चेंगलपट्टू: ये हफ्ता चेन्नई निवासी लोकेश के लिए ख़ौफनाक रहा है, जो सोमवार को घबराए हुए चेंगलपट्टू के सरकारी अस्पताल के मुर्दाघर के बाहर घूम रहे थे.
लोकेश अपने चाचा के शव का इंतज़ार कर रहे थे, जिनकी रविवार को मौत हो गई थी. कुछ दिन पहले ही उनके पिता भी, कोविड-19 का शिकार होकर चल बसे थे.
घबराए हुए लोकेश ने दिप्रिंट को बताया, ‘मैं अपने चाचा को यहां लेकर आया था, क्योंकि चेन्नई में कोई बेड्स नहीं थे. यहां लाने के एक दिन के अंदर, मेरे चाचा की भी मौत हो गई.’
चेन्नई से सिर्फ 50 किलोमीटर दूर स्थित चेंगलपट्टी, कोविड इलाज के इच्छुक लोगों के लिए, तेज़ी से तमिलनाडु की राजधानी का विकल्प बनता जा रहा है.
दोनों शहर तक़रीबन आपस में जुड़े हुए हैं, पारंपरिक रूप से थोक मंडियों से, और अब IT तथा अस्थायी श्रमबल से.
चेन्नई का सेटेलाइट शहर चेंगलपट्टी, पिछले कुछ सालों में विकसित हो कर एक औद्योगिक केंद्र बन गया है, जहां टेक महिंद्रा, विप्रो, डेल, सैमसंग और अपोलो टायर्स जैसी कंपनियों के कारख़ाने थित हैं.
लेकिन चेन्नई में अस्पतालों के भरने के साथ ही, ज़्यादा से ज़्यादा लोग चेंगलपट्टू आ रहे हैं, और अपने साथ संक्रमण भी ला रहे हैं.
इसके अलावा, मदुरांतकम जैसे छोटे शहरों के डॉक्टर भी, अपने मरीज़ों को इलाज के लिए चेंगलपट्टू भेज देते हैं.
इस सबके साथ में, कोविड-19 सावधानियों का पालन न करने से, हुआ ये है कि चेंगलपट्टू, चेन्नई के बाद तमिलनाडु का दूसरा सबसे अधिक प्रभावित ज़िला बन गया है.
राज्य सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, चेंगलपट्टू में 8 मई को कोविड के 2,458, और 9 मई को 2,279 नए मामले दर्ज किए गए. 9 मई को ज़िले में कुल एक्टिव मामलों की संख्या 13,924 थी.
ज़िला प्रशासन ने मामलों में उछाल के लिए, ज़िले की घनी आबादी और चेन्नई से इसकी निकटता को ज़िम्मेदार ठहरा दिया. ज़िला कलेक्टर जॉन लुइस ने दिप्रिंट से कहा, ‘ये एक घनी आबादी वाला ज़िला है, और चेन्नई का विस्तार है. हर रोज़ लाखों लोग काम के लिए दोनों तरफ आते-जाते हैं’.
चेंगलपट्टू सरकारी अस्पताल के डीन, जे मुथुकुमारन ने दिप्रिंट से कहा, कि चेंगलपट्टू में डॉक्टर बहुत दबाव में हैं, चूंकि आसपास के क़रीब 50 गांवों और क़स्बों के मरीज़ भी, इलाज के लिए यहीं आते हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमारे यहां आसपास के, क़रीब 50 गांवों और शहरों के मरीज़ आ रहे हैं. बीमारी के ज़्यादा फैल जाने की वजह से, हमारे सभी 480 बिस्तर भर गए हैं. अस्पताल फिलहाल बहुत अधिक दबाव में है’.
ये वही अस्पताल है जहां पिछले हफ्ते, कथित रूप से ऑक्सीजन प्रेशर कम हो जाने से, 13 मरीज़ों की मौत हो गई थी. डीन मुथुकुमारन ने दिप्रिंट को बताया था, कि वो मौतें ऑक्सीजन गिरने की वजह से नहीं, बल्कि कोविड-19 के कारण हुईं थीं.
कोविड प्रोटोकोल्स का पालन नहीं
जब दिप्रिंट ने चेंगलपट्टू के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया, तो दिख रहा था कि सभी लोग कोविड सफाई का पालन नहीं कर रहे हैं. बाज़ारों में 10 में से कम से कम 4 लोग, मास्क नहीं पहने हुए थे.
