात कैडर के 1988 बैच के भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी भरत लाल को जल शक्ति मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था, जो इस बात का संकेत है कि नवनिर्मित मंत्रालय पर सरकार का विशेष ध्यान है.

2010 से 2014 तक दिल्ली में गुजरात सरकार के रेजिडेंट कमिश्नर रहे लाल को तब राष्ट्रीय राजधानी में मोदी के खास व्यक्ति के तौर पर जाना जाता था.

गुजरात के पुलिसकर्मी

प्रमुख पदों पर गुजरात कैडर के अधिकारियों की नियुक्ति का यह ट्रेंड अर्धसैनिक बलों और जांच और कानून प्रवर्तन एजेंसियों तक भी नजर आता है, जहां पश्चिमी राज्य के कम से कम दो आईपीएस अधिकारी प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.

आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना, जिनका भ्रष्टाचार को लेकर 2018 में पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के साथ टकराव हुआ और बाद में दोनों को ही एजेंसी से बाहर कर दिया गया, अब महानिदेशक के तौर पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड (एनसीबी) के प्रमुख हैं. इस साल के शुरू में सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें क्लीनचिट दे दी थी.

राज्यों से किसी विशेष अनुमति के बिना ही देशभर में आतंकवाद संबंधी मामलों की जांच के अधिकृत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का नेतृत्व वाई.सी. मोदी कर रहे हैं जो गुजरात कैडर के 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं.

कर विभाग के अधिकारी

हालांकि, आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के मामले में तो उनका कैडर ‘गुजरात कनेक्शन’ स्पष्ट कर देता है, लेकिन उन सेवाओं के बारे में यह स्पष्ट करना कठिन है जिनमें कैडर नहीं होता है, उदाहरण के तौर पर भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस).

पी.सी. मोदी 1982 बैच के आईआरएस अधिकारी हैं जो मौजूदा समय में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं. हाल में सीबीडीटी प्रमुख के रूप में दूसरा विस्तार पाने वाले मोदी यह शीर्ष पद संभालने के लिए दिल्ली आने से पहले गुजरात में आयकर विभाग का नेतृत्व करने वाले दूसरे प्रमुख अधिकारी हैं, ऐसा करने वाले पहले अधिकारी उनके पूर्ववर्ती सुशील चंद्रा थे, जो अब चुनाव आयुक्त हैं.

एक आईएएस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा कि केंद्र सरकार में जब गुजरात कैडर के अफसरों की नियुक्ति का क्रम लगातार जारी है, कोई भी यह ट्रेंड घटने की उम्मीद कर सकता है.

अधिकारी ने कहा, ‘यह सही है कि प्रधानमंत्री गुजरात से अपने अधिकांश भरोसेमंद अधिकारियों को केंद्र में ले आए हैं लेकिन कोई यह नहीं भूल सकता है कि वह पिछले छह साल से दिल्ली में है… इस अवधि में उन्हें अन्य कैडर के भी कई अधिकारियों के साथ नजदीकी से काम करने का मौका मिला है, और उनमें से कुछ आज उनके सबसे भरोसेमंद अधिकारी हैं.’

उन्होंने कहा, ‘बेशक, चूंकि गुजरात के कुछ अधिकारी महत्वपूर्ण स्थानों पर नियुक्त हैं, दिल्ली में उनका नेटवर्क बढ़ेगा, लेकिन कुछ सालों बाद लोगों को दिखेगा कि प्रधानमंत्री की कोर टीम गुजरात के ज्यादा प्रभाव के बिना एक अलग दिल्ली टीम होगी.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: वन अधिकारियों के लिए राष्ट्रीय नीति की जरूरत, IFS संगठन ने की संरक्षण और मान्यता की मांग


 

share & View comments