ज़िले के सबसे बड़े कोविड अस्पताल, चेंगलपट्टू सरकारी अस्पताल की एक चिकित्सक, डॉक्टर करमेश्वरी ने दिप्रिंट से कहा, ‘लोग अब कोविड से थक गए हैं. आप अगर ग्रोसरी स्टोर्स पर जाएं, तो आपको लोग बिना मास्क के बैठे नज़र आएंगे. जब आप उनसे मास्क पहनने के लिए कहते हैं, तो वो जवाब देते हैं कि मास्क लगाने से, वो सहज महसूस नहीं करते’.
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शहर पर तमिलनाडु सरकार की उस घोषणा का भी असर हुआ, जिसमें 10 मई से 14 दिन का लॉकडाउन लगाया गया था.
8 मई को हुई घोषणा के नतीजे में, 3.5 लाख से अधिक लोग चेन्नई शहर छोड़कर निकल गए. न केवल चेंगलपट्टू को जाने वाला हाईवे बसों से भरा हुआ था, बल्कि ज़िले के बस अड्डों पर भी, लोगों की भारी भीड़ देखी गई.
ज़िले की एक स्वास्थ्यकर्मी पुष्पा, चेंगलपट्टू बस स्टैण्ड पर कोविड-19 टेस्टिंग डेस्क संभालती हैं. रविवार को उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘हम हर रोज़ 50-70 आरटी-पीसीआर टेस्ट करते हैं, और उनमें से क़रीब 30 नमूने पॉज़िटिव निकलते हैं. आज लाकडाउन शुरू होने से पहले, सैकड़ों लोग चेन्नई से वापस आ रहे हैं, इसलिए हम अपेक्षा कर रहे हैं, कि कोविड मामलों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी’.
तमिलनाडु में जहां 6 अप्रैल को मतदान हुआ, महीने के पहले हिस्से में कोविड मामलों की संख्या, 229 प्रतिशत उछलकर 84,361 पर पहुंच गई.
चेंगलपट्टू के एक निवासी ने इसके लिए, चुनाव प्रचार को ज़िम्मेदार ठहराया. निवासी ने कहा, ‘चुनावों के दौरान दोनों मुख्य पार्टियों –डीएमके और एआईडीएमके- ने इलाक़े में जमकर प्रचार किया. कोविड सावधानियों का बिल्कुल पालन नहीं किया गया’.
दिप्रिंट ने फोन के ज़रिए नव-निर्वाचित डीएमके (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) विधायक वारालक्ष्मी मधुसुदानन के दफ्तर से संपर्क की कोशिश की, लेकिन बताया गया कि वो इंटरव्यू के लिए उपलब्ध नहीं थीं, क्योंकि वो लॉकडाउन से जुड़ी कोविड नियंत्रण गतिविधियों में व्यस्त थीं.
अस्पतालों पर दबाव
मामलों में आए उछाल ने शहर के अस्पतालों, ख़ासकर चेंगलपट्टू सरकारी अस्पताल पर, भारी दबाव बना दिया है.
रविवार को, अस्पताल के बाहर दो महिलाओं ने, अपने पतियों को खो दिया. इस सब के बीच अन्य लोग, शोकाकुल महिलाओं के पास से गुज़रते हुए जा रहे थे. वो लोग मरीज़ों के परिजन थे, जो अपने परिवार के सदस्यों के लिए, दवाएं और सप्लाईज़ ख़रीदने के लिए झपट रहे थे.
लोकेश जैसे लोगों के उदाहरण अब आम हो गए हैं. उनके भर्ती होने के एक ही दिन के भीतर, लोकेश को सूचना दे दी गई, कि उनके चाचा की मौत हो गई है.
चेन्नई निवासी ने कहा कि वो अपने चाचा को चेंगलपट्टू लेकर आए थे, चूंकि उनके पिता को राजधानी में अच्छा इलाज नहीं मिला था.
उन्होंने कहा, ‘मैं अपने पिता को चेन्नई के एक निजी अस्पताल में ले गया था, जहां उन्होंने अंतिम समय तक कोई मदद नहीं की, जब तक उनकी सांस फूलने नहीं लगी’. उन्होंने आगे कहा, ‘मैं डॉक्टर को बुलाता रहा, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की, और उनकी सांस बंद हो गई. मैं उम्मीद कर रहा था, कि यहां इलाज कुछ बेहतर होगा’.
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